एससीओ सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने दिया ‘सिक्योर’ मंत्र
बीते 10 जून को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के 18वें सम्मेलन में शिरकत की। जाहिर है कि सबको इस बात का इंतजार था कि इस मंच से भारत कौन से मुद्दे को प्रमुखता से उठाता है। क्योंकि इस मंच पर पाकिस्तान और चीन के राष्ट्र प्रमुख भी मौजूद थे, वहीं दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इसका हिस्सा थे।
एससीओ की सदस्यता से पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत को मिला एक और मंच
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ के सदस्य देशों के सामने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। अपने संबोधन में उन्होंने भारत को सदस्य चुनने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आंतकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है और इससे हमे मिलकर निपटना होगा। उन्होंने थ भी कहा कि आतंकवाद मानव अधिकारों और मानव मूल्यों के सबसे बड़े उल्लंघनकारियों में से एक है। जब तक आतंकियों
एससीओ की सदस्यता से भारत की कूटनीति को मिलेगी और मजबूती
बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार करने के बाद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत का शामिल होना कूटनीतिक एवं कारोबारी दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर इस संगठन का सामरिक व कारोबारी महत्व है। इस संगठन का उद्देश्य चरमपंथी ताकतों को नेस्तनाबूत करने के साथ-साथ सदस्य देशों के बीच कारोबारी रिश्ते मजबूत करना है। भारत मौजूदा समय में मुख्य तौर पर आतंकवाद और पूँजी