विपक्षी दल मोदी पर जुमलेबाज होने का आरोप लगाते आए हैं। उनका कहना है कि मोदी केवल बातें बड़ी करते हैं, काम नहीं करते। लेकिन इन दलों से अब पूछा जाना चाहिए कि क्या बिना काम किए ही मतदाताओं ने दुबारा मोदी को चुन लिया? मोदी ने पिछले 5 साल में जो काम किए हैं, उसका ही प्रतिफल जनता ने उन्हें अपनी कीमती वोट के रूप में दिया है। 2014 में मिला जनादेश काफी हद तक मोदी के नाम पर था, अबकी उनके काम पर है।
नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बन चुके हैं। 2019 की सबसे बड़ी राजनीतिक गहमा-गहमी यानी भारतीय लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है। परिणाम आ चुके हैं। नई सरकार का गठन हो चुका है। शपथ भी ली जा चुकी और मंत्रालयों का बंटवारा भी हो गया है। कहा जा सकता है कि अब नयी सरकार देश चलाने के लिए तैयार है।
नरेंद्र मोदी इस बार पिछली बार से अधिक सीटें लेकर आए। जहां भाजपा को 303 सीटें प्राप्त हुईं, वहीं एनडीए 350 से अधिक सीटें लाया है। इन सब बातों का सीधा संकेत है कि जनता किसे चाहती है और कितना चाहती है। लेकिन इसके बीच एक सवाल यह भी होना चाहिये कि जनता जिन्हें चाहती है, उन्हें क्यों चाहती है। आखिर क्या कारण है कि मतदाताओं ने देश की कमान मोदी को फिर से सौंपी? क्या कारण है कि पांच साल के शासन के बाद भी कोई सत्ता विरोधी रुझान नहीं दिखा? दरअसल मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने और दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने की घटनाओं में अंतर है।
2014 में वे पीएम पद के प्रत्याशी थे। गुजरात के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके थे। भाजपा के कद्दावर नेता थे और संगठन के बड़े व्यक्ति थे। यूपीए सरकार में हो रहे लगातार घोटालों से त्रस्त जनता बदलाव चाहती थी और उसे मोदी में वह चेहरा नजर आया जिस पर वो विश्वास कर सके। जनता ने मोदी को देश सौंप दिया। लेकिन यदि 2019 की बात की जाए तो मोदी का दूसरी बार भी चुनकर सत्ता में आना अधिक प्रभाव पैदा करता है।
विपक्षी दल मोदी पर जुमलेबाज होने का आरोप लगाते आए हैं। उनका कहना है कि मोदी केवल बातें बड़ी करते हैं, काम नहीं करते। लेकिन इन दलों से अब पूछा जाना चाहिए कि क्या बिना काम किए ही मतदाताओं ने दुबारा मोदी को चुन लिया? मोदी ने पिछले 5 साल में जो काम किए हैं, उसका ही प्रतिफल जनता ने उन्हें अपनी कीमती वोट के रूप में दिया है। 2014 में मिला जनादेश काफी हद तक मोदी के नाम पर था, अबकी उनके काम पर है। ये जनादेश कोई चमत्कार नहीं, मोदी के लोक-कल्याणकारी कार्यों का प्रतिफल है।
निश्चित ही 2014 से 2019 तक अपने पहले कार्यकाल में मोदी ने बहुत ऐसे काम किए जिनसे आम आदमी को लाभ महसूस हुआ। उन्होंने चौंकाने वाले काम भी किए और सुधारने वाले भी। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर उन्होंने स्वच्छता मिशन का जो आगाज किया, वह कालांतर में जनआंदोलन ही बन गया है। स्वयं पीएम ने झाडू लगाकर कार्य का आरंभ किया और बाद में यह जन-जन तक पहुंचा। हर साल स्वच्छ शहरों के सर्वेक्षण होने लगे तो शहरों में साफ-सुथरा रहने की सकारात्मक होड़ पैदा हुई। हर साल स्वच्छता श्रेणियों के पुरस्कार भी दिए गए।
आज यह स्थिति है कि बिना किसी दंड के भय के, बिना किसी कानूनी सख्ती के, लोग स्वेच्छा से अपने शहर को साफ रखने की कोशिश में लगे हैं। लोग अब मन से बदल चुके हैं। शादी-बारातों में भी दावत के बाद होने वाली गंदगी को अब आयोजक पहली प्राथमिकता पर स्वच्छ करते हैं। यह जनमानस में बदलाव जो आया है, वह निश्चित ही नरेंद्र मोदी के प्रयासों का परिणाम है।
मोदी ने हमेशा जमीनी स्तर पर जाकर सोचा और क्रियान्वित किया। उनके आह्वान पर लाखों लोगों ने घरेलू गैस पर मिलने वाली सब्सिडी का त्याग किया और उससे बचे पैसों में और राशि मिलाकर मोदी ने गांव की गरीब महिलाओं के लिए उज्जवला योजना को साकार किया। वे महिलाएं जो चूल्हे के धुएं में काम करती थीं, उन्हें निशुल्क गैस कनेक्शन मिल गया। मोदी सरकार ने जन-धन योजना लाकर उन लोगों को बैंकिंग प्रणाली का बड़े पैमाने पर हिस्सा बना दिया जो समाज की मुख्य धारा से कटे हुए थे।
