सेकुलर

शांतनु की हत्या पर गौरी लंकेश की हत्या जैसा ‘शोर’ क्यों नहीं है ?

पिछले दिनों तथाकथित पत्रकार गौरी लंकेश की हत्‍या हुई, जिसकी खबरें लगातार सुर्खियों में बनी रहीं। मीडिया में लंकेश की हत्‍या से अधिक चर्चा हत्‍या को लेकर मची राजनीति पर हुई। यह शोर अभी थमा नहीं था कि बीते बीस सितम्बर को एक और पत्रकार की हत्‍या की खबर सामने आई। त्रिपुरा में एक टीवी पत्रकार शांतनु भौमिक की उस वक्‍त हत्‍या कर दी गई जब वे मंडई इलाके में दो राजनीतिक दलों के बीच मचे घमासान

राष्ट्रगीत के सम्मान में मद्रास उच्च न्यायालय का स्वागतयोग्य निर्णय

भारतीय संविधान में ‘वंदेमातरम्’ को राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ के समकक्ष राष्ट्रगीत का सम्मान प्राप्त है। 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा ने ‘वन्देमातरम्’ गीत को देश का राष्ट्रगीत घोषित करने का निर्णय लिया था। यह अलग बात है कि यह निर्णय आसानी से नहीं हुआ था। संविधान सभा में जब बहुमत की इच्छा की अनदेखी कर वंदेमातरम् को राष्ट्रगान के दर्जे से दरकिनार किया गया, तब डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने वंदेमातरम् की महत्ता

अपने मौकापरस्त रहनुमाओं के कारण पिछड़ते मुसलमान

2014 के लोक सभा चुनाव में मिली करारी शिकस्‍त के बाद कांग्रेस पार्टी दो साल से इफ्तार पार्टी नहीं दे रही है। उत्‍तर प्रदेश में तो हद हो गई जब प्रदेश कांग्रेस ने दावत का निमंत्रण पत्र भेजने, होटल क्‍लार्क का मैदान बुक करने और मेन्‍यू तय होने के बावजूद आलाकमान के निर्देश पर अचानक इफ्तार पार्टी रद्द कर दी। यह वही कांग्रेस है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्‍ता में आने के बाद प्रधानमंत्री निवास पर इफ्तार पार्टी न दिए

हिंदू-मुस्लिम एकता की भव्य इमारत खड़ी करने का अवसर

भारत के स्वाभिमान और हिंदू आस्था से जुड़े राम मंदिर निर्माण का प्रश्न एक बार फिर बहस के लिए प्रस्तुत है। उच्चतम न्यायालय की एक अनुकरणीय टिप्पणी के बाद उम्मीद बंधी है कि हिंदू-मुस्लिम राम मंदिर निर्माण के मसले पर आपसी सहमति से कोई राह निकालने के लिए आगे आएंगे। राम मंदिर निर्माण पर देश में एक सार्थक और सकारात्मक संवाद भी प्रारंभ किया जा सकता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने

इफ्तारी आयोजन धर्मनिरपेक्षता है तो मोदी का ‘जय श्रीराम’ कहना सांप्रदायिक कैसे हो गया, मिस्टर सेकुलर ?

यूपी चुनाव करीब है, जिसे देखकर तमाम राजनीतिक पार्टियॉं प्रधानमंत्री के लखनऊ में रावण-दहन के वक्त दिए गए उद्बोधन के राजनीतिक अर्थ निकाल रही हैं। राजनीतिक पार्टियों को यह भी ज्ञात होना चाहिए कि मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री है, जिन्होंने दशहरा में दिल्ली का किला छोड़कर लखनऊ के कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अपने उद्बोधन में देश में व्याप्त कुरीतियों पर हमला किया। मोदी पर आज तक

तीन तलाक के मसले पर मौन क्यों है वामपंथी गिरोह ?

भारतीय कम्यूनिस्टों की चुप्पी इस समय उनके पक्ष का इजहार कर रही है। देश के कॉमरेड-फेमिनिस्ट और चर्च के इशारे पर अम्बेडकर के नाम की माला जपने वाले अम्बेडकरवादी भी इस समय चुप हैं। वे जानते हैं कि इस समय वे बोलेंगें तो अपनी पोल खोलेंगे। भारतीय जनता पार्टी को स्यूडो कम्यूनिस्ट एन्टीलेक्चुअल्स ने ही महिला विरोधी प्रचाारित किया था। यह समय कैसे संयोग का समय है कि भारतीय जनता पार्टी

‘तीन तलाक’ के बहाने फिर बेनकाब हुआ वामपंथी गिरोह

देश में कुछ ही समय बाद एक बड़ा मसला फिर से उठने वाला है। यह हालांकि दीगर बात है कि जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी नीत एनडीए सरकार आयी है, तब से ही तथाकथित बुद्धिजीवी, चिंतक और कलाकार किसी न किसी बहाने इस सरकार को घेरने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे। यह भी कोई अनजानी बात नहीं कि ये सभी किसी न किसी तरह वामपंथी और कांग्रेसी वित्त पोषित और उन्हीं के गिरोह के भी हैं।

कैराना प्रकरण में फिर बेनकाब हुए सेकुलर, खुली नकली सेकुलरिज्म की पोल!

गत जून महीने में उत्तर प्रदेश के कैराना कस्बे में तीन सौ से ऊपर हिन्दू परिवारों के पलायन की बात सामने आई थी। स्थानीय भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने दावा किया था कि कैराना में बहुसंख्यक हुए समुदाय विशेष के लोगों के खौफ के कारण हिन्दू परिवार वहाँ से पलायन को मजबूर हुए हैं। भाजपा सांसद के इस दावे का तब देश की तथाकथित सेकुलर बिरादरी जिसमें नेता से लेकर बुद्धिजीवी तक शामिल थे, ने खूब

सच निकला कैराना में हिन्दुओं का पलायन, खामोश क्यों हैं सेकुलर ?

लगभग साढ़े तीन महीने पहले उत्तर प्रदेश के कैराना में हिन्दू समुदाय की पलायन की खबरें सामने आई थीं। यह पलायन चर्चा के केंद्र बिंदु में लंबे समय तक रहा किसी ने इस पलायन को सही बताया तो किसी ने इसे खारिज कर दिया, मीडिया के एक तथाकथित सेकुलर धड़े ने भी पलायन की खबरों को नकार दिया था। चूंकी, उत्तर प्रदेश में चुनाव है इसके मद्देनजर कांग्रेस, सपा आदि तथाकथित सेकुलर राजनीतिक

इस्लामिक कट्टरपंथ को सामने लाते इन मामलों पर क्या कहेंगे सेकुलर!

बात सन 2011 की है। पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के गवर्नर थे सलमान तासीर। वो इस्लामिक देश पाकिस्तान के ईश निंदा कानूनों के खिलाफ थे और ऐसे कानूनों को इस्लाम के खिलाफ मानते थे। आम तौर पर इस्लामिक मुल्कों में ऐसे कानूनों का अहमदिया, हिन्दू, सिख या इसाई जैसे