गौर करें तो चुनाव से पहले अंतिम पूर्णकालिक बजट होने के बावजूद सरकार ने सभी लोगों को खुश करने के उद्देश्य से कोई लोकलुभावन बजट पेश करने की नीति अपनाने की बजाय सर्वसमावेशी और दूरगामी लक्ष्यों पर आधारित बजट पेश किया है। आयकर दर के यथावत रहने से मध्यम एवं नौकरी पेशा वर्ग को कोई नुकसान तो नहीं होगा, लेकिन समग्र कटौती योजना को दोबारा लाए जाने से उन्हें फायदा जरूर होगा। इस योजना के तहत नौकरीपेशा लोगों को ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्च के मद में समग्र वेतन से 40 हजार रुपये कम करके आय पर कर देना होगा।
एक फरवरी, 2018 को पेश की गई बजट में समावेशी विकास को सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है। इसमें सामाजिक मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। देश में गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है। गरीबों को स्वस्थ रखना सरकार के लिये हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। इसलिये, हेल्थ वेलनेस सेंटर के लिये 1200 करोड़ रूपये बजट में देने की बात कही गई है। इस क्रम में हर परिवार को 5 लाख रूपये का स्वास्थ्य बीमा दिया जायेगा। ऐसा होने से लोगों को बीमारी के कारण असमय काल-कवलित होने से बचाया जा सकेगा। 50 करोड़ लोगों को हेल्थ बीमा देने की बात बजट में कही गई है, जो प्रतिशत में कुल आबादी का लगभग 40 है। डाक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिये 24 नये मेडिकल कॉलेज खोले जायेंगे।
स्वास्थ्य की तरह शिक्षा भी एक लंबे समय से देश में गंभीर समस्या बनी हुई है। भारत में 100 प्रतिशत साक्षरता दर को हासिल करना अभी भी सपने के समान है। अशिक्षा के कारण देश में बहुत सारी समस्याएँ अपनी गहरी पैठ बनाये हुए हैं। अस्तु, सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की गति को बढ़ाना चाहती है। सरकार ने प्री-नर्सरी से 12 वीं तक सभी को शिक्षा देने की बात बजट में कही है।
देश में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया तेज हुई है। इसमें और तेजी आये, इसके लिये बच्चों को डिजिटल अस्त्रों से लैस किया जायेगा। इस क्रम में डिजिटल पढ़ाई को बढ़ावा दिया जायेगा। सभी बच्चों की पहुँच स्कूल तक करने की घोषणा भी बजट में की गई है। वंचित वर्ग यथा, आदिवासियों को शिक्षित एवं जागरूक बनाने के लिये नवोदय की तर्ज पर एकलव्य विद्यालय खोले जाएंगे।
वर्ष, 2022 तक सभी गरीब को घर देने की घोषणा बजट भाषण में की गई है। हालाँकि, इस लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प सरकार पहले ही ले चुकी है। खुद का घर हो, ऐसा सभी चाहते हैं। रेरा, प्रधानमंत्री आवास योजना, एक निश्चित सीमा तक के गृह ऋण में अनुदान देने की व्यवस्था आदि की मदद से सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर रही है। बजट में ग्रामीण क्षेत्र में 51 लाख और शहरी क्षेत्र में 37 लाख घर बनाने की घोषणा की गई है। देश को स्वच्छ बनाकर हम अपने स्वास्थ को भी बेहतर बना सकते हैं। देश में फिलवक्त स्वच्छता अभियान को ज़ोर-शोर से चलाया जा रहा है। इसे और भी धारदार बनाने के लिये देश में 2 करोड़ शौचालय बनाये जायेंगे। शहरों को नियोजित तरीके से बसाने के लिये 99 शहरों को चुना गया है, ताकि स्वच्छता के प्रतिशत में इजाफा हो।
