भाषा के प्रति बाबा साहेब का राष्ट्रीय दृष्टिकोण
बाबा साहेब भाषा के प्रश्न को केवल भावुकता की दृष्टि से नहीं देखते थे। बल्कि उनके लिए भाषा को देखने का राष्ट्रीय दृष्टिकोण था। संस्कृत हो या फिर हिन्दी, दोनों भाषाओं के प्रति उनकी धारणा थी कि ये भाषाएं भारत को एकसूत्र में बांध कर संगठित रख सकती हैं और किसी भी प्रकार के भाषायी
अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस पर विशेष : वैश्विक स्तर पर हिन्दी का विस्तार
भारत के इन 75 प्रतिशत हिंदी भाषियों सहित पूरी दुनिया में लगभग 80 करोड़ लोग ऐसे हैं जो इसे बोल या समझ सकते हैं। भारत के अलावा हिन्दी को नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, यूगांडा, दक्षिण अफ्रीका, कैरिबियन देशों, ट्रिनिदाद एवं टोबेगो और कनाडा आदि में बोलने वालों की अच्छी खासी संख्या है। इसके अलावा इंग्लैंड,
हिंदी दिवस विशेष : भारत की सांस्कृतिक विविधता की सच्ची प्रतिनिधि है हिंदी
किसी भी समाज की सांस्कृतिक पहचान का आधार उसकी भाषा में सन्निहित होता है। वस्तुतः भाषा ही वो प्राणतत्व होती है, जो किसी संस्कृति को काल के निर्बाध प्रवाह में भी सतत जीवंत और गतिशील रखती है।
प्रेमचंद : जो अपनी साहित्यिक जिम्मेदारी और सामाजिक आवश्यकता दोनों को ही भलीभांति समझते थे
साहित्यकार नग्न-से-नग्न सत्य को भी सौंदर्य में आवेष्टित कर प्रस्तुत करता है। वह अपने ढ़ंग से ‘सत्यं शिवम सुंदरम’ की स्थापना करता है। प्रेमचंद ने भी यही किया।
जम्मू-कश्मीर में लिखी जा रही परिवर्तन की पटकथा की महत्वपूर्ण कड़ी है नयी भाषा नीति
पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘जम्मू कश्मीर अधिकारिक भाषा बिल 2020’ को पारित करते हुए जम्मू-कश्मीर के लिए नयी भाषा नीति की घोषणा कर दी गयी।
जम्मू-कश्मीर में हिंदी, कश्मीरी और डोगरी को आधिकारिक भाषा बनाए जाने के निहितार्थ
सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय की वजह से ना सिर्फ जम्मू कश्मीर के लोगों में समानता का भाव बढ़ेगा बल्कि हिंदी के आधिकारिक भाषा बनने से देश के अन्य नागरिकों के साथ उपजे भेदभाव को भी मिटाने में मदद मिलेगी।
राष्ट्र की प्रगति के लिए हिंदी की सर्वस्वीकार्यता आवश्यक
गृहमंत्री अमित शाह के हिंदी के पक्ष में प्रस्तुत वक्तव्य–‘भारत’ विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है मगर पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वह सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही है।‘– का विरोध करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य नेताओं को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का यह कथन स्मरण रखना चाहिए कि
हिंदी दिवस : वैश्विक फ़लक पर लोकप्रिय होती हिंदी
देश में सबसे अधिक बोली, समझी और लिखी जाने वाली भाषा हिंदी है। विश्व में भी यह चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। भले ही अग्रेज़ीदाँ मानसिकता वाले अँग्रेजी को सर्वश्रेष्ठ भाषा मानते हैं, लेकिन दैनिक भास्कर, जो एक हिंदी दैनिक है, सबसे अधिक सर्कुलेशन वाला अखबार है। दूसरे स्थान पर भी हिंदी अखबार दैनिक जागरण काबिज है। टीवी पर भी सबसे अधिक हिंदी के समाचार, विज्ञापन एवं कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक, सोशल और वेब मीडिया पर भी हिंदी का ही बोलबाला है।
हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने की कोशिशों में जुटी मोदी सरकार !
लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया, “भारत सरकार हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने को लेकर गंभीरता से प्रयासरत है। वो इस पहल में अपने साथ मारीशस और फीजी को भी जोड़ रही है।” संयुक्त राष्ट्र में चीनी, अंग्रेजी, अरबी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश को ही आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। 1945 में संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाएँ केवल चार
हिंदी के विश्वविद्यालयी पाठ्यक्रम में बदलाव की जरूरत
सन् 1990 ई. में हिंदी में औपचारिक नामांकन हुआ. बी.ए, एम.ए, एम.फिल, पीएच. डी. फिर अध्यापन। समय बदला, देश का मिजाज बदला, पर हिंदी के विश्वविद्यालयी पाठ्यक्रम का स्वर नहीं बदला। वही प्रलेस, जलेस-मार्का कार्यकर्ता-अध्यापक लोग, वही पात्रों के वर्ग-चरित्र की व्याख्याएँ, वही द्वन्द्व खोजने की वृत्ति बनी रही। बदलने के नाम पर यौनिकता, लैंगिकता, स्त्री-देह और जातिवाद पर शोध करने को बढ़ावा देने की वृत्ति बढ़ी।