टीकाकरण की यह उपलब्धि सरकार की एक लंबी तैयारी और कड़ी मेहनत से हासिल हुई है। कोरोना महामारी की शुरुआत के तत्काल बाद अप्रैल 2020 में ही इसके लिए टास्क फोर्स बना दी गई थी। जहां सीरम इंस्टिट्यूट ने ब्रिटेन में विकसित एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के भारत में उत्पादन के लिए समझौता किया, तो दूसरी ओर भारत बायोटेक ने स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने पर काम शुरू किया। सबके संयुक्त प्रयासों से ही आज देश यह बड़ी सफलता हासिल कर पाया है।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लड़ाई के मोर्चे पर भारत ने एक और मील का पत्थर तय कर लिया है। 17 जुलाई रविवार को देश में कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज का करिश्माई आंकड़ा पार कर लिया गया। इसके साथ ही पूरे विश्व में यह संदेश स्पष्ट रूप से गया है कि कोरोना की जिस आपदा के समय वे भारत को साधनहीन और बेबस मानते हुए इसे लेकर विभिन्न आशंकाएं व्यक्त कर रहे थे, उस भारत ने न केवल कोरोना की लहरों का मजबूती से सामना किया बल्कि अब दो सौ करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर देशवासियों के जीवन की सुरक्षा भी सुनिश्चित की है।
देश का टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 को शुरू किया गया था और केवल 18 महीने में इस ऊंचाई तक पहुंच चुका है। आंकड़ों के अनुसार अभी तक इस कोविड टीकाकरण से देश 42 लाख जिंदगियां बचाने में सफल रहा है। इतना ही नहीं, भारत अभी तक 98 देशों को भी 23 करोड़ से ज्यादा टीके की खुराक भेज चुका है।
विश्व के इस सबसे बड़े टीकाकरण अभियान ने 21 अक्टूबर को 100 करोड़ डोज और सात जनवरी को 150 करोड़ डोज के आंकड़े को पार किया था। अब कल 200 करोड़ की संख्या छूते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक एवं गौरवमयी पल की सूचना ट्वीट कर राष्ट्र को दी एवं राष्ट्रवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत ने फिर इतिहास रचा है। 200 करोड़ डोज के आंकड़े को पार करने पर सभी भारतीयों को बधाई। गर्व है उन लोगों पर जिन्होंने भारत के टीकाकरण अभियान को आकार और गति में अद्वितीय बनाया। इससे वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी से लड़ाई को आगे पहुंचाया। देश को बधाई देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में जन भागीदारी के जरिये यह लक्ष्य प्राप्त हुआ।
आज इस खुशी के प्रसंग पर सभी इसमें शामिल हैं लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था। इस मुकाम तक आने में सरकार को कई बाधाओं एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बड़ी चुनौती तो यही थी कि इतने कम समय में इतनी घातक महामारी से बचाव की दिशा में कोई कारगर टीका हासिल करना। यह अपने आप में एक कठिन काम इसलिए था क्योंकि 2020 के आरंभ में कोरोना पूरी दुनिया में फैला था।
इसके चलते मार्च 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया। इसके बाद लॉकडाउन में विस्तार करते हुए धीरे-धीरे अनलॉक शुरू किया गया। पाबंदियां क्रमश: हटाईं गईं ताकि बाजार खुल सकें एवं अर्थव्यवस्था पर बुरा असर ना पड़े। इस बीच जब कोरोना वैक्सीन की बात चली तो लग रहा था कि यह बहुत दुष्कर कार्य है एवं इसे पाने में कई वर्ष लग जाएंगे।
लेकिन केंद्र सरकार अपने लक्ष्य को लेकर पूरी तरह से गंभीर थी, अडिग थी। दृढ़ संकल्प के चलते इस महा मिशन पर काम शुरू किया गया। वैक्सीन के ट्रायल के कई चरण चले। आखिरकार इसे मंजूरी दी गई और जनवरी 2021 में यह टीकाकरण बहुत उम्मीद भरे संकल्प एवं अभियान के रूप में सामने आया।
