रिज़र्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती से आमजन को मिलेगी राहत

रिजर्व बैंक ने 31 जुलाई से पहले किए गये आयात पर धन प्रेषण की अवधि को भी 6 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया है। आयात और निर्यात के मोर्चे पर बेहतरी लाने के लिये रिजर्व बैंक ने एक्जिम बैंक को भी 15,000 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा देने की घोषणा की है। माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक द्वारा लिये गये इन निर्णयों से कोरोना महामारी से प्रभावित आमजन और कारोबारियों को राहत मिलेगी साथ ही साथ आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आयेगी।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 22 मई को रेपो दर में 40 बीपीएस की कटौती करने से बैंक से कर्ज लेने वाले ग्राहकों को राहत मिलने का अनुमान है। एक अनुमान के अनुसार यदि किसी व्यक्ति ने बैंक से 40 लाख रूपये का कर्ज 20 सालों के लिये लिया है तो उसकी मासिक क़िस्त में 960 रूपये की कमी आयेगी और साल में 11,520 रूपये की बचत होगी। इस कटौती का फायदा खुदरा ऋण जैसे, गृह ऋण, कार ऋण, शिक्षा ऋण अदि लेने वाले ग्राहकों को मिलेगा।

रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में की गई ताजा कटौती से यह घटकर 4.00 प्रतिशत हो गया है। रेपो दर वह दर होता है, जिसपर बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। ताजा मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो दर में भी कटौती की है, जिससे यह घटकर 3.35 प्रतिशत हो गया है। रिवर्स रेपो दर में इसलिये कटौती की गई है, ताकि बैंक बैंकिंग प्रणाली में आये सस्ती पूँजी का इस्तेमाल आमजन और कारोबारियों को ऋण देने के लिये करें।

साभार : MoneyControl

बैंक जिस दर पर भारतीय रिजर्व बैंक को कर्ज देते हैं, उसको रिवर्स रेपो दर कहा जाता है। रिवर्स रेपो दर में कटौती करने से बैंक रिजर्व बैंक में पैसा जमा करने की जगह ग्राहकों को ऋण देने के लिये प्रोत्साहित होंगें, क्योंकि ग्राहकों को ऋण देने से उनके मुनाफे में तेजी आयेगी।

चूँकि, केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो दर में कटौती करने से बैंकिंग प्रणाली में सस्ती दर पर पर्याप्त मात्रा में नकदी उपलब्ध है, इसलिये बैंकों को जमा और कर्ज दर के बीच के स्प्रेड को बनाये रखने के लिये जमा दरों में कटौती करनी होगी, क्योंकि बैंकों को जमा और कर्ज दर के बीच मौजूद अंतर से ही मुनाफा होता है।

नीतिगत दरों में कटौती करने के अलावा रिजर्व बैंक ने आमजन को राहत देने के लिये मियादी कर्ज अदायगी और कार्यशील पूंजी सुविधाओं पर लगने वाले ब्याज अदायगी पर ऋण स्थगन की अवधि को भी तीन महीनों यानी 31 अगस्त, 2020 तक के लिये बढ़ा दिया है।

रिजर्व बैंक ने 31 जुलाई से पहले किए गये आयात पर धन प्रेषण की अवधि को भी 6 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया है। आयात और निर्यात के मोर्चे पर बेहतरी लाने के लिये रिजर्व बैंक ने एक्जिम बैंक को भी 15,000 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा देने की घोषणा की है।

माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक द्वारा लिये गये इन निर्णयों से कोरोना महामारी से प्रभावित आमजन और कारोबारियों को राहत मिलेगी साथ ही साथ आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आयेगी।

साभार : Economic Times

कोरोना महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियाँ ठप्प पड़ चुकी है। इसलिये, रिजर्व बैंक ने बैंकों को बड़े कारोबारियों को प्राथमिकता के आधार पर ऋण देने के लिये कहा है।

पूर्णबंदी के कारण पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र के भी कमजोर रहने की आशंका है। मौजूदा परिप्रेक्ष्य में मुद्रास्फीति को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। हालाँकि, इन प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सरकार की सकारात्मक नीतियों की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार 2020-21 में 15 मई तक 9.2 अरब डॉलर से बढ़कर 487 अरब डॉलर हो गया। बता दें कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत पूरी तरह से इसकी मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करती है, जो आयात और निर्यात के कम या ज्यादा होने के आधार पर तय होता है।

अगर कोई देश ज्यादा निर्यात करता है तो उसके पास विदेशी मुद्रा का भंडार ज्यादा होता है। चूँकि, भारत निर्यात की जगह आयात ज्यादा करता है, इसलिये, यहाँ विदेशी मुद्रा का भंडार हमेशा सीमित होता है। कम विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से रुपया डॉलर की तुलना में हमेशा कमजोर बना रहता है। इसलिये, विदेशी मुद्रा भंडार में बढोतरी होना अर्थव्यवस्था की सेहत के लिये बेहतर माना जाता है।

इसके पहले 27 मार्च, 2020 को रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 75 बीपीएस की कटौती की थी, जिससे बैंक से खुदरा ऋण लेने वालों को फ़ायदा हुआ था। अगर किसी ग्राहक ने उस समय 15 सालों के लिये लिये बैंक से 35 लाख रूपये ऋण लिये हुए थे तो उसे हर महीने 1,533 रूपये और सालाना 18,396 रूपये का फ़ायदा हो रहा है।

इसके अतिरिक्त, केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक समीक्षा के दौरान मियादी ऋणों पर क़िस्त एवं ब्याज की चुकौती और कार्यशील पूँजी के ऋण की ब्याज अदायगी को 3 महीनों के लिये स्थगित कर दिया था। साथ ही, संवाधिक तरलता अनुपात यानी सीआरआर को 4 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया था, जिससे बैंकिंग प्रणाली में 3.74 लाख करोड़ रूपये नकदी का प्रवाह हुआ था।

अब रेपो दर में की गई कटौती का फ़ायदा उन्हीं बैंक ग्राहकों को मिलेगा, जिनका उधारी खाता एक्सटर्नल बेंचमार्क लैंडिंग रेट (ईबीएलआर) से जुड़ा हुआ हो। गौरतलब है कि अक्टूबर 2019 से सभी तरह के खुदरा ऋणों को एक्सटर्नल बेंचमार्क लैंडिंग रेट (ईबीएलआर) से जोड़ा गया था।  अगर किसी ग्राहक का खाता ईबीएलआर से नहीं जुड़ा हुआ है, तो उसे रेपो दर में की गई कटौती का फ़ायदा नहीं मिलेगा।

स्पष्ट है कि आरबीआई की इन ताज़ा पहलों से आमजन को राहत और आर्थिक गतिविधियों को रफ़्तार मिलने की उम्मीद है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)