मोदी सरकार की एक सबसे बड़ी उपलब्धि रही है प्रधानमंत्री आवास योजना। अपना घर होना सबका सपना होता है। इस सपने को साकार करने में मोदी सरकार सीधे मदद कर रही है। ढाई लाख रुपए की सहायता बहुत महत्व रखती है और कहना न होगा कि इस सब्सिडी के विश्वास पर हजारों मध्यमवर्गीय लोगों को स्वयं का घर निर्माण करने की प्रेरणा मिली। इससे समाज आगे ही बढ़ा है। समाज में आत्मनिर्भरता आई है।
सरकार की मुद्रा योजना एक ऐसी योजना बनकर सामने आई जिसने गांव-कस्बों के बेरोजगारों युवकों को सीधे तौर पर प्रभावित किया। मुद्रा योजना में कर्ज लेकर कई युवाओं ने अपने स्व-रोजगार शुरू किए हैं। यह तो हुई छोटे-छोटे स्तर पर आम आदमी के हित की बात, इसके अलावा मोदी ने बड़े और साहसिक सुधार भी किए। नोटबंदी और जीएसटी इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं। इन आर्थिक सुधारों के बूते आज देश में काला धन हाशिये पर है और व्यापारियों व मध्यस्थों की बन आई है।
देश की आंतरिक सुरक्षा की बात करें तो मोदी सरकार ने शुरू से ही पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध बनाए रखे। पाकिस्तान से भी यह सरकार वार्ता के पक्ष में रही थी, लेकिन जब पाकिस्तान ने अपने नापाक मंसूबे दिखाने बंद नहीं किए तो उसे कड़ा जवाब देने में भी मोदी सरकार ने कोई कोताही नहीं बरती। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे बड़े ऑपरेशन इसके प्रमाण हैं। इन कार्रवाईयों से सेना ने अपने जवानों की शहादत का प्रतिशोध तो लिया ही, साथ ही देश की जनता को भी संतुष्ट किया जो प्रतिशोध की ज्वाला में धधक रही थी।
युवाओं से जुड़ने की बात कहें तो मोदी सरकार ने स्टार्ट-अप योजना लाकर समाज के युवाओं को दिशा दी है। अब युवा अपने स्तर पर स्वयं छोटे-मोटे आंत्रपेन्योर बन गए हैं और रोजगार मांगने की बजाय वे खुद दूसरों को रोजगार दे रहे हैं। सरकार की इस पहल का युवाओं ने अच्छा प्रतिसाद दिया है। यह मोदी की ही दूरदर्शिता थी जो उन्होंने 5 साल पहले ही डिजिटल होती दुनिया और इस क्रांति के अर्थ को भांप लिया था। यही कारण है, सरकार में आते ही उन्होंने डिजिटल इंडिया का नारा दिया। उसे फलीभूत किया। आज कहने की आवश्यक्ता नहीं कि हमारा देश डिजिटल के क्षेत्र में कितना आगे जा चुका है। इंटरनेट की सहज उपलब्धता के चलते कई सारे नए कार्यों ने आकार लिया है, जिससे कहीं ना कहीं देश की अर्थव्यवस्था को लाभ ही पहुंचा है।
अंतरिक्ष तक में देश ने सफलता हासिल की। मिशन शक्ति इसका श्रेष्ठ उदाहरण है। जब पीएम मोदी ने स्वयं राष्ट्र के नाम संबोधन में इसका उल्लेख करके बताया तो हर देशवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। अब अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत भी विश्व के पांच बड़े देशों में शामिल हो गया है।
यदि हम मोदी के कार्यों की समीक्षा करेंगे तो उन्हें पूरी तरह खरा पाएंगे। लेकिन असली और अंतिम समीक्षा तो मतदाताओं ने की, जिसका परिणाम भी सामने है। केंद्र में मोदी की सरकार दोबारा बनी है। यह उनके द्वारा किए गए कार्यों का जनता द्वारा दिया गया पुरस्कार है। इतना ही नहीं, मोदी चूंकि अपनी कार्यशैली और कर्मठता के चलते जाने जाते हैं, तो उन्होंने अबकी शपथ ग्रहण के बाद ही रात में कजबेकिस्तान के राष्ट्रपति से द्विपक्षीय वार्ता करके सबको चौंका दिया।
नरेंद्र मोदी एक संपूर्ण राजनेता हैं जो गांव, कस्बों से लेकर शहरों, महानगरों और वैश्विक स्तर तक की बराबर समझ रखते हैं। इसीलिए वे सभी के बीच लोकप्रिय हैं। नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के बाद से ही मोदी सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। किसानों के लिए पेंशन योजना में अधिक राशि का प्रावधान और शहीदों के बच्चों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि में इजाफा जैसी बड़ी घोषणाएं सामने आ चुकी हैं। विपक्ष चाहें कुछ भी कहता रहे, मगर तथ्य यही है कि मोदी सरकार अपने कार्यों की वजह से सत्ता में वापस आई है। उम्मीद है, इस कार्यकाल में भी यह प्रगति का क्रम जारी रहेगा और जनता को इसका लाभ मिलता रहेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)