लेकिन इस टीकाकरण अभियान में देश के विपक्षी दलों की भूमिका बेहद निराशाजनक रही है। विपक्षी दलों के नेताओं ने जनता में इस अभियान के खिलाफ दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया। जब तक वैक्सीन नहीं बनी थी तब तक विपक्षी दल सरकार को कोस रहे थे और यह आरोप लगा रहे थे कि सरकार इस महामारी से निपट नहीं पा रही है। लेकिन जब अल्प समय में सरकार वैक्सीन लेकर आ गई तो विपक्ष इसके बारे में झूठी और मनगढ़ंत बातें फैलाने लगा।
सपा नेता अखिलेश यादव ने निहायत ही बचकाना बयान दिया और कहा कि यह भाजपा की वैक्सीन है। इसे मैं नहीं लगवाउंगा। विपक्षी नेताओं ने इस वैक्सीन को लेकर भ्रम पैदा करने की खूब कोशिशें की ताकि जनता में भय का माहौल बन जाए। इस सिलसिले का शर्मनाक पहलू तब देखने को मिला जब राजस्थान में बड़ी मात्रा में वैक्सीन कूड़ेदान में फेंके जाने का मामला सामने आया।
आखिर प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ी पहल करते हुए यह घोषणा कर दी कि अब से वैक्सीन का सारा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। राज्य सरकारों पर से इस भार को हटा लिया गया। उसके बाद तो मानो अभियान को पंख लग गए। टीकाकरण में और तेजी आ गई। टीकाकरण के सरकारी ऐप व वेबसाइट कोविन पर प्रत्येक नागरिक की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई गई जिसमें उनके पिछले एवं अगले डोज की तारीख व स्थान का उल्लेख था। इस प्रकार के पारदर्शी काम में ना तो कोई त्रुटि होने का डर है ना ही किसी प्रकार की धांधली का खतरा। बस देश का टीकाकरण अभियान द्रुत गति से चल पड़ा।
हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ शुरू हुआ यह अभियान अब 18 साल से अधिक उम्र के सभी वयस्कों के लिए सतर्कता डोज तक पहुंच गया है। विज्ञान पत्रिका लैंसेट में छपे अध्ययन के अनुसार यह कोरोना टीकाकरण भारत में 42 लाख जिदगियां बचाने में सफल रहा है। अभियान के आरंभ से लेकर अभी तक मात्र 18 महीने में 200 करोड़ डोज देकर भारत ने कोरोना टीकाकरण में एक अभूतपूर्व एवं महत्वपूर्ण कीर्तिमान स्थापित किया है।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस प्रभावी एवं व्यापक टीकाकरण के दम पर ही इस साल जनवरी में आई तीसरी लहर बहुत कम घातक सिद्ध हुई। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो भारत में 18 साल से अधिक उम्र की कुल वयस्क जनसंख्या के 98 प्रतिशत को कोरोना टीके की कम से कम एक डोज लग चुकी है। 90 प्रतिशत ने दोनों प्रकार की कोरोना वैक्सीन की डोज ले ली है। 15 से 18 और 12 से 14 साल के बच्चों का टीकाकरण भी सही गति से बढ़ रहा है। कुल टीकाकरण में 48.9 प्रतिशत डोज पुरुषों और 51.1 प्रतिशत डोज महिलाओं को लगी है।
आंध्र प्रदेश, अंडमान निकोबार, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, चंडीगढ़, तेलंगाना और गोवा 12 साल से अधिक उम्र की 100 प्रतिशत जनसंख्या को दोनों डोज लगाने में सफल रहे। भारत 98 देशों को लगभग 23 करोड़ डोज सप्लाई भी कर चुका है।
टीकाकरण की यह उपलब्धि सरकार की एक लंबी तैयारी और कड़ी मेहनत से हासिल हुई है। कोरोना महामारी की शुरुआत के तत्काल बाद अप्रैल 2020 में ही इसके लिए टास्क फोर्स बना दी गई थी। जहां सीरम इंस्टिट्यूट ने ब्रिटेन में विकसित एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के भारत में उत्पादन के लिए समझौता किया, तो दूसरी ओर भारत बायोटेक ने स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने पर काम शुरू किया। सबके संयुक्त प्रयासों से ही आज देश यह बड़ी सफलता हासिल कर पाया है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)