सोनिया

लम्बे समय से मुसलमानों के दिमाग में भरे जा रहे जहर की उपज है दिल्ली की हिंसा

दिल्ली में अचानक भीड़ सड़कों पर निकलती है और पत्थरबाजी करने लगती है। पुलिस परेशान कि क्या किया जाए और लोग पुलिस को घेर कर एक कांस्टेबल को जान से मार देते हैं। पूरी की पूरी भीड़ लाठी और डंडों के साथ सड़क पर निकलती है और पुलिस के सामने फायरिंग तक होती है। तस्वीरें आती हैं कि लाशों को घरों के सामने फेंका जा रहा है। इंटेलिजेंस ब्यूरो के

भारतीय राजनीति में परिवारवाद थोपने का श्रेय नेहरू-गांधी परिवार को जाता है!

अपने बयानों को लेकर सुर्खियां बटोरने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस बार नेहरू-गांधी परिवार की चाटुकारिता के बहाने भारतीय राजनीति में परिवारवाद पर एक नई बहस को जन्‍म दे दिया। पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शशि थरूर ने कहा कि आज अगर एक चायवाला देश का प्रधानमंत्री है, तो इसका श्रेय नेहरू

आख़िर किन कारणों से आज अपने सबसे बुरे राजनीतिक दौर में पहुँच गयी है कांग्रेस ?

कांग्रेस अस्थिरता के दौर से गुज़र रही है। किसी भी पदाधिकारी की नियुक्ति होती है और कुछ ही दिन बाद उसे बदल दिया जाता है। ऐसा लगता है जैसे पार्टी को पता ही नहीं है कि उसे जाना किधर है और करना क्या है। जागरूक होता मतदाता अब कांग्रेस की वोटबैंक की राजनीति, तुष्टिकरण की कोरी बातों में नहीं आना चाहता। वह सकारात्‍मकता, प्रगति और समकालीनता चाहता है। तुष्टिकरण की

परिवारवादी राजनीति के दौर में जनहितकारी राजनीति की उम्मीद जगाती भाजपा

जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को समान अधिकार, अवसर की समानता जैसी बातें संविधान में वर्णित की गई हो, ऐसे देश में अगर राजनीति के क्षेत्र में परिवारवाद की जड़ें इतनी गहरे तक जम जाएं कि राष्ट्रीय राजनीति से लेकर क्षेत्रीय राजनीति तक इसकी विषबेल पसरने लगे तो इससे बड़ी विडाबंना कोई और नहीं हो सकती। ऐसे में, समान अधिकार दिलाने वाला संवैधानिक ढ़ांचा ही कही न कही कमजोर पड़