1 जुलाई 2016 भारतीय सेना के साथ-साथ देश के सभी जनमानस के लिए भी गौरव का दिन था। एक लंबे इंतजार के बाद स्वदेशी तकनीकी से निर्मित लाड़कू विमान ‘तेजस’ को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। इससे भारतीय वायु सेना को न केवल धार मिलेगी बल्कि रफ्तार भी तेज़ होगी ।विगत कुछ सालों से रसियन तकनीकी द्वारा तैयार मिग विमान जिस प्रकार से दुर्घटना ग्रस्त हो रहे थे यह सेना के लिए चिंताजनक स्थिति थी । लेकिन यह उपलब्धी भारतीय वायु सेना की ताकत को और मजबूत करने के साथ उस चिंता को भी दूर किया। बहरहाल , तेजस निर्माण का स्वप्न आज का नहीं है भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा 1970 में ही इसके बारे में विचार करना शुरू कर दिया गया था। यह पहला मौका था जब भारतीय वायु सेना ने स्वदेशी विमान बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। और 1985 में वायुसेना ने स्वदेश में निर्मित लड़ाकू विमान से होने वाले फायदे की सूचि सरकार को दी। उस समय सरकार से यह अपेक्षा की जा रही थी कि आगामी दस वर्षों में भारतीय सेना को तेजस की सौगात मिल जाएगी। लेकिन उस वक्त की मौजूदा सरकार की दिशाहीन रवैया के कारण ऐसा नहीं हो पाया और तेजस ने अपनी पहली उड़ान 2001 में भरी, जब केन्द्र में राजग़ नीति की सरकार थी।
कुछ लोग इसे महज संयोग कह सकते हैं लेकिन यह दृढ़ इच्छा शक्ति का विषय है। तत्कालीन सरकार के साथ-साथ देश की जनता की इच्छाओं का परिणाम ही था कि 2001 में तेजस अपने सपनों की उड़ान भर पाया। डेढ़ दशक लंबे इंतजार के बाद अंततः शुक्रवार को दो ऐसे विमान भारतीय वायुसेना के बंगलुरु स्थित स्क्वैड्रन को सौंपे गए।जो स्वदेशी निर्मित हैं, इस विमान की विशेषताओं पर नजर डालें तो यह फ्रांस में निर्मित मिराज-2000 से कहीं ज्यादा बेहतर है। सर्व सुविधाओं से युक्त इस विमान की सबसे बड़ी विशेषता विद्युत द्वारा संचालित होने वाला रडार है,अत्याधुनिक युद्ध उपकरण है और उड़ान के दौरान ही ईंधन भरने की सुविधा से युक्त है। यह नयी तकनीकी से निर्मित मिसाइलों को ढोने में भी सक्षम है। यह भारतीय सेना की युद्ध क्षमता में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ भारतीय अर्थ व्यवस्था के अनुरूप है। एक अनुमान के मुताबिक प्रति विमान 275 से 300 करोड़ रुपए खर्च होंगे। विशेषज्ञों ने चीन की मदद से बने पाकिस्तानी लड़ाकू विमान जेएफ-17 से कई गुना बेहतर तेजस को माना है। अतः इस बात को स्वीकार करने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होना चाहिए कि यह भारतीय इतिहास में राष्ट्र गौरव का दिन है। भारत की इस उपलब्धि के बाद दक्षिण एशिया में बढ़ती चीन की ताकत पर विराम लगेगा पाकिस्तान पर भी नकेल कसेगा। फिलहाल दक्षिण एशिया में विस्तारवादी चीन और आतंक को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान की दोस्ती खतरा बनता जा रहा था, जाहिर है इस कदम के बाद दोनों की गतिविधियों पर बहुत हद तक विराम लग जाएगा। तेजस के सेना में पदार्पण के बाद देश में स्वदेशी तकनीकी से निर्मित हथियारों को बनाने की परियोजनाओं को बल मिलेगा, और हथियारों के वैश्विक बाजार में भारत की उपस्थिति भी मजबूत होगी।
(लेखक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान में रिसर्च एसोसिएट हैं)