विपक्षी दुष्प्रचारों के बीच राफेल को लेकर देश को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली। मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित एयरबेस पर तीन राफेल विमान पहुंचे। ये विमान एक सैन्य अभ्यास के बाद सीधे आस्ट्रेलिया से ग्वालियर लाए गए। ग्वालियर में फ्रांस एयरफोर्स के पायलट ने यहां भारतीय वायुसेना के पायलटों को राफेल का अभ्यास कराया और सुखोई व राफेल के बीच का अंतर भी बताया। जाहिर है, यह सौदा अपनी प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ रहा है और जल्द ही राफेल विमानों के भारत आने की उम्मीद है।
बीता सप्ताह भारत के रक्षा क्षेत्र के नज़रिये से बहुत सकारात्मक और नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाला रहा। अलग-अलग बिंदुओं पर, विभिन्न मोर्चों से संबंधित उपलब्धियां देश को हासिल हुईं। सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि अमेरिका की नामी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत के साथ मिलकर साझेदारी की शुरुआत की। इस कंपनी के एफ-16 लड़ाकू विमान के विंग्स अब भारत में निर्मित किए जाएंगे। यहां यह काम टाटा समूह के साथ मिलकर किया जाएगा। वास्तव में यह केंद्र की भाजपा सरकार के ध्येय वाक्य मेक इन इंडिया की एक सफल परिणिति ही है।
बड़ी बात यह है कि लॉकहीड मार्टिन के भारत में विमान के विंग्स निर्माण करने के निर्णय को लेकर किसी भी प्रकार की व्यवसायिक शर्त नहीं बांधी गई है। इसके अनुसार किसी प्रकार की विमान खरीद नहीं होगी, हालांकि यह निर्णय अभी भारतीय वायुसेना को लेना है। इस साल जनवरी में ही दिग्गज अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत में इन लड़ाकू विमानों के निर्माण का प्रस्ताव रखा था।
8 महीने बाद यह प्रस्ताव धरातल पर आते हुए क्रियान्वयन तक पहुंच चुका है। देखा जाए तो यह डील भारतीय सैन्य बेड़े के लिहाज से तो अहम है ही, साथ ही यह भारतीय उद्योग को फाइटर जेट इकोसिस्टम का एक अंग बनाने का भी अवसर प्रदान करेगी। यह सुखद संयोग है कि लॉकहीड मार्टिन एयरोनॉटिक्स के स्ट्रेटेजिस्ट और वाइस प्रेसीडेंट विवेक लाल भारतीय मूल के अमेरिकी हैं। उन्होंने गत वर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मानव रहित ड्रोन को बेचने के निर्णय में खास रोल अदा किया था।
लाल ने पहल करते हुए एफ-16 लड़ाकू विमान के निर्माण के समग्र कार्यक्रम एवं संपूर्ण रूपरेखा की नींव रखी। यहां यह तथ्य उल्लेखनीय होगा कि जनवरी 2018 में भारत को मिले इस प्रस्ताव के पहले किसी भी अन्य विमान निर्माता कंपनी की ओर से इस आशय का प्रस्ताव नहीं किया गया था। यदि इस विमान का निर्माण भारत में शुरू हो जाता है तो भविष्य में इसके लिए निर्यात के एक बड़े बाज़ार की भी संभावना है।
लॉकहीड मार्टिन ने भारत को सर्वश्रेष्ठ फाइटर प्लेन का प्रस्ताव दिया था। इसके चलते अब जाकर सितंबर के पहले सप्ताह में यह अच्छी खबर सामने आई कि लॉकहीड मार्टिन ने टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड के साथ मिलकर लड़ाकू विमान के विंग्स निर्माण के लिए साझेदारी का आरंभ किया।
विवादों के बीच तीन राफेल विमान ग्वायिलर एयरबेस पहुंचे
दूसरी सफलता लड़ाकू राफेल विमान को लेकर है। राफेल खरीद के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिना अध्ययन और पुख्ता जानकारी के व्यर्थ हंगामेबाजी कर केवल अपनी नासमझी को प्रकट किया है। यदि तथ्यों पर गौर करें तो पाएंगे कि यह खरीद वास्तव में बहुत बेहतर है। वायुसेना के उप प्रमुख ने भी पिछले सप्ताह एक बयान में कहा कि राफेल के सैन्य बेड़े में शामिल होने से भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में भारी इजाफा होगा।
अभी भारतीय वायुसेना के पास विमानों की कमी है। इस समय वायुसेना में केवल 31 स्कवाड्रन ही हैं जबकि नियमानुसार यह संख्या 42 होना चाहिये। हर स्कवाड्रन में कम से कम 16 से 18 फाइटर प्लेन होते हैं लेकिन अभी इसकी संख्या कम है। ये कांग्रेस सरकारों द्वारा इस दिशा में कदम न उठाए जाने का ही परिणाम है, परन्तु अब जब मोदी सरकार राफेल सौदे पर बढ़ रही है तो कांग्रेस इसमें भी रोड़े डालने में लगी है। वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल देव ने कहा भी है कि राफेल का भारत आना एक गर्व की बात है। इसकी प्रतीक्षा बेसब्री से की जा रही है।
बहरहाल विपक्षी दुष्प्रचारों के बीच राफेल को लेकर देश को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली। मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित एयरबेस पर तीन राफेल विमान पहुंचे। ये विमान एक सैन्य अभ्यास के बाद सीधे आस्ट्रेलिया से ग्वालियर लाए गए। ग्वालियर में फ्रांस एयरफोर्स के पायलट ने यहां भारतीय वायुसेना के पायलटों को राफेल का अभ्यास कराया और सुखोई व राफेल के बीच का अंतर भी बताया।
जाहिर है, यह सौदा अपनी प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ रहा है और जल्द ही राफेल विमानों के भारत आने की उम्मीद है। कांग्रेस ने पिछले दिनों राफेल को लेकर काफी अनर्गल शोरगुल मचाया लेकिन राफेल डील देश के रक्षा सौदे की एक अहम कड़ी है जिससे देश की सामरिक ताकत बढ़ेगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)