बीते रोज योगी ने सभी मुख्यमंत्रियों की ऑनलाइन उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रदेश में अब तक किये गए कार्यों की जानकारी दी जिसके इसके अनुसार अब तक कुल बत्तीस लाख श्रमिकों व निराश्रित व्यक्तियों को एक हजार रुपये जनधन खातों के माध्यम से प्रदान किये गए हैं। अब तक करीब तीन सौ पन्द्रह करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता वितरित की जा चुकी है। इनमें निर्माण कार्य से जुड़े नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिक शामिल हैं। सरकार द्वारा प्रदेश की पैंतालीस हजार ग्राम पंचायतों में कार्यरत करीब तेईस लाख मनरेगा श्रमिकों को देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक भुगतान किया गया है।
लॉक डाउन की शुरुआत के समय से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपदा राहत अभियान शुरू कर दिया था। उन्होंने गरीबों के लिए राशन, भरण पोषण भत्ता, कम्युनिटी किचेन; प्रवासी श्रमिकों व विद्यार्थियों की वापसी, आश्रय स्थलों के निर्माण, कोरोना जांच व इलाज के लिए अस्पतालों में विशेष व्यवस्था आदि की दिशा में अनेक कारगर कदम उठाये हैं। कार्य योजना को संचालित करने के लिए उच्च अधिकारियों की टीम-11 का गठन शुरू में ही कर दिया गया था।
जिला प्रशासन से लेकर ग्राम प्रधान तक योगी आदित्यनाथ स्वयं फीड बैक ले रहे और आवश्यक निर्देश दे रहे हैं। इस प्रकार योगी ने कोरोना से मुकाबले के लिए प्रशासनिक मशीनरी का प्रभावी नेटवर्क विकसित कर लिया है। इन प्रयासों की राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा भी हो रही है।
बीते रोज योगी ने सभी मुख्यमंत्रियों की ऑनलाइन उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रदेश में अब तक किये गए कार्यों की जानकारी दी जिसके इसके अनुसार अब तक कुल बत्तीस लाख श्रमिकों व निराश्रित व्यक्तियों को एक हजार रुपये जनधन खातों के माध्यम से प्रदान किये गए हैं। अब तक करीब तीन सौ पन्द्रह करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता वितरित की जा चुकी है। इनमें निर्माण कार्य से जुड़े नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिक शामिल हैं। सरकार द्वारा प्रदेश की पैंतालीस हजार ग्राम पंचायतों में कार्यरत करीब तेईस लाख मनरेगा श्रमिकों को देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक भुगतान किया गया है।
खाने-पीने की वस्तुओं की कमी न हो तथा इसके कारण कोई भीड़ न उमड़े, इसके लिए सरकार द्वारा करीब चौवालीस हजार वाहनों के माध्यम से फल, सब्जी एवं आवश्यक वस्तुओं का वितरण भी कराया जा रहा है। साथ ही, ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के तहत सवा तीन करोड़ राशन कार्डों पर खाद्यान्न वितरित कराया गया है। राज्य सरकार की योजना है कि कार्डधारकों को एक माह के लिए चना दाल भी उपलब्ध करायी जाएगी।
इस आपदा काल में अपनी उपज की बिक्री को लेकर किसानों को समस्या न हो, इसके लिए करीब छह हजार सरकारी क्रय केन्द्रों के माध्यम से अब तक बाइस लाख से अधिक किसानों से करीब इक्कीस लाख कुन्तल गेहूं की खरीद की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त मण्डी से करीब बाइस लाख कुन्तल गेहूं की खरीद हो चुकी है। इसके अलावा तेईस सौ टन चना एवं सवा सौ टन सरसों की भी खरीद की गई है।
पांच हजार से अधिक गोसंरक्षण केन्द्र बनाये गए जिसमें करीब पांच लाख निराश्रित गोवंश को संरक्षित किया गया है। इनके लिए चारे एवं भूसे की आपूर्ति सभी जनपदों में सुनिश्चित की गई है। प्रदेश में भूसे की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से करीब ढाई हजार भूसा बैंकों की स्थापना की गई है। पशु पक्षियों की आकस्मिक चिकित्सा एवं उनके आहार का समुचित प्रबन्धन भी किया जा रहा है।
आम लोगों तक तुरंत राहत व सुविधा पहुंचे, इसके लिए योगी सरकार ने राज्य स्तरीय कण्ट्रोल रूम स्थापित किया है। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तथा एकीकृत आपदा नियंत्रण केन्द्र भी संचालित किया जा रहा है। इनके माध्यम से चौबीसों घण्टे लोगों को समस्याओं का समाधान हो रहा है।
राज्य में कोरोना की जांच व इलाज की दिशा में भी योगी सरकार तेजी से काम कर रही है। करीब तीन लाख लोग अभी तक निगरानी पर रखे गए हैं। सत्तावन लाख घरों का सर्वे किया जा चुका है। सर्वे किए गए घरों में कुल व्यक्तियों की संख्या करीब तीन करोड़ है। प्रदेश में कोविड टेस्टिंग हेतु छब्बीस सरकारी लैब संचालित हैं। राज्य में 53500 आइसोलेशन बेड, 22500 क्वारंटीन बेड तथा सोलह सौ से अधिक वेन्टीलेटर बेड उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
इसके अतिरिक्त लेवल वन के करीब सवा दो सौ, लेवल टू के पचहत्तर व लेवल तीन के पच्चीस कोविड चिकित्सालय स्थापित किए गए हैं। प्रदेश के सभी पचहत्तर जनपदों के लेवल टू कोविड अस्पतालों में वेन्टीलेटर की व्यवस्था की गई है। सभी कोविड अस्पतालों में पीपीई किट तथा एन-95 मास्क की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है। साथ ही, कोरोना संक्रमितों की जानकारी प्राप्त करने के लिए पूरे प्रदेश में करीब अड़सठ हजार स्वास्थ्य दल क्रियाशील किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त प्रत्येक गांव एवं शहर में निगरानी समितियां गठित की गई हैं। इसके अतिरिक्त बाइस सौ से अधिक चिकित्सकों द्वारा प्रतिदिन टेलीमेडिसिन के द्वारा रोगियों को परामर्श दिया जा रहा है। बाहर से आ रहे निवासियों हेतु अब तक करीब पंद्रह आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं जिसकी क्षमता बारह लाख से अधिक है।
उद्योगों की बात करें तो ग्रीन जोन में स्थित उद्योगों को शुरू कर दिया गया है। प्रदेश में करीब छियानवे हजार औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पादन प्रारम्भ कर दिया गया है। इनमें करीब सोलह लाख श्रमिक कार्यरत हैं। वहीं नौ लाख से ज्यादा श्रमिकों को होम क्वारंटीन में भेजा गया है, जिसमें से सात लाख श्रमिक अपना होम क्वारंटीन पूरा भी कर चुके हैं। उनको रोजगार देने की तैयारी चल रही है। आरेंज जोन में भी केंद्र सरकार की गाइड लाइन के मुताबिक काम शुरू किया जा रहा है।
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी जैसे देश की सर्वाधिक आबादी वाले अत्यंत सघन राज्य में जिस प्रकार से हर मोर्चे पर कोरोना आपदा से निपटने के लिए कार्य कर रही है, उससे देश के अन्य राज्यों को प्रेरणा लेनी चाहिए।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)