कश्मीर में आतंकियों पर कारवाई या मुठभेड़ के दौरान कश्मीर के स्थानीय लोगों द्वारा सेना पर पत्थरबाजी का सिलसिला जो कुछ समय से बंद था, अब फिर शुरू होता दिख रहा है। अभी हाल ही में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान सेना के जवानों पर पत्थरबाजों ने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। परिणाम यह हुआ कि एक आतंकी तो मारा गया, मगर पत्थरबाजी में सेना के काफी जवान घायल हो गए। इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी एस पी वेद द्वारा स्पष्ट शब्दों में पत्थरबाजों को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान जो भी लोग पत्थर बरसाने आते हैं, वे आत्महत्या कर रहे हैं; क्योंकि गोली यह नहीं देखती कि सामने कौन खड़ा है। सरकार द्वारा सेना को कार्रवाई की छूट पहले ही दी जा चुकी है। स्पष्ट है कि पत्थरबाजों के प्रति सरकार, पुलिस और सेना सब का एकदम कड़ा रुख है और होना भी चाहिए। यह सही है कि ये पाकिस्तान और उसके द्वारा समर्थित अलगाववादियों के द्वारा कश्मीर के युवाओं को उकसाकर करवाया जा रहा है, मगर फिलहाल इसपर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है कि पत्थरबाजों के मन में सुरक्षा बलों का खौफ जगे और वे कार्रवाई की जगहों पर पत्थरबाजी करने से बाज आएं।
भारत के समक्ष सैन्य से लेकर कूटनीतिक तक हर मोर्चे पर विफल साबित होने की बौखलाहट का परिणाम है कि पाकिस्तान कभी पत्थरबाजों के जरिये हमारे जवानों की कार्रवाई को कुंद करने, तो कभी छोटे-मोटे आतंकी हमलों के जरिये देश में अस्थिरता का वातावरण पैदा करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, उसकी ये बदमाशियां थोड़ी परेशानी भले खड़ी कर लें, मगर इनसे देश को कोई नुकसान नहीं पहुँचने वाला। क्योंकि, देश की सीमा पर हमारे जवान पूरी मुस्तैदी के साथ हर मुश्किल का सामना करने को डंटे हैं, वहीँ अब देश में एक मज़बूत इच्छाशक्ति वाली सरकार भी है, जो हमलों का जवाब ‘कड़ी निंदा’ से नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक से देती है।
अब रही बात पत्थरबाजों को शह देने वालों की तो उल्लेखनीय होगा कि इस मामले पर संसद में बोलते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये पत्थरबाजी पाकिस्तान की शह पर हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सबूत मिले हैं जिससे प्रतीत होता है कि इन्टरनेट के जरिये पडोसी देश द्वारा कश्मीरी युवाओं को पत्थरबाजी के लिए उकसाया जा रहा है। इन्टरनेट माध्यमों से उन्हें यह सूचना दे दी जाती है कि फलां जगह मुठभेड़ हो रही है और फिर वे वहाँ पहुंचकर पत्थरबाजी शुरू कर देते हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। मगर, खबरों की मानें तो इस स्थिति पर रोक लगाने के लिए सरकार राज्य में इन्टरनेट के अनुप्रयोग को सीमित करने के विषय में भी विचार कर रही है। हालांकि ऐसा किया जाना राज्य के बहुत से लोगों के लिए थोड़ी असुविधा उत्पन्न करेगा, मगर पत्थरबाजों पर लगाम लगाने में कारगर भी होगा।
दरअसल मोदी सरकार के आने के बाद से न केवल सैन्य स्तर पर भारत अब पाकिस्तान की बदमाशियों का जवाब देने लगा है, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी एशिया से लेकर लगभग सभी वैश्विक मंचों पर तक उसे पटखनी देने में कामयाब रहा है। आज भारत के विरुद्ध पाकिस्तान के किसी भी स्टैंड पर उसके समर्थन में खुलकर दुनिया का एक भी देश खड़ा नज़र नहीं आता। अमेरिका ने अपनी सहायता में भारी-भरकम कटौती कर ली है तथा जब-तब आतंक के विरुद्ध कार्रवाई के लिए उसे नसीहत ही देते रहता है। रूस, फ़्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों से पाकिस्तान की कोई निकटता कभी रही नहीं है। ये सब देश भारत के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने पर जोर देने में लगे हैं। अब एशिया की बात करें तो अफगानिस्तान जो कभी भारत के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान का साथ देने की बात कहता था, अब भारत से अपने सम्बन्ध मज़बूत करने में लगा है। बांग्लादेश से भी पाकिस्तान के सम्बन्ध इन दिनों तल्खी भरे हैं। मतलब कि पाकिस्तान दुनिया भर में पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुका है। इसके अलावा कश्मीर में भी अब पाकिस्तान के प्यारे अलगाववादियों की स्थिति काफी कमजोर हुई है। यह भी उसकी परेशानी को बढ़ा रहा है। इन्हीं सब विफलताओं और पराजयों की बौखलाहट का परिणाम है कि पाकिस्तान कभी पत्थरबाजों के जरिये जवानों की कार्रवाई को कुंद करने, तो कभी छोटे-मोटे आतंकी हमलों के जरिये देश अस्थिरता का वातावरण पैदा करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, उसकी ये बदमाशियां थोड़ी परेशानी भले खड़ी कर लें, मगर इनसे देश को कोई नुकसान नहीं पहुँचने वाला। क्योंकि, देश की सीमा पर हमारे जवान पूरी मुस्तैदी के साथ हर मुश्किल का सामना करने को डंटे हैं, वहीँ अब देश में एक मज़बूत इच्छाशक्ति वाली सरकार भी है जो हमले का जवाब ‘कड़ी निंदा’ से नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक से देती है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)