रक्षा सौदों में घोटालों का कीर्तिमान कांग्रेस के नाम दर्ज है!

झूठे तथ्‍यों के आधार पर कांग्रेस पार्टी जिस तरह राफेल मुद्दे को उठा रही है उसे देखते हुए इसे झूठ पार्टी की संज्ञा दी जा सकती है। झूठ के सहारे सत्‍ता हासिल करने में कांग्रेस इतनी रम चुकी है कि वह देश के रक्षा मंत्रालय, वायुसेना और फ्रांस की सरकार के बाद देश की सर्वोच्‍च अदालत पर भी विश्‍वास नहीं कर रही है।

लंबे अरसे से कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के बहाने मोदी सरकार पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगा रहे हैं। पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनावों के प्रचार में कांग्रेस ने राफेल को बोफोर्स तोप की तरह इस्‍तेमाल किया और 2019 के आम चुनाव में भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की कवायद में जुटी थी लेकिन सर्वोच्‍च न्‍यायालय के फैसले ने उसकी उम्‍मीदों पर तुषारापात कर दिया।

सांकेतिक चित्र (साभार : जी न्यूज)

सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि न तो राफेल में संदेह है और न ही राफेल की गुणवत्‍ता पर कोई सवाल। राफेल खरीद में अपनाई गई प्रकिया पर भी सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने संतोष जताया।

कहा जा रहा कि राफेल मामले में कांग्रेस इसलिए छटपटा रही है क्‍योंकि इस सौदे में नेहरू-गांधी परिवार को कमीशन नहीं मिला। सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वढेरा के दोस्‍त संजय भंडारी की कंपनी आफसेट साल्‍यूशंस को मोदी सरकार ने 2014 में ही काली सूची में डाल दिया था। संजय भंडारी कांग्रेसी सरकार के दौर में रक्षा सौदों में दलाली करके कमीशन की रकम गांधी परिवार तक पहुंचाता रहा है। इसने राबर्ट वढेरा के लिए लंदन में 19 करोड़ रूपये का एक फ्लैट खरीदा है। राफेल खरीद से संबंधित गोपनीय दस्‍तावेज भंडारी के घर से निकले। सवाल यह उठता है कि ये संवदेनशील दस्‍तावेज वहां कैसे पहुंचे।

संजय भंडारी जैसे सैकड़ों दलालों के जरिए कांग्रेसी सरकारें रक्षा सौदों में भ्रष्‍टाचार करती रही हैं। इसीका नतीजा है कि उसके हर रक्षा सौदे में कोई ना कोई विदेशी अंकल, मामा, चाचा, भतीजा निकल ही आता था। इतना ही नहीं कांग्रेस रक्षा सौदों में राष्‍ट्रीय हितों को दरकिनार कर दलाली को प्राथमिकता देती रही है।

उदाहरण के लिए 2009 में भारतीय सेना ने सरकार से 1,86,000 बुलेटप्रूफ जैकेट की मांग की थी, लेकिन 2014 तक सेना के लिए जैकेट नहीं खरीदी गई। मोदी सरकार ने पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए 2016 में पचास हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीद की। अप्रैल, 2018 तक 1,86,000 जैकेट का आर्डर दिया जा चुका है। इस सौदे में कहीं भी भ्रष्‍टाचार की बू नहीं आई।  

कांग्रेसी सरकारों की यह खूबी है कि ये सरकारें दलालों के नेटवर्क पर ही चलती रही हैं। इसीलिए घोटाले भी खूब होते रहे हैं। यदि इन घोटालों की फेहरिश्‍त बनाई जाए तो लंबी-चौड़ी किताब बन जाएगी। हरिदास मूंदड़ा कांड, मारुति घोटाला, सेंट किट्स, हर्षद मेहता, चारा घोटाला, यूरिया घोटाला, टेलीकाम घोटाला, हवाला कांड, झारखंड मुक्‍ति मोर्चा मामला, चीनी घोटाला, आईपीएल, सत्‍यम जैसे अनगिनत घोटाले हुए और इन सभी में कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेताओं की भागीदारी रही। इसके बावजूद कुछेक अपवादों को छोड़ दिया जाए तो किसी भी घोटाले में गुनाहगारों को सजा नहीं मिली।

चूंकि कांग्रेस द्वारा समूचा झूठ लड़ाकू विमान राफेल को लेकर रचा जा रहा है, इसलिए कांग्रेसी सरकारों द्वारा किए गए कुछेक बड़े रक्षा सौदों में भ्रष्‍टाचार का उल्‍लेख प्रासंगिक होगा।

जीप घोटाला– आजाद भारत का पहला घोटाला रक्षा सौदे से ही संबंधित है। 1948 में पाकिस्‍तानी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ शुरू कर दी जिसे रोकने के उद्देश्य से सेना के लिए जीप खरीदने का निर्णय लिया गया। इसका जिम्‍मा लंदन में भारत के उच्‍चायुक्‍त वी के कृष्‍णा मेनन को सौंपा गया। 1949 में पूरा पैसा एडवांस देकर सेना के लिए 1500 जीप खरीदी गईं, लेकिन 155 जीप ही आईं, 1345 जीप कभी नहीं आईं। जो 155 जीपें आई थीं, उनको भी सेना पुरानी बताकर इस्‍तेमाल करने से मना कर दिया। इस मामले में वी के मेनन दोषी पाए गए लेकिन कार्रवाई के नाम कुछ नहीं हुआ और जल्‍दी ही मेनन नेहरू कैबिनेट में शामिल कर लिए गए।

बोफोर्स घोटाला– 1987 में स्‍वीडीश कंपनी बोफोर्स एबी से 155 मीमी के फील्‍ड होवित्‍जर तोपों की खरीद की गई। इस सौदे में 64 करोड़ रूपये की दलाली भारतीय नेताओं को दी गई। वर्षों तक चली सीबीआई जांच के बावजूद इस मामले में भी गुनाहगारों का पता नहीं चला।

अगस्‍ता वेस्‍टलैंड घोटाला-  अगस्‍ता वेस्‍टलैंड (एडब्‍ल्‍यू) 109 वीवीआईपी हेलीकॉप्‍टर की खरीद में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक आरोपों की आंच पहुँच गयी थी। अगस्‍ता डील में रिश्‍वत का मामला इटली की एक अदालत के फैसले से उजागर हुआ। कोर्ट ने पाया कि फिनमैकेनिका कंपनी ने डील करने के लिए भारतीय नेताओं-अधिकारियों को रिश्‍वत दी। मामला उजागर होने के बाद सीबीआई जांच बैठाते हुए डील रद्द कर दी गई।

उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि रक्षा सौदे कांग्रेस के लिए अकूत संपत्‍ति हथियाने के सुनहरे मौके रहे हैं। चूंकि अब ये मौके उसके हाथ से निकल चुके हैं और सौदों में पारदर्शिता आ गयी है, इसलिए वह छटपटा रही है। कांग्रेस की बेचैनी को इसी संदर्भ में देखना होगा।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)