अब अगर आपकी कॉल ड्राप होती है या कोई नेटवर्क की समस्या आती है अथवा भारतीय डाक विभाग से सम्बंधित कोई समस्या हैं, तो इसके लिए अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि, भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय ने संचार सम्बन्धी किसी भी तरह की समस्या की शिकायत के लिए माइक्रोब्लोगिंग साईट ट्विटर के साथ मिलकर ‘ट्विटरसेवा’ के रूप में एक नई शिकायत प्रणाली की शुरुआत की है। इसके लिए आपको अधिक कुछ नहीं करना, बस अपनी शिकायत लिखकर उसे हैशटैग ट्विटर सेवा (#twittersewa) के साथ ट्विट कर देना होगा। मंत्रालय की प्रणाली उसमें से चुनिन्दा शब्दों को उठाकर उसे विभाग के सम्बंधित अधिकारियों तक पहुंचा देगी। यही नहीं, आपकी शिकायत को अधिकारी अनदेखा भी नहीं कर सकेंगे क्योंकि, जबतक उसका निवारण नहीं हो जाएगा, वो ब्लिंक करती रहेगी।
इसकी राह में सरकार को चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा, क्योंकि शिकायतों के उचित-अनुचित होने की पुष्टि करने की कोई व्यवस्था इस प्रणाली में नहीं होती। अतः तमाम फर्जी या अनुचित शिकायतें भी आ सकती हैं। जैसे कि रेलवे में अनुप्रयोगित ऐसी ही ट्विटर सेवा का इस्तेमाल करते हुए एकबार एक यात्री ने अपने बच्चे के लिए दूध और डाइपर की मांग कर दी थी। उसकी मांग पूरी तो हुई, पर यह बात सामने आने के बाद ऐसी मांग करने के लिए सोशल मीडिया आदि पर उसकी खूब आलोचना भी हुई। इस तरह की चुनौतियां दूरसंचार मंत्रालय की ट्विटर सेवा के साथ भी आ सकती है, मगर इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है और मोदी सरकार इसमें सक्षम भी दिखती है।
इन शिकायतों को तत्काल, मध्यम और दीर्घावधि की श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा, जिससे इनके निपटारे में सहजता रहे। ये जानकारियाँ केंद्र सरकार के दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा द्वारा दी गईं। ज्ञात हो कि इससे पहले रेलवे, वाणिज्य, विदेश आदि मंत्रालय ट्विटर के साथ मिलकर इस तरह की शिकायत प्रणाली की शुरुआत कर चुके हैं और यह प्रणाली काफी सफल भी रही है। इसके आने के बाद उम्मीद है कि कॉल ड्रॉप, नेटवर्क की दिक्कतों, बैलेंस कटना, आदि तमाम समस्याओं से उपभोक्ताओं को काफी हद तक राहत मिलेगी तथा सम्बंधित कंपनियों की मनमानियों पर भी अकुश लगेगा। इस नाते यह सरकार का एक बेहतरीन और स्वागत योग्य कदम कहा जा सकता है।
हालाकि इस ट्विटर सेवा के क्रियान्वयन की राह में सरकार को चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा, क्योंकि शिकायतों के उचित-अनुचित होने की पुष्टि करने की कोई व्यवस्था इस प्रणाली में नहीं होती। अतः तमाम फर्जी या अनुचित शिकायतें भी आ सकती हैं। जैसे कि रेलवे में अनुप्रयोगित ऐसी ही ट्विटरसेवा का इस्तेमाल करते हुए एकबार एक यात्री ने अपने बच्चे के लिए दूध और डाइपर की मांग कर दी थी। उसकी मांग पूरी तो हुई, पर यह बात सामने आने के बाद ऐसी मांग करने के लिए सोशल मीडिया आदि पर उसकी खूब आलोचना भी हुई। इस तरह की चुनौतियां दूरसंचार मंत्रालय की भी ट्विटरसेवा के साथ आ सकती है, मगर इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है और यह सरकार इसमें सक्षम भी दिखती है। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अक्सर कहा जाता रहा है कि शासन-प्रशासन के तौर-तरीकों में अधिकाधिक रूप से तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए। अब उनकी सरकार के मंत्रियों द्वारा एक के बाद एक शिकायत प्रणाली के रूप में ट्विटर का इस्तेमाल कहीं न कहीं उनकी इसी बात के क्रियान्वयन को दिखाता है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)