मोदी सरकार ने अपने इस बहुआयामी अंतरिम बजट में केवल आय-व्यय का ब्यौरा ही नहीं रखा, वरन नए भारत के निर्माण के लिए अपना एक विजन भी प्रस्तुत किया जिसमें आशा की गयी है कि आगामी 10 साल में भारत विश्व के विकसित देशों की कतार में शामिल हो। ऐसा शायद पहली ही बार देखा गया है कि आम चुनाव से पहले किसी सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया और उसके साथ ही अगले दस सालों के लिए अपना रोडमैप भी समानांतर रूप से रखा हो।
गत 1 फरवरी को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपना अंतरिम बजट संसद में पेश किया। इसमें आयकर में दी गई बड़ी छूट के अलावा अन्य कई ऐसी बातें शामिल थीं जो कि देश की जनता के लिए राहत लेकर आईं। हालांकि इन पर अधिक बात नहीं हो पाई। मोदी सरकार का यह बजट सर्वहितैषी और समावेशी कहा जा सकता है, क्योंकि इसमें अन्नदाता किसान से लेकर मतदाता और करदाताओं का भी विशेष ध्यान रखा गया है।
कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आयकर संबंधी बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि अब 5 लाख रुपए तक की सालाना आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा। निश्चित ही यह व्यापारी एवं किसान वर्ग के लिए एक बड़े महत्व की खबर है। गोयल ने यह भी जानकारी दी कि अब बैंकों में एफडी पर जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज पर 40 हजार रुपए तक की राशि तक कोई टैक्स नहीं लगेगा।
यह निश्चित ही उन नौकरीपेशा लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण घोषणा है जो अपनी आय में से बचत करके एफडी में पैसा निवेश करते हैं। इतना ही नहीं, मोदी सरकार ने अपने इस बहुआयामी अंतरिम बजट में केवल आय-व्यय का ब्यौरा ही नहीं रखा, वरन नए भारत के निर्माण के लिए अपना एक विजन भी प्रस्तुत किया जिसमें आशा की गयी है कि आगामी 10 साल में भारत विश्व के विकसित देशों की कतार में शामिल हो। ऐसा शायद पहली ही बार देखा गया है कि आम चुनाव से पहले किसी सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया और उसके साथ ही अगले दस सालों के लिए अपना रोडमैप भी समानांतर रूप से रखा हो।
असल में, मोदी सरकार नए भारत के लिए अपने दस सूत्रीय कार्य-योजना को लेकर आगे बढ़ रही है जिसके मूल में सबका साथ और सबका विकास केंद्रीय विचार कार्य कर रहा है। मोदी सरकार के विज़न में सबसे पहली प्राथमिकता देश से गरीबी और कुपोषण को दूर करना है। स्वच्छता के साथ ही साक्षरता को भी स्थापित करने की बात कह रहे हैं।
इसके बाद क्रम आता है अर्थव्यवस्था का। निश्चित ही आज भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, सुधर रही है। बीते साल के अंत में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत का बेहतर पायदान पर आना इस बात का प्रमाण है। केंद्र सरकार का उद्देश्य मौजूदा अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का है। गांवों और शहरों में विकास के नाम पर कोई भेदभाव ना रहे और विकास के कारण बसावटें ना पिछड़ें, इसे ध्यान में रखते हुए अधोसरंचनात्मक दिशा में कार्य करना सरकार का अगला लक्ष्य है।
देश के युवाओं को बेहतर भविष्य मिले, इस कामना के चलते मोदी सरकार देश में स्टार्ट अप्स संस्कृति को और आगे ले जाना चाहती है। मूल उद्देश्य यही है कि देश में लाखों की संख्या में नए रोज़गार पैदा हों और स्वरोजगार की भावना पनपे। विजन यह भी है कि देश में डिजिटल क्रांति अपने आगामी सोपान पार करे।
देश का युवा अधिक से अधिक संख्या में डिजिटल इंडिया से जुड़े और इससे लाभान्वित हों। सोलर ऊर्जा पर विशेष ध्यान देना सरकार की नजर में है। यही कारण है कि नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिकल वाहनों पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है ताकि देश को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सके।
देश में महानगरों में आज प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है। इतना ही नहीं, प्रदूषण की यह समस्या अब छोटे शहरों में भी पैर पसार चुकी है। ऐसे में नवीकरणीय ऊर्जा ही भविष्य का एकमात्र विकल्प है। अच्छी बात है कि सरकार इस दिशा में ना केवल जागरूक है, बल्कि सक्रियता से काम भी कर रही है।
मोदी सरकार के विजन में ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलना खास स्थान रखता है। सरकार चाहती है कि देश का ग्रामीण युवा स्वयं योग्य बने। वह डिजिटल तकनीकों का प्रयोग करना सीखे और गांवों में ही नौकरियां दे सके। जहां तक मूलभूत सुविधाओं की बात है, सरकार पेयजल की उपलब्धता को लेकर गंभीर है।
विजन में सुरक्षित एवं साफ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी एक बड़ा लक्ष्य है। पेजयल जनित बीमारियों पर लगाम लगाने के साथ ही, पेयजल का संकट ना बने, इस दिशा में भी सरकार प्रयासरत है। पेयजल के अलावा किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना भी सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है। लघु सिंचाई तकनीकों को इस्तेमाल में लाते हुए सिंचाई में पानी का सदुपयोग करना और बेहतर परिणाम प्राप्त करना अपेक्षित है। आंतरिक विकास और अधोसंरचना के अलावा देश की सीमाओं की सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर भी सरकार चौकस और सजग है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विजन डाक्युमेंट में भारत के तटीय एवं समुद्री रास्तों के ज़रिये देश के विकास को गति देने का संकल्प लिया है। जहां तक खेती-किसानी की बात है, सरकार का यहां जैविक खेती को लेकर अभी भी जोर देना कायम है। पिछले एक दशक में जैविक खेती की संस्कृति पनपी है और खेती को लाभ का धंधा बनाने की कवायद रंग लाती नज़र आई है।
स्वदेशी उत्पादन पर भी सरकार अधिक ध्यान देना चाहती है। अब खाद्यान्न उत्पादन और इसके निर्यात में भारत को आगे लाना भी एक लक्ष्य है। वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की मौजूदगी एक उन्नतिशील राष्ट्र के रूप में रहे, इसके लिए वर्ष 2022 तक अंतरिक्ष कार्यक्रम गगनयान का विस्तार करना सरकार के लक्ष्य में शामिल है और साथ ही भारतीय यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना भी अपेक्षित है।
सरकार ने पिछले साल देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान की शुरुआत की थी। अब सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के माध्यम से देश को सेहतमंद बनाया जाए और इसका प्रचार-प्रसार करते हुए इसमें महिलाओं की सहभागिता को भी बढ़ाया जाए।
इसी मंशा के साथ सरकार वर्ष 2014 से तय कार्ययोजना और रूपरेखा के साथ काम करती आ रही है। आगामी समय में भी सरकार का ध्येय सर्वहिताय, सर्वसुखाय की तर्ज पर सर्वसमावेशी और सर्वहितैषी नीतियों के क्रियान्वयन का है, ताकि भारत विकसित देशों की कतार में जगह बना सके।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)