आईएमएफ ने वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक में लिखा है कि भारत आने वाले सालों में विकास के मोर्चे पर चीन से आगे रहते हुए दुनिया में सबसे तेज गति से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ के अनुसार भारत का चालू खाते का घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 3 प्रतिशत के आसपास रहेगा, जबकि वित्त वर्ष 2020 में 2.5 प्रतिशत के स्तर पर रह सकता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपने हालिया वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक में लिखा है कि वित्त वर्ष 2019 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2020 में 7.4 प्रतिशत रहेगा, जबकि आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019 के लिये चीन के जीडीपी के 6.2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने की बात कही है। वित्त वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही थी, जबकि चीन की जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपनी ताजा मौद्रिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2019 के लिये वृद्धि दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत लगाया है, जो आईएमएफ के अनुमान के आसपास है।
आईएमएफ ने वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक में यह भी लिखा है कि भारत आने वाले सालों में विकास के मोर्चे पर चीन से आगे रहते हुए दुनिया में सबसे तेज गति से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ के अनुसार भारत का चालू खाते का घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 3 प्रतिशत के आसपास रहेगा, जबकि वित्त वर्ष 2020 में 2.5 प्रतिशत के स्तर पर रह सकता है। इस अनुमान से यह पता चलता है कि सरकार राजस्व बढ़ाने एवं खर्च में कटौती करने के मोर्चे पर सतर्क रहेगी, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर अग्रसर होगी।
आईएमएफ के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में मौजूदा तेजी दर्शाता है कि भारत विमुद्रीकरण एवं जीएसटी के प्रभाव से उबर चुका है। इसी वजह से भारत में निवेश के मोर्चे पर तेजी आया है और खपत में भी वृद्धि हो रही है। आईएमएफ का कहना है कि सरकार द्वारा किये जा रहे बुनियादी आर्थिक सुधारों से उसे दूसरे देशों के मुक़ाबले बढ़त मिलेगी। चूँकि, भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा युवा है, इसलिए अर्थव्यवस्था को युवाओं की बड़ी आबादी के योगदान का फायदा मिलेगा।
आईएमएफ के मुताबिक अर्थव्यवस्था में हो रहे सुधार से घरेलू माँग में तेजी आ रही है, लेकिन वित्त वर्ष 2019 में कच्चे तेल की कीमत में हो रही वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति 4.7% पर रह सकती है। हालांकि, ऐसी स्थिति केंद्रीय बैंक के अनुमान के मुताबिक है, इसलिए सरकार को बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।
आईएमएफ का यह भी कहना है कि जीडीपी के अनुपात में भारत पर कर्ज ज्यादा है, लेकिन वह सही आर्थिक नीतियों की मदद से इसे कम करने का प्रयास कर रहा है। वित्त वर्ष 2017 में भारत सरकार का कर्ज जीडीपी का 70 प्रतिशत था, लेकिन मोदी सरकार संघीय स्तर पर अपने राजकोषीय घाटे को 3 प्रतिशत और कर्ज के अनुपात को 40 प्रतिशत के स्तर पर लाने का प्रयास कर रही है। आईएमएफ द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्विक स्तर पर सबसे तेज गति से वृद्धि करने के अनुमान से साफ हो जाता है कि देश का अर्थतंत्र सही दिशा में है। यह स्थिति इस बात की भी पुष्टि करती है कि सरकार द्वारा लिये जा रहे आर्थिक निर्णय सही हैं।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)