राहुल गाँधी किसी आतंकी सरगना को ‘जी’ लगाकर संबोधित करने वाले पहले कांग्रेस नेता नहीं हैं, कांग्रेस के लोगों को इसकी पुरानी आदत है। कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के दो बार के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह तो “ओसामा जी” और “हाफिज सईद साहब” का उच्चारण कर चुके हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को किसी से तमगा लेने की ज़रुरत नहीं कि वह बहुत अच्छी कॉमेडी करते हैं, जिसकी वजह से उनकी पार्टी को अक्सर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। अब कांग्रेस के लोगों को ही नहीं, पूरे देश के लोगों को पता चल गया है कि राहुल जब बोलेंगे तो हंसी के फव्वारे छूटेंगे, इसलिए उनको देखने और सुनने वाले इस बात के लिए पूरी तरह से तैयार रहते हैं। बात यही तक रहती तो कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन राहुल ने बोलते-बोलते सब सीमाएं लांघते हुए एक नया ही विवाद खड़ा कर दिया है।
राहुल गाँधी दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओ से मुखातिब थे, जहाँ आतंकवाद, बेरोज़गारी, डोकलाम और तमाम मुद्दों पर बोलते हुए उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया, जिसको लेकर अब सोशल मीडिया पर राहुल गाँधी नकारात्मक ढंग से ट्रेंड करने लगे हैं। अपने भाषण के दौरान राहुल ने पुलवामा हमले सहित देश में हुए अनेक हमलों के मास्टरमाइंड आतंकी मसूद अजहर को “अजहर जी” कहकर संबोधित कर दिया। यही राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री के लिए आए दिन अपशब्दों का इस्तेमाल करते पाए जाते हैं।
राहुल गाँधी किसी आतंकी सरगना को ‘जी’ लगाकर संबोधित करने वाले पहले कांग्रेस नेता नहीं हैं, कांग्रेस के लोगों को इसकी पुरानी आदत है। कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के दो बार के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह तो “ओसामा जी” और “हाफिज सईद साहब” का उच्चारण कर चुके हैं।
राहुल गाँधी ने कहा कि उनके परिवार ने आतंकवाद के सामने सर नहीं झुकाया है लेकिन इनके बोल तो यही जताते हैं कि ये जैसा (अजहर जी) बोल रहे हैं, वह जुबानी फिसलन नहीं है। कांग्रेस ने वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण की सियासत को हवा दिया। मणिशंकर अय्यर, शशि थरूर कई बार इस तरह की बेतुकी बातें कर चुके हैं, जिससे देश को और समाज को कांग्रेस की सोच का रह रह कर अंदाज़ा मिलता रहा है।
सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर पुलवामा तक कांग्रेस के बयान शर्मसार करने वाले हैं। कभी कभी तो आश्चर्य भी होता है कि पाकिस्तान और कांग्रेस की सोच में इतनी समानता कैसे है। आपको याद होगा कि मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान जाकर क्या कहा था? अगर हिंदुस्तान और पाकिस्तान में दोस्ती बढानी है, तो कांग्रेस और पाकिस्तान को मिलकर नरेन्द्र मोदी को हराना होगा। क्या इस तरह की बातें भारत जैसे सबसे बड़े लोकतंत्र में स्वीकार्य होनी चाहिए?
याद है, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि चुनाव तो आते रहते हैं, जाते रहते हैं, लेकिन देश एक रहना चाहिए। देश की अखंडता और संप्रभुता को लेकर सबकी सोच एक जैसी होनी चाहिए। दिक्कत यही है कि देश के युवाओं के सामने खुद को यूथ आइकॉन के रूप में प्रस्तुत करने वाले राहुल गाँधी जब इस तरह की बात करेंगे तो संदेश क्या जाएगा?
नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आतंकवाद और खासकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर एक ठोस सोच और रणनीति बनी है। पूरा देश इस मुद्दे को लेकर सरकार के साथ खड़ा है, ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का आतंकवादी सरगनाओं के प्रति ये आदर का भाव चिंताजनक है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)