विलय दो चरणों में होगा। एचडीएफसी के पूर्ण स्वामित्व वाली इकाइयों एचडीएफसी इन्वेस्टमेंट्स और एचडीएफसी होल्डिंग्स का विलय पहले एचडीएफसी में किया जाएगा। उसके बाद एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक में विलय किया जाएगा। फिलहाल, एचडीएफसी बैंक में एचडीएफसी की सहायक इकाइयों के साथ 21 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
देश की सबसे बड़ी आवास वित्त कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी), जो एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है, का एचडीएफसी बैंक में विलय की घोषणा की गई है, लेकिन अभी दोनों कंपनियों के शेयर धारकों, भारतीय रिजर्व बैंक, स्टॉक एक्सचेंजों, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा अन्य नियामकों से मामले में मंजूरी मिलना बाकी है, जिसमें 15 से 18 महीने तक का समय लग सकता है। कंपनी के बोडों ने एचडीएफसी लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों एचडीएफसी इन्वेस्टमेंट और एचडीएफसी होल्डिंग्स को एचडीएफसी बैंक के साथ विलय की मंजूरी दे दी है।
अभी एचडीएफसी लिमिटेड के पास 1.1 करोड़ ग्राहक हैं और 6.23 लाख करोड़ रूपये की संपत्ति है, जबकि एचडीएफसी बैंक के पास 6.8 करोड़ ग्राहक हैं और 19.38 लाख करोड़ रूपये की संपत्ति है. विलय के बाद एकीकृत इकाई दुनिया के बड़े बैंकों में से एक हो जाएगा और एक अनुमान के अनुसार इसका मार्केट कैप 20 हजार करोड़ डॉलर का होगा, जो रूपये में 15.12 लाख करोड़ रुपये होगा। हालाँकि, विलय के बाद भी इसकी बैलेंस शीट भारतीय स्टेट बैंक से आधी होगी।
विलय दो चरणों में होगा। एचडीएफसी के पूर्ण स्वामित्व वाली इकाइयों एचडीएफसी इन्वेस्टमेंट्स और एचडीएफसी होल्डिंग्स का विलय पहले एचडीएफसी में किया जाएगा। उसके बाद एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक में विलय किया जाएगा। फिलहाल, एचडीएफसी बैंक में एचडीएफसी की सहायक इकाइयों के साथ 21 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
विलय एकीकरण शेयरों में किया जाएगा। एचडीएफसी के 2 रुपये अंकित मूल्य वाले प्रत्येक 25 पूर्ण चुकता शेयरों पर एचडीएफसी बैंक के 1 रुपये अंकित मूल्य वाले 42 शेयर दिए जाएंगे। विलय के बाद एचडीएफसी बैंक 100 प्रतिशत आम शेयर धारकों की कंपनी बन जाएगी और एचडीएफसी के मौजूदा शेयर धारकों के पास एचडीएफसी बैंक के 41 प्रतिशत शेयर होंगे।
विलय का एचडीएफसी के कर्मचारियों पर कोई भी नकारत्मक असर नहीं पड़ेगा। हाँ, उन्हें लाभ जरुर होगा, क्योंकि विलय के बाद वे एक ही शाखा में बैंकिंग और ग़ैर बैंकिंग दोनों तरह की सुविधाएं हासिल कर सकेंगे.