मौजूदा समय में लकड़ी, कोयले, उपले एवं दूसरे माध्यमों से भोजन बनाने के कारण महिलाओं को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। वे इसके कारण अनेक बीमारियों का शिकार बन रही थीं। महिलाओं को राहत देने के लिये सरकार ने मई, 2016 को उज्ज्वला योजना की शरुआत की थी, जिसके तहत पांच करोड़ गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अबकी बजट में इस लक्ष्य को पांच से बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया है। चार करोड़ घरों में सौभाग्य बिजली योजना के तहत बिजली पहुंचाने की बात भी बजट में कही गई है। टीबी मरीजों की बेहतरी के लिये भी बजट में 600 करोड़ रूपये के प्रावधान किये गये हैं।
बुर्जुगों को 80डी के तहत मिलने वाली मेडिकल दावे की सीमा को बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। वरिष्ठ नागरिक को बैंक डिपॉजिट पर ब्याज पर छूट की सीमा को भी बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। सरकार की इन पहलों से वरिष्ठ नागरिक लाभान्वित होंगे। बजट में नये कर्मचारी भविष्य निधि में 12 प्रतिशत का योगदान दे सकेंगे, इसके प्रावधान किये गये हैं। इससे उनका भविष्य बेहतर एवं सुरक्षित हो सकेगा।
कृषि क्षेत्र में वर्ष 2022 तक सभी किसानों की आय को दोगुना करने की बात कही गई है। बजट में सभी फसलों को समर्थन मूल्य देने का भी निर्णय लिया गया है। पहले कुछ ही फसलों को समर्थन मूल्य दिया जाता था। न्यूनतम समर्थन मूल्य को 1.5 गुना बढ़ाने का ऐलान किया गया है। ई-नैम नाम से नया ग्रामीण बाजार बनाने की घोषणा की गई है, जिससे ग्रामीणों को बड़ा लाभ होने की आशा है। आलू, प्याज, टमाटर के मूल्य को स्थिर रखने के लिये ऑपरेशन ग्रीन की शुरुआत की जायेगी। इसके लिये 500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। ऐसा करना जरूरी था, क्योंकि इनके मूल्य में अक्सर भारी गिरावट आ जाती है और कई बार किसान हताशा में आत्महत्या भी कर लेते हैं।
मेगा फूड पार्क बनाने की बात भी बजट में की गई है। इससे किसानों को लाभ होगा। पशुपालन शुरू से ही कृषि क्षेत्र का एक अहम हिस्सा रहा है, लेकिन पशुपालकों को कभी भी अपेक्षित सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। इस बार बजट में उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड देने की बात कही गई है। 100 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर करनेवाली किसान उत्पादों वाली कंपनियों को टैक्स में 100 प्रतिशत छूट देने की घोषणा की गई है। ऐसा करने से किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा। किसानों के साथ अभी भी मूल समस्या उनके उत्पादन के विपणन एवं मार्केटिंग की है। ऐसी कंपनियों को राहत देने से किसानों को उनके फसलों की वाजिब कीमत मिल सकेगी।
राजस्व संग्रह में इजाफा करने के लिये लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 10 प्रतिशत किया गया है। शेयर खरीदने और बेचने पर भी कर आरोपित किया गया है। शिक्षा और स्वास्थ पर एक प्रतिशत सेस बढ़ाया गया है। इसे 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया है। कस्टम ड्यूटी को भी बढ़ाया गया है। इक्विटी ओरिएंटेड म्युचुअल फंड्स से होने वाली कमाई पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाने की घोषणा की गई है। मोबाइल फोन पर भी कस्टम ड्यूटी को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया है। टीवी को भी महँगा किया गया है। आयकर की दरों में बदलाव नहीं किया गया है। सरकार ने आयकर पर सेस बढ़ाने का भी प्रावधान किया है। विनिवेश के जरिये 80 हजार करोड़ रूपये जुटाने की योजना सरकार की है।
