मोदी सरकार ने जीएसटी में सालना पांच करोड़ रूपए से कम टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए रिटर्न की प्रक्रिया को सरल किया है। पहले जहाँ व्यापारियों को रिटर्न हर महीने भरना पड़ता था, वहीं अब इसमें परिवर्तन करते हुए इसे तीन महीने में एक बार भरने की सुविधा की गयी है और माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से लगभग 93 प्रतिशत व्यापारियों को लाभ होगा।
जीएसटी काउंसिल की 28वीं बैठक वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले सरकार ने आम जनमानस को ध्यान में रखते हुए लिए। जीएसटी काउंसिल ने मध्यमवर्गीय परिवारों, छोटे एवं मझोले व्यापारियों को राहत देते हुए 88 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कटौती की है, जिसके बाद टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, मार्बल और लकड़ी से बनी मूर्तियों आदि के दामों में गिरावट आएगी।
फ्रिज, वाटर कूलर, वाशिंग मशीन, टीवी, इलेक्ट्रिक आयरन आदि पर लगने वाली 28 फीसद की दर को कम करके 18 फीसद किया गया है। इसके अलावा 1000 रूपए तक के फुटवियर, हेंडीक्राफ्ट आदि को 18 से घटाकर 5 फीसद किया गया। जाहिर है, जीएसटी काउंसिल द्वारा किए गए इन फैसलों से आम आदमी को निश्चित ही राहत मिलेगी। गौरतलब है कि सरकार ने महिलाओं के स्वास्थ्य की दिशा में महत्वपूर्ण फैसला करते हुए सेनेटरी नैपकिन को जीएसटी से मुक्त कर दिया है।
विभिन्न संस्थाओं द्वारा यह मांग की जा रही थी कि महिला स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सेनेटरी पैड को जीएसटी की दर से बाहर रखा जाना चाहिए। भारत सरकार ने इस विषय को गंभीरता से लिया और महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण की दिशा में यह अहम निर्णय लिया।
केंद्र की मोदी सरकार ने जीएसटी में सालना पांच करोड़ रूपए से कम टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए रिटर्न की प्रक्रिया को सरल किया है। पहले जहाँ व्यापारियों को रिटर्न हर महीने भरना पड़ता था, वहीं अब इसमें परिवर्तन करते हुए इसे तीन महीने में एक बार भरने की सुविधा की गयी है और माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से लगभग 93 प्रतिशत व्यापारियों को लाभ होगा।
केंद्र की भाजपानीत सरकार ने देश के किसानों को भी जीएसटी में बड़ी राहत देते हुए खाद में इस्तेमाल होने वाले फोस्फेरिक एसिड पर कटौती करते हुए इसे 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का निर्णय किया है। इस फैसले से सीधे तौर पर गन्ना किसानों और चीनी उद्योग का हित जुड़ा हुआ है।
जीएसटी को देश में लागू हुए एक वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है और जिस तरह इसमें दिन-प्रतिदिन अनेक समस्याओं का निदान किया जा रहा है, उसके बाद यह स्पष्ट हो चला है कि यह देश के जनमानस के लिए ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ साबित हो रहा है।
बहरहाल, जीएसटी लागु होने के बाद से ही मोदी सरकार लगातार इस बात को दोहराती आ रही है कि आमजन की समस्याओं को ध्यान में रखकर निरंतर इसमें सकारात्मक बदलाव की प्रक्रिया जारी रहेगी। ऐसे में, जीएसटी पर लगातार सवाल खड़े करने वालों को यह समझने की आवश्यकता है कि जब मोदी सरकार ने यह टैक्स प्रणाली लागू की थी, तब भी इसमें सबकी सर्वसम्मति निहित थी और उसके बाद भी इसमें जो भी अहम फैसले होते हैं, वह सभी राज्य सरकारों की सम्मति एवं चर्चा के उपरांत ही किए जाते हैं। बहरहाल, जीएसटी परिषद् की ताजा बैठक में हुए ऐलानों से यही सन्देश निकलता है कि यह सरकार आम आदमी के हितों के प्रति पूर्णतः सचेत है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)