मोदी सरकार की सुधारात्मक आर्थिक नीतियों के कारण भारत विकास के पथ पर अग्रसर है। कुछ समस्याएँ हैं, लेकिन सरकार उन्हें दूर करने के लिये कोशिश की जा रही है। सरकार की कोशिशों की पुष्टि अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं। इधर, रोजगार सृजन के मोर्चे पर भी सरकार सफल रही है। उसकी नीतियों की वजह से लोगों को रोजगार मिल रहा है। यह सच है कि रोजगार असंगठित क्षेत्र में सृजित हो रहा है, लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि रोजगार मिलने से देश में समावेशी विकास हो रहा है, जिसकी पुष्टि जीडीपी के आंकड़ों से की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने हाल ही में मोदी सरकार द्वारा आर्थिक मोर्चे पर किये गये सुधारों की सराहना की है। इसके अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आईएमएफ ने कहा कि आर्थिक सुधारों का फायदा अब दृष्टिगोचर होने लगा है। सालगादो, जो आईएमएफ में भारतीय मिशन के प्रमुख हैं, ने 26 खरब डॉलर वाली भारतीय अर्थव्यवस्था को ऐसा हाथी बताया है, जो अब दौड़ने लगा है।
आईएमएफ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के आधार पर भारत की वैश्विक विकास में 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत की विकास दर वित्त वर्ष 2018-19 में 7.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 में 7.5 प्रतिशत रहेगी। आईएमएफ का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे आर्थिक सुधारों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर अग्रसर है।
वैसे, आर्थिक सुधार की राह में कुछ मुश्किलें अभी भी बरकरार हैं, लेकिन सरकार धीरे-धीरे समस्याओं का समाधान निकाल रही है। जीएसटी का बड़ा लाभ दीर्घावधि में मिलेगा। हालाँकि, इसके फायदे दृष्टिगोचर होने लगे हैं। आईएमएफ ने कहा कि 29 राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों की जटिल संरचना वाला देश होते हुए भी इतने बड़े देश में जीएसटी लागू करना एक बड़ी उपलब्धि है। अन्य कई देश अभी भी ऐसी व्यवस्था को लागू नहीं कर पाये हैं।
इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) को लागू करने को भी आईएमएफ ने एक अहम उपलब्धि बताया। रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मिली सफलता की भी आईएमएफ ने प्रशंसा की है। कारोबार में सुधार करने एवं एफडीआई को और अधिक उदार बनाने के लिए सरकार की तारीफ करते हुए आईएमएफ ने कहा है कि बैंकों और कॉरपोरेट सेक्टर के खातों को दुरुस्त करने का काम जारी रहने से भारतीय अर्थव्यवस्था में और भी सुधार आयेंगे।
आईएमएफ के अनुसार भारत को अपने युवा कार्यबल का सही इस्तेमाल करना चाहिये। युवाओं को विकास प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाया जा सकता है। आईएमएफ के मुताबिक जनसंख्या दर में गिरावट आने पर भी लगभग तीन दशक तक मानव संसाधन का लाभ भारत को मिलता रहेगा। आईएमएफ का कहना है कि बड़ी जनसंख्या को भारत में एक अवसर माना जाना चाहिये। भारत के पास मौजूद मानव संसाधन की पूँजी तीन दशक या इससे लंबे समय के लिये भारत एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था में वृद्धि का स्रोत बना रहेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है।
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) के अनुसार वर्ष 2018 में बेरोजगारी की दर भारत में 3.5 प्रतिशत रहेगी, जबकि चीन में यह दर 4.8 प्रतिशत रहेगी। सरकार के लिये चिंता यह है कि देश में 77 प्रतिशत उपलब्ध रोजगार असंगठित क्षेत्र में हैं। हालाँकि, चीन में यह प्रतिशत 33 है। आईएलओ द्वारा जारी रिपोर्ट “द वर्ल्ड एंप्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक-ट्रेंड्स 2018” के अनुसार वर्ष 2018 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 5.5 प्रतिशत का आर्थिक विकास जारी रहेगा। दक्षिण एशिया में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में भारतीय अर्थव्यवस्था का अहम योगदान है।
आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 1 से 2 दशकों में भारत के सेवा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हुए हैं। इसके अनुसार भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया और नेपाल में असंगठित क्षेत्र में करीब 90 प्रतिशत कामगार हैं, जिसमें कृषि क्षेत्र का योगदान सबसे अधिक है। इन देशों में कृषि के साथ-साथ विनिर्माण, थोक एवं खुदरा कारोबार में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हुए हैं।
कहा जा सकता है कि मोदी सरकार की सुधारात्मक आर्थिक नीतियों के कारण भारत विकास के पथ पर अग्रसर है। कुछ समस्याएँ हैं, लेकिन सरकार उन्हें दूर करने के लिये कोशिश की जा रही है। सरकार की कोशिशों की पुष्टि अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं। इधर, रोजगार सृजन के मोर्चे पर भी सरकार सफल रही है। उसकी नीतियों की वजह से लोगों को रोजगार मिल रहा है। यह सच है कि रोजगार असंगठित क्षेत्र में सृजित हो रहा है, लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि रोजगार मिलने से देश में समावेशी विकास हो रहा है, जिसकी पुष्टि जीडीपी के आंकड़ों से की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)