प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिवसीय जापान यात्रा पर हैं। मोदी के इस दौरे के दौरान दोनों देशों द्वारा असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस करार के बाद भारत को जापान से परमाणु बिजली प्लांट की स्थापना, जरूरी ईंधन, उपकरण और तकनीक आदि मिलने का रास्ता खुला है। दोनों देशों के बीच इस समझौते पर बातचीत का दौर लंबे समय से चल रहा था। पिछले साल जब जापान के प्रधानमंत्री भारत आए थे, तभी इस समझौते को लेकर सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई थी। हालांकि कुछ पेंच तब भी बाकी रह गए थे, जिसके कारण तब दोनों देशों के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए। इस समझौते से 48 देशों के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता की भारत की कोशिश को बल मिलेगा। इसके अलावा दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में 9 समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए है।
भारत, परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के दायरे से बाहर ऐसा पहला देश है, जिसके साथ जापान ने असैन्य एटमी ऊर्जा सहयोग के करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते से एटमी बिजली परियोजनाओं के माध्यम से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करके भारत तेज विकास की राह लेगा। दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जापान की सरजमीं से भारत के लोगों को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान पीएम ने कहा कि इस करार से भारत को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
इस समझौते को भारत के विकास की गति के लिए एक बूस्टर कहें तो गलत नहीं होगा। क्योंकि, इससे भारत की ऊर्जा क्षमता में बड़ी वृद्धि होगी जो निश्चित तौर पर उसके विकास को रफ़्तार देगी। भारत, परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के दायरे से बाहर ऐसा पहला देश है, जिसके साथ जापान ने असैन्य एटमी ऊर्जा सहयोग के करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते से एटमी बिजली परियोजनाओं के माध्यम से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करके भारत तेज विकास की राह लेगा। इस प्लांट के लगने से भारत के ग्रामीणों इलाकों का विकास तेजी से होगा। दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जापान की सरजमीं से भारत के लोगों को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान पीएम ने कहा कि इस करार से भारत को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
इस दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को लेकर भी महत्वपूर्ण समझौता किया है। दोनों देशों के बीच विनिर्माण कौशल हस्तांतरण प्रोत्साहन कार्यक्रम को लेकर एक अहम करार किया गया है, जिसके तहत दस साल में 30 हजार भारतीय युवाओं को जापानी विनिर्माण शैली का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही इसरो और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाशा के बीच उपग्रहों की खोज, संयुक्त मिशन चलाने, समुद्री और पृथ्वी विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कृषि, मत्स्यपालन, कपड़ा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और परिवहन व शहरी विकास के निवेश और ढांचागत विकास के समझौतों पर भी दस्तखत किए गए है। इन समझौतों का सीधा फायदा युवाओं को मिलेगा, प्रशिक्षण लेकर युवा किसी बड़े संस्थान में नौकरी तो कर ही सकते है, साथ ही कम पूंजी में अपना व्यवसाय भी चालू कर सकते हैं। यहां पर प्रधानमंत्री मोदी के नजरिए की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है, क्योंकि पूरे विश्व में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा भारत में है और युवाओं का प्रशिक्षित होना भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। इन सब बातों को देखते हुए कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री का ये जापान दौरा भारत के लिए हर लिहाज से लाभकारी है।
(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)