किसी फिल्म को दिल्ली में टैक्स फ्री करना न करना अरविंद केजरीवाल का अपना निर्णय है, लेकिन कश्मीरी पंडितों की पीड़ा का मजाक बनाकर उसपर अट्टहास करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं। इस तरह के बयान के बाद वे पूरी तरह जनता के सामने एक्सपोज हो गए हैं। वैसे भी जो केजरीवाल जे एन यू में भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाने वालों का समर्थन करते है, सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हैं, उनसे भारत की जनता इससे अलग की अपेक्षा भी क्या कर सकती है।
कश्मीरी पंडितों के नरसंहार व पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ बॉक्स ऑफिस पर ऐतिहासिक कमाई कर रही है। जनता का भरपूर प्यार इस फिल्म को मिल रहा है और यह फिल्म दो सौ करोड़ से अधिक की कमाई कर चुकी है लेकिन यह बात तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाने वाले कुछ राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को रास नहीं आ रही। इनमें से एक नाम केजरीवाल का भी है।
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में द कश्मीर फाइल्स को झूठी फिल्म बताते हुए इसकी हँसी उड़ाई है। सवाल है कि केजरीवाल इतने संवेदनहीन कैसे हो सकते हैं कि उन लाखों कश्मीरी हिंदुओं के नृशंस हत्याकांड और उनके निर्वासन के दर्द पर विधानसभा में अट्टहास करने में नहीं हिचकें। कोई भी व्यक्ति केवल एक वर्ग को खुश करने के लिए इतना नीचे कैसे गिर सकता है ? मगर केजरीवाल ने तो जैसे निर्लज्जता की हर सीमा लांघ दी है।
1990 के दशक में हुए कश्मीरी हिंदुओं की हिंसा और पलायन को झूठा कहते उनकी जुबान नहीं कांपती है। उन्हें भूलना नहीं चाहिए कि जनता ही सर्वोपरि है जिसने उन्हें मुख्यमंत्री पद दिलाया है। लेकिन साफ़ दिख रहा है कि पंजाब की जीत का घमंड उनके सिर पर चढ़ बैठा है, जिस कारण उन्होंने कश्मीरी पंडितों पर विधानसभा में भद्दा मजाक करने का दुस्साहस कर ठहाके लगाए हैं। जनता यह सब देख रही है।
विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने, कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और पलायन पर बनी फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” पर कहा, “इसे टैक्स फ्री क्यों करवा रहे हो। इतना ही तुम्हें शौक है तो विवेक अग्निहोत्री को बोलो कि इस फिल्म को यूट्यूब पर डाल दे सभी लोग एक ही दिन में ये फिल्म देख लेंगे”।
फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग उठ रही है और भाजपा शासित राज्यों में इसे टैक्स फ्री किया भी गया है, लेकिन यदि केजरीवाल इसको टैक्स फ्री नहीं करना चाहते हैं तो ना करें परंतु, लाखों कश्मीरी हिंदुओं की बर्बर हत्या पर ठहाके लगाकर इस हिंसा के पीड़ितों के जख्मों पर नमक तो न छिड़कें। केजरीवाल ने इस फिल्म को झूठी फिल्म कहा है, जबकि फिल्म में दिखाई हर बात के प्रमाण मौजूद हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को और इस फिल्म के साथ खड़े हुए सभी नेताओं पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि आप लोग राजनीति में आए हैं तो कुछ भी कीजिए लेकिन फिल्म का प्रमोशन मत कीजिए इस झूठी फिल्म का पोस्टर न लगाएं। क्योंकि नरेंद्र मोदी ने इस फिल्म की तारीफ की और इस फिल्म को देखने के लिए आम जनता से अपील भी की है, इस कारण केजरीवाल इस तरह की गंदी राजनीति करने पर तुले हुए हैं।
शायद केजरीवाल स्वयं ही भूल गए हैं कि वह खुद कितनी फिल्मों को दिल्ली में टैक्स फ्री कर चुके हैं, लेकिन जनता नहीं भूली है। सोशल मीडिया पर जनता उनके सारे ट्वीट को सामने लाकर रख दिया है कि किस प्रकार वे फिल्मों को देखते हैं और उसका रिव्यू देते हैं और लोगों से देखने की अपील करते हैं और ढेर सारी फिल्मों को उन्होंने दिल्ली में टैक्स फ्री भी किया है जिनमें से 83, सांड की आंख, निल बटे सन्नाटा, मसान, मॉम, आर्टिकल 15, सीक्रेट सुपरस्टार, गब्बर इज बैक और वन्स अपॉन ए टाइम इन बिहार शामिल हैं।
इन तमाम फिल्मों को वे टेक्स फ्री कर सकते हैं, पर द कश्मीर फाइल्स की बात आने पर राजनीति करने लगते हैं। वह सत्य घटना जिसे पूरी दुनिया जानती है उपर बनी फिल्म को विधानसभा में झूठी फिल्म कह देते हैं।
उल्लेखनीय होगा कि जिस 83 फिल्म को केजरीवाल ने टेक्स फ्री किया था उसमें दिखाया गया था कि पाक सेना ने भारतीय सेना को फाइनल मैच का स्कोर सुनाने के लिए फायरिंग रोक दी थी। यह सरासर झूठ था। लेकिन इस झूठ को केजरीवाल ने टैक्स फ्री कर दिया। परंतु हिंदुओं की पीड़ा जग जाहिर होने से उन्हें दिक्कत हो रही है। कुल मिलाकर बात यही है कि केजरीवाल के तुष्टिकरण के सियासी एजेंडे को जो फिल्म सूट नहीं करेगी, उस फिल्म को वो टेक्स फ्री नहीं करेंगे।
जनता उनसे यह सवाल जरूर पूछेगी कि पहले तमाम फिल्मों को उन्होंने टैक्स फ्री किया तो अब द कश्मीर फाइल्स को करने में क्या दिक्कत हो रही है ? बहुत से लोग तो केजरीवाल व आम आदमी पार्टी से ट्विटर पर कहने लगे हैं कि जनता के पैसे से करोड़ों रूपये के जो विज्ञापन वे देते है उन्हें सीधा यूट्यूब पर डाल दें, सब लोग फ्री में देख लेंगे।
बहरहाल, किसी फिल्म को टैक्स फ्री करना न करना केजरीवाल का अपना निर्णय है, लेकिन कश्मीरी पंडितों की पीड़ा का मजाक बनाकर उसपर अट्टहास करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। इस तरह के बयान के बाद वे पूरी तरह जनता के सामने एक्सपोज हो गए हैं। वैसे भी जो केजरीवाल जे एन यू में भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाने वालों का समर्थन करते है, सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हैं, उनसे भारत की जनता इससे अलग की अपेक्षा भी क्या कर सकती है।
(लेखिका डीआरडीओ में कार्यरत रह चुकी हैं। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन एवं अनुवाद में सक्रिय हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)