गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा कर रहे मोदी
महात्मा गांधी का कहना था कि राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी है स्वच्छता। स्वच्छता को सुनिश्चित करके ही हम स्वस्थ रह सकते हैं और एक सशक्त देश का निर्माण करने में समर्थ हो सकते हैं। स्वच्छता से ग्रामीण भारत को भी मजबूत बनाया जा सकता है। नदियों एवं पर्यावरण को स्वच्छ बनाकर हम नई पीढ़ी को जीवनदान दे सकते हैं।
मोदी के नेतृत्व ने स्वच्छता को जनांदोलन बना दिया!
साफ-सफाई के बहुआयामी लाभों के बावजूद भारत इस मामले में पिछड़ा रहा तो इसका कारण यह है कि आजाद भारत की सरकारों की प्राथमिकता सूची में स्वच्छता को कभी जगह ही नहीं मिली। साफ-सफाई को जनांदोलन का रूप नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कुप्रवृत्ति को बदल दिया। “मोदी है तो मुमकिन है” का ही नतीजा है कि आज पूरा देश स्वच्छता के प्रति सजग हो चुका है।
बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में अव्वल मोदी सरकार
बिजली, स्वच्छता और सड़क ये बेहद जरूरी बुनियादी सुविधायें हैं और मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में इन मोर्चों पर उल्लेखनीय कार्य किया है, जिसे खारिज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मोदी सरकार द्वारा किये गये कार्य आंकड़ों के आईने में साफ-साफ नज़र आ रहे हैं।
स्वच्छता को आदत बनाने की दिशा में सफलतापूर्वक बढ़ रही मोदी सरकार
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को गाँधी जयंती के अवसर पर की थी। इस गांधी जयंती के दिन स्वच्छ भारत अभियान के चार वर्ष पूरे हुए। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आकड़ो और तथ्यों के आलोक में इस योजना की दिशा व दशा पर विमर्श हो।
लोगों में स्वच्छता की ‘आदत’ विकसित करना है मोदी सरकार का मुख्य लक्ष्य
केंद्र सरकार स्वच्छता को सिर्फ़ साफ़-सफ़ाई रखने के भौतिक उपादानों तक सीमित न कर के लोगों में इसे एक आदत के रूप में विकसित करना चाहती है। सरकार का सबसे बड़ा उद्देश्य लोगों को साफ़-सफ़ाई के बारे में जागरूक कर उसे लोगों के जीवन में उतारने का है, जिसके लिए प्रधानमंत्री लगातार प्रयासरत हैं। सरकार
जानिए, स्वच्छ भारत अभियान से कैसे बदल रही देश की तस्वीर !
2 अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया। यह क्रांति विचारों की या बल प्रदर्शन की नहीं बल्कि जनजागरूकता और नागरिकता बोध को लेकर उठाए गए कदम की थी। यह क्रांति आदतों की थी, व्यवहार की थी, आचरण की थी। इसका संबंध स्वास्थ्य से और सलीके से था। यह क्रांति सफाई की थी। स्वच्छ भारत अभियान का आरंभ इस दिन से हुआ और तीन साल में यह एक विराट
गाँधी के स्वच्छ भारत के सपने को कांग्रेस ने अनदेखा किया, मोदी सरकार कर रही पूरा
महात्मा गाँधी ने एक “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था। वह चाहते थे कि भारत एक स्वच्छ देश के रूप में जाना जाये, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी अभी भारत को स्वच्छ नहीं बनाया जा सका है। चूंकि, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारें स्वच्छता के महत्व को समझी ही नहीं। महात्मा गांधी के इस अधूरे सपने को पूरा करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को देश के सभी लोगों से इस अभियान से जुडने की अपील
‘शौचालय क्रांति’ लाने में कामयाब रही मोदी सरकार
भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद में आकंठ डूबी और जाति-धर्म की राजनीति करने वाली कांग्रेसी सरकारों ने साफ-सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेकारी जैसी जमीनी समस्याओं की ओर बहुत कम ध्यान दिया। दूसरे शब्दों में कांग्रेसी सरकारें सत्ता की राजनीति से आगे नहीं बढ़ पाईं। इसका नतीजा यह हुआ कि अपने नागरिकों को स्वच्छता की सुविधाएं मुहैया कराने में भारत पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका से ही नहीं युद्ध गस्त देश
सफलता की ओर स्वच्छ भारत अभियान, स्वच्छता के प्रति बढ़ रही जन-जागरूकता
2 अक्टूबर यानी गाँधी जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना “स्वच्छ भारत अभियान” ने अपनी सफलता के दो वर्ष पूरे कर लिए। जैसा कि हमें पता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था, जो अब तक अधूरा है, इसे पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ने इस योजना को शुरू किया था। गौरतलब है कि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है, एक के बाद एक ऐसी योजनाओं का