कांग्रेसी विधायक और सपा सांसद के बयानों से फिर उजागर हुई विपक्ष की महिला विरोधी सोच

बीते दिनों देश में दो ऐसे बयान सामने आए जो विधायक व सांसद जैसे अहम पदों पर काबिज नेताओं द्वारा दिए गए। दोनों बयानों में नारी के प्रति संकीर्ण एवं दमनकारी सोच उजागर हुई। पहले कर्नाटक के कांग्रेसी विधायक ने दुष्‍कर्म जैसे घृणित अपराध पर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया, इसके बाद सपा सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने युवतियों के लिए विवाह की आयु 21 वर्ष किए जाने संबंधी प्रस्‍तावित कानून पर अनर्गल बात बोली। इन बयानों से यही जाहिर हुआ कि कांग्रेस हो या सपा, ये दल स्त्रियों को लेकर कैसी निकृष्ट सोच रखते हैं।

बीते दिनों देश में दो ऐसे बयान सामने आए जो विधायक व सांसद जैसे अहम पदों पर काबिज नेताओं द्वारा दिए गए। दोनों बयानों में नारी के प्रति संकीर्ण एवं दमनकारी सोच उजागर हुई। पहले कर्नाटक के कांग्रेसी विधायक ने दुष्‍कर्म जैसे घृणित अपराध पर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया, इसके बाद सपा सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने युवतियों के लिए विवाह की आयु 21 वर्ष किए जाने संबंधी प्रस्‍तावित कानून पर अनर्गल बात बोली। इन बातों से यही जाहिर हुआ कि कांग्रेस हो या सपा, ये दल स्त्रियों को लेकर कैसी निकृष्ट सोच रखते हैं।

कर्नाटक के कांग्रेस विधायक रमेश कुमार ने महिलाओं से जुड़ा एक आपत्तिजनक एवं विवादित बयान दिया। इस बार उन्‍होंने कहा कि जब दुष्‍कर्म होना ही है तो लेटकर उसका आनंद लीजिये। इसके बाद देश भर में निंदा और विरोध के स्‍वर गूंज उठे। रमेश कुमार ने जो कहा वह क्षमा के योग्‍य तो कतई नहीं है बावजूद हंगामा बढ़ने पर उन्‍होंने माफी मांग ली।

असल में रमेश कुमार ने पहली बार ऐसा नहीं कहा है। फरवरी 2019 में भी उन्‍होंने स्‍वयं की तुलना किसी दुष्‍कर्म पीड़िता से की थी। तब वे विधानसभा अध्‍यक्ष थे। बहुत आश्‍चर्य की बात है कि इस प्रकार की बीमार मानसिकता के लोग विधानसभा में बैठे हुए हैं।

यह भी शोध का विषय है कि ये नेता सार्वजनिक सभाओं में बैठकर इस तरह बोलते हैं, तो वे अपने जीवन में महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार कर रहे होंगे। यह वही कांग्रेस पार्टी है जो राजनीति में सबको नैतिकता का ज्ञान देती रहती है और जिसकी नेता प्रियंका गांधी ‘लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ’ जैसी डायलोगबाजी करती रहती हैं, लेकिन कर्नाटक के प्रकरण के बाद यही कांग्रेस अपने नेता पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकी।

यदि यह टिप्‍पणी गैर कांग्रेसी नेता ने दी होती तो अभी तक प्रियंका व राहुल सोशल मीडिया पर विरोध की बाढ़ ला चुके होते। कांग्रेस की चालाकी तो देखिये कि जब तब महिलाओं के प्रति अशोभनीय टिप्‍पणी करने वाली पार्टी के तथाकथित अगुवा नेता देश को नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं। बस वे अपने गिरेबान में ही नहीं झांक रहे हैं।

वैसे भी कांग्रेस का पुराना इतिहास रहा है महिलाओं पर अभद्र टिप्‍पणी करने का एवं महिलाओं के प्रति कांग्रेस की क्‍या सोच है, यह जगजाहिर है। अपने दल में भी कांग्रेस महिला पदाधिकारियों के प्रति क्‍या दृष्टिकोण रखती है यह भी किसी से छुपा नहीं है। स्‍वयं के महिला होने को भुनाकर चुनावी प्रचार करने वाली प्रियंका गांधी तब चुप हो जाती हैं जब राजस्‍थान या पंजाब जैसे कांग्रेस शासित राज्‍यों से महिलाओं के प्रति हुए अपराधों की खबरें सामने आती हैं।