सोने के संदर्भ में नई नीति बनाने से सोना लाने एवं ले जाने में आसानी होगी, जिससे तस्करी में कमी आयेगी और कर चोरी पर भी रोक लगेगी। कारोबार में बढ़ोतरी हो, इसके लिये सरकार ने 25 प्रतिशत कॉरपोरेट कर दर की छूट को अब 250 करोड़ रूपये टर्नओवर करने वाली कंपनियों को देने का फैसला किया है। एमएसएमई क्षेत्र की बेहतरी के लिये 3794 करोड़ रूपये देने की घोषणा बजट में की गई है। मुद्रा लोन के लक्ष्य को बढ़ा कर 3 लाख करोड़ रूपये किया गया है, जिससे असंगठित क्षेत्र के कामगारों को लाभ होगा।
बजट में रेलवे के लिये 1.47 लाख करोड़ रूपये की घोषणा की गई है, जो अब तक की सबसे बड़ी राशि है, जिसमें से 73000 करोड़ रूपये सुरक्षा मद में खर्च किये जायेंगे। इसके अलावा पिछले साल इकठ्ठा किये गये 20000 करोड़ रूपये भी सुरक्षा मद पर ही खर्च किये जायेंगे। ऐसा करना जरूरी भी है, क्योंकि बीते महीनों में रेल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर खूब हो-हल्ला मचा है। रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिये इस क्षेत्र को 2.95 लाख करोड़ रूपये बजट में देने का प्रस्ताव किया गया है, जो पिछले साल के मुक़ाबले 7.81 प्रतिशत अधिक है।
वित्त मंत्री ने भारत के जल्द ही दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की बात कही। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर है। मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर की है। काले धन के खिलाफ चलाई गई मुहिम का फायदा दिख रहा है। 19.25 लाख कर देने वाले लोग बढ़े हैं। प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.6 प्रतिशत पहुँच गया है। आयकर संग्रह भी 90 हजार करोड़ रूपये बढ़ा है। सेवा क्षेत्र की विकास दर 8 प्रतिशत है।
जीएसटी को आसान बनाने के लिये सरकार लगातार कोशिश कर रही है। सभी सरकारी तंत्रों को पारदर्शी बनाया जा रहा है। पासपोर्ट बनना आसान हो गया है। एक दिन में कंपनियाँ पंजीकृत हो रही हैं। गरीबों को मुफ्त डायलिसस की सुविधा दी जा रही है। सस्ती दवाईयां गरीबों को उपलब्ध कराई जा रही है। आधार से जरूरतमंदों को जरूरी सेवाओं का लाभ मिल रहा है।
गौर करें तो चुनाव से पहले अंतिम पूर्णकालिक बजट होने के बावजूद सरकार ने सभी लोगों को खुश करने की नीति अपनाने की बजाय सर्वसमावेशी और दूरगामी लक्ष्यों पर आधारित बजट पेश किया है। आयकर दर के यथावत रहने से मध्यम एवं नौकरी पेशा वर्ग को कोई नुकसान तो नहीं होगा, लेकिन समग्र कटौती योजना को दोबारा लाए जाने से उन्हें फायदा जरूर होगा। इस योजना के तहत नौकरीपेशा लोगों को ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्च के मद में समग्र वेतन से 40 हजार रुपये कम करके आय पर कर देना होगा।
राजस्व बढ़ाने के लिए बजट में समुचित प्रावधान किये गये हैं। म्युचुअल फंड्स और शेयर के खरीद-फरोख्त पर कर आरोपित करने से निवेश को थोड़ा झटका लगा है, लेकिन इससे राजस्व संग्रह में इजाफा होगा। बजट में आधारभूत संरचना के विकास पर भी ज़ोर दिया गया है। इस क्षेत्र के विकास के लिये 5.97 लाख करोड़ रूपये देने का प्रस्ताव बजट में किया गया है। इससे रोजगार सृजन एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसी वजह से 70 लाख रोजगार सृजन करने का लक्ष्य रखा गया है।
बजट में ग्रामीण क्षेत्र में विकास को रफ्तार देने की कोशिश, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा में बेहतरी लाने की पहल, राजस्व संग्रह के उपायों, रोजगार सृजन में वृद्धि के प्रयास, दूसरे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को मजबूत बनाने की कवायद आदि महत्वपूर्ण कदम हैं। इनसे विकास को गति मिलने में बेशक मदद मिलेगी। समग्र रूप से इस बजट को समावेशी विकास की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम माना जा सकता है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)