क्या 97 हजार करोड़ की बंदरबांट ही अखिलेश यादव का समाजवाद है?
उत्तर प्रदेश से एक बड़े घोटाले की आहट सुनाई दे रही है। बताया जाता है कि ये घोटाला 97 हजार करोड़ रुपए का है जो कि अपने आप में बहुत बड़ी राशि है। देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी सीएजी (कैग) की रिपोर्ट में यह गड़बड़ी उजागर हुई है। अधिक चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस राशि के खर्च का कोई हिसाब अभी तक प्रस्तुत नहीं किया गया है। यानी 97 हजार
गायत्री प्रजापति को बचाना कौन-सी क़ानून व्यवस्था है, अखिलेश जी ?
यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री और अमेठी विधानसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी गायत्री प्रजापति जो पहले से ही खनन घोटाले सम्बन्धी आरोपों से घिरे थे, पर बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का आरोप सामने आना सपा की मुश्किलें बढ़ा सकता है। दरअसल मामला कुछ यूँ है कि विगत दिनों एक महिला द्वारा गायत्री प्रजापति पर यह आरोप लगाया गया है कि २०१४ में उन्होंने उसे प्लाट दिलाने के बहाने अपने लखनऊ स्थित
यह ‘विकास रथ’ नहीं, अखिलेश सरकार का ‘विदाई रथ’ है!
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे–जैसे करीब आ रहा है, सूबे की सियासत भी हर रोज़ नए करवट लेती नजर आ रही है। हर रोज़ ऐसी खबरें सामने आ रहीं हैं, जो प्रदेश की सियासत में बड़ा उलट फेर करने का माद्दा रखतीं हैं। सत्तारूढ़ दल समाजवादी पार्टी की आंतरिक कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही। गत जून माह से ही चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच शुरू हुई तल्खी लागतार बढती जा रही है। अगर
आज़म खान ने किया डॉ अंबेडकर का अपमान, खामोश हुए दलित चिंतक!
उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्री और मुस्लिम नेता आजम खान ने साबित कर दिया है कि उन्हें मर्यादा में रहना जरा भी नहीं आता। इस बार उन्होंने अपनी बदजुबान से डॉ. भीमराव अम्बेडकर का अपमान किया है। संभवत: यह उनके शिक्षण और प्रशिक्षण का दोष है कि उन्होंने एक बार फिर अपनी दूषित मानसिकता को जाहिर कर दिया।
जातीय तुष्टिकरण से बदहाल उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में माँ-बेटी के साथ हुई गैंगरेप की वारदात ने एकबार फिर यह साफ़ कर दिया है कि अपने शासन के चार वर्ष बीता लेने के बाद भी सूबे की अखिलेश सरकार प्रदेश में क़ानून व्यवस्था को जरा भी दुरुस्त नहीं कर सकी है, बल्कि इस अवधि में क़ानून का राज लचर ही हुआ है।