कांग्रेस के दिग्‍गज नेता दिग्‍विजय सिंह ने अपनी ही पार्टी की महिला नेत्री को लेकर बहुत अशोभनीय टिप्‍पणी की थी। दिवंगत नेता एनडी तिवारी किन प्रकार के यौन मुकदमों से घिरे रहे, जगजाहिर है। स्‍वयं राहुल गांधी ने एक बार मंदिर जाने वाली युवतियों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। अतः महिलाओं को लेकर कांग्रेस की सोच कोई छुपी चीज नहीं है।

दूसरी तरफ, हाल ही में विवाह के लिए कन्‍याओं की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की बकायदा मुहर लग गई है। और इसे जल्द ही कानून बनाया जा सकता हैं। एक तरफ सरकार के इस कदम की सर्वत्र सराहना हो रही है क्‍योंकि इससे युवतियों को अपनी पढ़ाई, करियर आदि में समय देने का अवसर मिल सकेगा और सरकार की इस सोच को नारी सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्‍थर कहा जा रहा है लेकिन दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने इस पर अपनी विचित्र राय देकर यह साबित कर दिया है कि सपा आज भी महिलाओं के प्रति दमनकारी सोच रखती है।

कानूनी प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने महिलाओं के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। उन्होंने महिलाओं के लिए आवारगी शब्द का प्रयोग किया जिसके बाद विवाद बढ़ गया। शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा, ‘लड़कियों के विवाह की आयु बढ़ाए जाने से हालात बिगड़ेंगे, इससे उन्हें ज्यादा आवारगी का मौका मिलेगा। पहले जो 18 वर्ष की आयु थी वह भी काफी थी।‘

इस बयान को लेकर अब वे लोगों के निशाने पर आ गए हैं। आवारगी जैसे चलताऊ शब्‍द का उपयोग करना केवल यही इंगित करता है कि समाजवादी पार्टी की सोच आज भी वही है कि रेप करने वाले ‘लड़के हैं, गलतियां हो जाती हैं।‘ सपा का मूल चिंतन ही स्‍त्री विरोधी है। उन्‍हें हर बात में स्‍त्री का ही दोष दिखाई देता है।

सपा के ही आजम खान खुलेआम महिलाओं पर फिकरे कसते रहे और उन्‍होंने अभिनेत्री से नेत्री बनी जयाप्रदा के बारे में भी अश्‍लील टिप्‍पणी की थी। कांग्रेस और सपा नेताओं के इन विचारों की यदि मनोवैज्ञानिक पड़ताल की जाए तो पता चलेगा कि ये बातें मजाक में नहीं बोली गईं हैं। यह अवचेतन से निकली बात है। यह वास्‍तव में विकृत मानसिकता की प्रतीक है। हैरत है कि जनता के ये कथित प्रतिनिधि महत्‍वपूर्ण मंचों से ऐसे बयान कैसे दे सकते हैं। निश्चित ही इन बयानों के लिए इन्‍हें पूरी तरह से दोषी ठहराया जाना चाहिये और इनका समर्थन करने वालों की भी जवाबदेही तय की जाना चाहिये।

ऐसे बयानों का समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसी सोच दुष्‍कर्म जैसी वारदातों को बढ़ावा देती हैं। दुष्‍कर्म एक ऐसा गंभीर अपराध है जिसका किसी पीड़ि‍त महिला की मानसिकता पर लंबे समय तक के लिए दुष्‍प्रभाव पड़ता है। जब कोई नेता, विधायक या सांसद ऐसे घृणित बयान देता है तो महिला वर्ग पर क्‍या असर होता है, इसका इन नेताओं को अनुमान भी नहीं है। अक्‍सर लोग ऐसे बयानों को हंसी या मजाक बताकर उस समय जिम्‍मेदारी से बच निकलते हैं लेकिन अब समय आ गया है कि हमें ऐसे बयान देने वालों को न्‍याय के कटघरे में लाना चाहिए।

ऐसे गैर-जिम्‍मेदार बयान देने वालों के लिए बकायदा एक कानून बनाया जाना चाहिए। महिलाओं के लिए ऐसी अभिव्‍यक्ति मानसिक रूप से पीड़ादायी हैं। हमारे देश में कानून तो आगे बढ़ गया है लेकिन ऐसा मालूम होता है कि यह समाज अभी भी सोया हुआ है। आज भी ऐसे मामलों में उच्‍च पदों पर बैठे अधिकांश लोगों को कानून के बारे में कोई बुनियादी जानकारी नहीं है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)