अगर ये स्टिंग सही साबित होता है, तो ये पकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने में एक पुख्ता सुबूत के रूप में भी काम कर सकता है। जहाँ एक ओर सरकार कश्मीर को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रयत्नशील है, तो वहीं कश्मीरियों के हितों के संरक्षण का का दावा करने वाले ये अलगाववादी नेता कश्मीर के आम लोगो का इस्तेमाल अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति हेतु कर रहे हैं। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि देश के उन तथाकथित सेकुलर दलों जो अक्सर कश्मीर मसले पर अलगाववादियों और पाकिस्तान से बातचीत के अलावा और कोई विकल्प न होने की पैरवी करते नज़र आते हैं, के मुँह पर भी यह स्टिंग एक तमाचे की तरह है।
यूँ तो देश में अक्सर ही कश्मीरी अलगाववादियों के पाक से संबंधों को लेकर चर्चा होती ही रहती है, लेकिन अभी हाल ही में आए इंडिया टुडे के एक स्टिंग ने इस सम्बन्ध में स्थिति को विशेष रूप से चर्चा में ला दिया है। कई बार ऐसा हुआ है कि अलगाववादियों की गतिविधियों से उनका देश विरोधी रवैया सामने आया है, मगर अब इस स्टिंग ने पूरी स्थिति को एकदम ससाक्ष्य रूप से स्पष्ट कर दिया है।
इंडिया टुडे द्वारा किये गये इस स्टिंग ऑपरेशन में यह दावा किया गया है कि कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए इन अलगाववादियों को सीमा पार यानी पाकिस्तान से मदद मिल रही है और खुद हाफिज़ सईद इन हिंसक गतिविधियों की योजना तैयार कर अलगाववादियों से इन्हें अंजाम दिलवाता है। गिलानी गुट के अलगाववादी संगठन के सदस्य नईम खान को स्टिंग के विडियो में यह साफ़ तौर पर कहते हुए देखा और सुना जा सकता है कि वे सीमा पार से पैसे की मदद लेते हैं और उन पैसों से कश्मीर में अशांति फ़ैलाने के इंतजाम करते हैं।
हुर्रियत, जेकेएलएफ़ आदि अलगाववादी संगठन के अहम सदस्यों (गाजी जावेद, फारूक अहमद) के सीधे नाम लेते हुए नईम ने कहा कि उनकी मर्ज़ी से ही यहाँ सब होता है। हिंसा फैलाने में उनका सहयोग होता है और स्कूल जलाने से लेकर (पत्थरबाजी आदि) अन्य हिंसक गतिविधियों में भी इन्ही का हाथ है। यह भी बात सामने आई कि ये फंडिंग सीधे तौर पर कश्मीर में नही होती, बल्कि दिल्ली में सुविधाजनक रूप से सारा लेन-देन किया जाता है। इसमें लिप्त लोग कोई और नहीं, बल्कि वही हैं जो ‘कश्मीरियत के संरक्षण’ का दावा पूरे देश में करते-फिरते हैं। इस स्टिंग पर राज्य के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा कि अलगाववादियों के सम्बन्ध में ऐसे मामले पहले भी आए हैं और दोषियों पर कार्यवाही हुई है, इसबार भी होगी।
गौरतलब है कि भारत की ओर से मोदी सरकार ने पहले ही पकिस्तान को एक आतंकी-पोषित देश घोषित करने की मांग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठा रखी है। ऐसे में, अगर ये स्टिंग सही साबित होता है, तो ये पकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने में एक पुख्ता साक्ष्य के रूप में भी काम कर सकता है।
जहाँ एक ओर सरकार कश्मीर को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रयत्नशील है, तो वहीं कश्मीरियों के हितों के संरक्षण का का दावा करने वाले ये अलगाववादी नेता कश्मीर के आम लोगो का इस्तेमाल अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति हेतु कर रहे हैं। ऐसे में, देश के उन तथाकथित सेकुलर दलों जो अक्सर कश्मीर मसले पर अलगाववादियों और पाकिस्तान से बातचीत के अलावा और कोई विकल्प न होने की पैरवी करते नज़र आते हैं, को अलगाववादियों के इस चेहरे को देखना चाहिए। संभव है कि उनके विचारों में कोई परिवर्तन आ जाए।
बहरहाल, फिलहाल ज़रूरी है कि कश्मीर की जनता अलगाववादियों की असलीयत को समझे और सरकार के साथ मिलकर इन अलगाववादियों को जड़ों से उखाड़ फेंके। अलगाववादी संगठनों के अंत के साथ ही कश्मीर की अधिकांश समस्याओं का अंत भी हो जाएगा और वहाँ के लोग भी देश के अन्य राज्यों के लोगों की तरह विकास की मुख्यधारा से जुड़कर आगे बढ़ पाएंगे।
(लेखिका पत्रकारिता की छात्रा हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)