अभी डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत मुद्रा है और इसी वजह से अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार डॉलर में की जा रही है, लेकिन नई व्यवस्था को अपनाने के बाद भारत रुपए में अंतर्राष्ट्रीय कारोबार कर सकेगा। इसके लिए भारतीय बैंक रुपए में वोस्ट्रो खाते खोल सकेंगे और वस्तुओं या सेवाओं का आयात करने वाले आयातक विदेशी विक्रेता को उनके सामान की कीमत रुपये में अदा कर सकेंगे अर्थात आयातक का बैंक निर्यातक के बैंक के वोस्ट्रो खाते में सामान की कीमत सीधे रुपए में जमा कर सकेगा। इसी तर्ज पर, निर्यातक वस्तु एवं सेवा की कीमत का भुगतान डॉलर या दूसरी विदेशी मुद्राओं की जगह रुपये में कर सकेंगे।
भू-राजनैतिक संकट अभी भी बरकरार है, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म नहीं हुआ है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आग लगी हुई है। भारत कई उत्पादों का रूस और यूक्रेन से आयात करता है। साथ ही, पश्चिमी देशों द्वारा लगाये गए प्रतिबंधों की वजह से भारत इराक जैसे देश के साथ कारोबार नहीं कर पा रहा है। श्रीलंका के साथ कारोबार करने में भी भारत को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मौजूदा परिदृश्य में भारत तथा अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपये में करना भारत के लिये फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे रूस, यूक्रेन, श्रीलंका, इराक आदि देशों के साथ कारोबार करने में भारत को आसानी होगी साथ ही साथ निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा और वैश्विक कारोबारियों के बीच रूपये की स्वीकार्यता बढ़ेगी। इसके साथ, महंगाई में भी कमी आयेगी और भू-राजनैतिक संकट के दुष्प्रभावों को भी नाकाम किया जा सकेगा। वैसे, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों से थोक महंगाई में कमी आई है। जून महीने में थोक महंगाई घटकर 15.18 प्रतिशत पर आ गई, जबकि मई महीने में यह 15.88 प्रतिशत थी।
अभी डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत मुद्रा है और इसी वजह से अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार डॉलर में की जा रही है, लेकिन नई व्यवस्था को अपनाने के बाद भारत रुपए में अंतर्राष्ट्रीय कारोबार कर सकेगा। इसके लिए भारतीय बैंक रुपए में वोस्ट्रो खाते खोल सकेंगे और वस्तुओं या सेवाओं का आयात करने वाले आयातक विदेशी विक्रेता को उनके सामान की कीमत रुपये में अदा कर सकेंगे अर्थात आयातक का बैंक निर्यातक के बैंक के वोस्ट्रो खाते में सामान की कीमत सीधे रुपए में जमा कर सकेगा। इसी तर्ज पर, निर्यातक वस्तु एवं सेवा की कीमत का भुगतान डॉलर या दूसरी विदेशी मुद्राओं की जगह रुपये में कर सकेंगे।
वोस्ट्रो खाते का अर्थ होता है “आपका खाता” यानी विदेश के किसी बैंक का भारत के किसी बैंक के भारत में स्थित किसी शाखा में खाता होना। विदेशी बैंक को भारत में एजेंट के रूप में कार्य करने या घरेलू बैंक के लिए मध्यस्थ के रूप में सेवाएं प्रदान करने के लिए वोस्ट्रो खाता खोला जाता है। जहां घरेलू बैंक की शाखा नहीं होती है या घरेलू बैंक की शाखा आयातक या निर्यातक की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं होता है तो विदेशी बैंक घरेलू बैंक के प्रतिनिधि के रूप में अपनी सेवाएँ उपलब्ध कराता है। इस तरह, वोस्ट्रो खाता के जरिये घरेलू बैंक, विदेश में बिना बैंक शाखा खोले अपने ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं।
आमतौर पर जब कोई देश उच्च चालू खाता घाटे का सामना करता है या देसी मुद्रा डॉलर या अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले गिरने लगती है, तो चुनिंदा देशों के साथ देसी मुद्रा में कारोबार किया जाता है, ताकि डॉलर सहित अन्य विदेशी मुद्राओं के निर्गमन को रोका जा सके। नई व्यवस्था से भारत की निर्भरता डॉलर पर से कम होगी और व्यापार घाटे को भी कम करने में सरकार को मदद मिल सकती है।
आपसी सहमति से पड़ोसी देशों के साथ भी भारत रूपये में कारोबार कर सकता है। एक अनुमान के अनुसार नई व्यवस्था से भारत को हर वर्ष 30 से 36 अरब डॉलर की बचत हो सकती है और रुपये में कारोबार करने की वजह से कारोबार का दायरा भी व्यापक हो सकता है। रुपए में कारोबार बढ़ने से डॉलर के विनिमय दर की जोखिम भी कम हो सकती है। श्रीलंका उच्चायोग के अनुसार वर्ष 2020 में भारत श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार था और दोनों के बीच 3.6 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ था।
वैसे, इस व्यवस्था को लागू करने की मांग एक लंबे समय से की जा रही थी, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुपए की स्वीकार्यता को लेकर सरकार के मन में बहुत ज्यादा संशय और अविश्वास बना हुआ था। बीते दिनों, रूस ने भारत के समक्ष रूपये में कारोबार करने का प्रस्ताव रखा था। उसके बाद से इस व्यवस्था को मूर्त रूप देने के लिए गंभीरता से विचार किया जाने लगा।
अभी, भारत और रूस के बीच चीन की मुद्रा युआन में कच्चे तेल का कारोबार किया जा रहा है। अप्रैल और मई महीने में रूस से भारत का आयात लगभग 2.5 अरब डॉलर था, जो सालाना आधार पर करीब 30 अरब डॉलर होता है, जिसके इस वित्त वर्ष के दौरान 36 अरब डॉलर होने का अनुमान है। इस तरह, नई व्यवस्था के लागू किये जाने से इस वर्ष भारत रूस के साथ 36 अरब डॉलर का कारोबार रुपए में कर सकेगा। हालांकि, रुपए में कारोबार करने के लिए रुपए के भंडार को बढ़ाना होगा। एक अनुमान के अनुसार, इसके लिए रुपए के मौजूदा भंडार को 5 से 7 गुना बढ़ाना पड़ सकता है।
पाउंड, यूरो के साथ-साथ चीन की मुद्रा युआन में अंतर्राष्ट्रीय कारोबार किया जाने लगा है, जिससे डॉलर का प्रभुत्व थोड़ा कम हुआ है। जब डॉलर और दूसरी विदेशी मुद्राओं की जगह रुपए में कारोबार किया जाने लगेगा तो डॉलर कुछ और भी ज्यादा कमजोर हो जायेगा। उल्लेखनीय है कि रुपया अभी सभी मुद्राओं के मुकाबले कमजोर नहीं हुआ है। संकट के मौजूदा दौर में भी यह कई मुद्राओं जैसे जापान की येन की तुलना में मजबूत हुआ है। लिहाजा, नई व्यवस्था से आयातक और निर्यातक दोनों को फायदा हो सकता है साथ ही साथ विदेशी मुद्रा भंडार में भी उल्लेखनीय इजाफा हो सकता है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)