यहाँ सवाल का उठना लाजिमी है कि अचानक से एचडीएफसी के एचडीएफसी बैंक में विलय की घोषणा क्यों की गई? माना जा रहा है कि विलय की तैयारी पहले से चल रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और बैंकों के संचालन के लिए समान नियम लागू करने के निर्णय की वजह से एचडीएफसी के लिए कंपनी का सुचारू रूप से परिचालन करना और मुनाफा कमाना आसान नहीं रह गया था।
ऐसे में एचडीएफसी के पास यही विकल्प बचा था कि या तो वह नुकसान उठाये या फिर विलय का रास्ता चुने। चूँकि, विलय का विकल्प एचडीएफसी के लिए लाभकारी था, इसलिए, कंपनी के प्रबंधन ने दूसरे रास्ते को चुनना बेहतर समझा।
विलय से बैंक के उत्पादों का पोर्टफोलियो बढ़ जाएगा। विशेषकर आवास ऋण उत्पाद का, क्योंकि प्रतिस्पर्धी ऋणदाताओं के पास मॉर्गेज ऋण पोर्टफोलियो बहुत ही कम है। एचडीएफसी बैंक ने आवास ऋण में विगत 5 सालों में 25 प्रतिशत सालाना चक्रवृद्धि दर से वृद्धि की है। बावजूद इसके, इसकी बाजार में हिस्सेदारी 11 प्रतिशत है। चूँकि, एचडीएफसी ने 45 सालों में 90 लाख से अधिक ग्राहकों को आवास ऋण मुहैया कराया है। इसलिए, इस क्षेत्र में व्यापक विस्तार की गुंजाईश है.
वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स (एसऐंडपी) का कहना है कि एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक में विलय से एकीकृत इकाई की बाजार हिस्सेदारी में बेहतरी आयेगी और इसके राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। हालाँकि, एसऐंडपी का यह भी कहना है कि सांविधिक रिजर्व की अनिवार्यता और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को उधारी के नियमों से अल्पावधि में एकीकृत इकाई के लाभ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
एचडीएफसी का करीब 9 प्रतिशत पोर्टफोलियो रियल एस्टेट डेवलपर्स के कर्ज का है, जहां बैंक के बाकी पोर्टफोलियो के मुकाबले परिसंपत्ति गुणवत्ता कमजोर है। फिर भी एसऐंडपी का मानना है कि पर्याप्त पूंजी एवं प्रावधान होने की वजह से एकीकृत इकाई इस पोर्टफोलियो के बढ़े जोखिम का सामना करने में सक्षम होगी।
एसऐंडपी का यह भी कहना है कि इस विलय से एकीकृत इकाई की प्रतिस्पर्धी दर पर रकम जुटाने की क्षमता सुधरेगी। एकीकृत इकाई की आय अगले 5 सालों में और भी बेहतर होगी और इसका कर्ज 42 प्रतिशत बढ़कर 18 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है। साथ ही, एकीकृत इकाई की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 15 प्रतिशत हो सकती है।
एचडीएफसी बैंक में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश की सीमा 74 प्रतिशत है, जिसमें लगभग 70 प्रतिशत निवेश किया जा चुका है। एचडीएफसी बैंक में विदेशी संस्थागत निवेशक (एफपीआई) की सीमा का करीब 26 प्रतिशत का इस्तेमाल मूल कंपनी एचडीएफसी ने किया है, जिसे विदेशी इकाई के तौर पर वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि उसकी 50 प्रतिशत से ज्यादा शेयरधारिता विदेशी इकाइयों के पास है। इसके अलावा एचडीएफसी बैंक में एफपीआई की 19 प्रतिशत सीमा उसके अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट्स (एडीआर) की है, जिसकी ट्रेडिंग न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में होती है।
विलय के बाद एकीकृत इकाई की फंडिंग लागत में कमी आएगी, जिससे वह सस्ता मॉर्गेज ऋण दे सकेगा। एक अनुमान के अनुसार एचडीएफसी के केवल 30 प्रतिशत ग्राहकों के खाते ही एचडीएफसी बैंक में हैं, इसलिए मौजूदा ग्राहकों को अतिरिक्त उत्पाद बेचने की काफी गुंजाईश है। इस विलय के बाद कर्मचारियों के तार्किक इस्तेमाल से भी एकीकृत इकाई को फायदा हो सकता है।
निजी क्षेत्र में बजाज फिनसर्व, ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक पहले ही अपने आकार को बढ़ा चुके हैं, जिससे उनके खुदरा ग्राहकों, उच्च तकनीक डेटा आधारित सेवाएं और भौगोलिक पहुंच में इजाफा हुआ है। उम्मीद है कि विलय के बाद एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक की एकीकृत इकाई को अनेक मोर्चे पर लाभ होगा।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)