नया भारत: जिसकी ताकत को विश्व महसूस ही नहीं कर रहा, स्वीकार भी रहा है

वो भारत जो 1971 में जेनेवा समझौते के बावजूद 90000 पाक युद्ध बंदियों और जीते हुए पाक के हिस्से के बदले अपने 54 सैनिक वापस नहीं ले पाया, आज पाक को 36 घंटे के भीतर अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते भारी घरेलू विरोध के बावजूद भारतीय पायलट बिना शर्त सकुशल लौटाने के लिए बाध्य कर देता है। ये नए भारत की ताकत है।

पुलवामा हमले के जवाब में पाक स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक करने के बाद अब भारतीय सेना का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ अभी ऑपरेशन पूरा नहीं हुआ है। ये नया भारत है जिसने एक कायराना हमले में अपने 44 वीर जवानों को खो देने के बाद केवल उसकी कड़ी निंदा करने के बजाए उस  की प्रतिक्रिया की और आज इस नए भारत की ताकत को विश्व महसूस कर रहा है।

आज विश्व इस नए भारत को केवल महसूस ही नहीं कर रहा बल्कि स्वीकार भी कर रहा है। ये वो न्य भारत है जिसने विश्व को आतंकवाद की परिभाषा बदलने के लिए मजबूर कर दिया। जो भारत अब से कुछ समय पहले तक आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व में अलग-थलग था, आज पूरी दुनिया उसके साथ है। क्योंकि 2008 के मुंबई हमले के दौरान विश्व के जो देश इस साजिश में पाक का नाम लेने बच रहे थे, आज पुलवामा के लिए सीधे-सीधे पाक को दोषी ठहरा रहे हैं।

अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक हर देश आतंकवाद को लेकर पकिस्तान के रुख की भर्त्सना कर रहा है। इतना ही नहीं, जो अमेरिका और ईरान अपनी-अपनी विदेश नीति को लेकर अक्सर एक दूसरे के आमने-सामने होते हैं, आज उनकी पाक को लेकर एक ही नीति है।

फ्रांस ने तो यहाँ तक कह दिया है कि पाक को अपनी सीमा में होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगनी चाहिए। जर्मनी और रूस के बयान भी इससे जुदा नहीं थे। और तो और, जब पाकिस्तान ने भारत पाक तनाव का असर अफगान शांति प्रक्रिया पर पड़ने की बात कही तो अफगान सरकार ने पाक के झूठ को बेनकाब  करके खुलकर भारत का समर्थन किया।

दरअसल ये भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि है कि कल तक अन्तराष्ट्रीय मंच पर  जिस पाक प्रायोजित आतंकवाद को “एक देश का आतंकवादी दूसरे देश का स्वतंत्रता सेनानी है” कहा जाता था आज “आतंकवाद को किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता” कहा जा रहा है

और ये इस न्यू इंडिया की बहुत बड़ी जीत है कि आज एक तरफ विश्व के उक्त देश उसके साथ हैं तो दूसरी तरफ ओआईसी यानी आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक रिपब्लिक के 57 मुस्लिम देश भी आतंकवाद के मुद्दे पर पाक के नहीं बल्कि भारत के ही साथ खड़े हैं। हाल ही में ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के कॉन्क्लेव में भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज का गेस्ट ऑफ ऑनर बनना और पाक का बॉयकॉट करना अपने आप में बहुत कुछ कहता है।

ऐसे माहौल में चीन भी भारत में आतंकवाद को कश्मीर की आज़ादी की लड़ाई साबित करने के पकिस्तान के षड्यंत्र में पाक का साथ छोड़ने के लिए विवश हो रहा है। यह नए भारत की ही ताकत है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुलवामा हमले के निंदा प्रस्ताव पर चीन को भी अपनी सहमति देनी पड़ी। क्योंकि हाल के समय में तेज़ी से बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य में इस नए भारत ने विश्व में अपनी एक विशिष्ट पहचान और जगह दोनों बनाई है।

जो भारत आज से कुछ सालों पहले तक दुनिया की नज़र में सांप-सपेरों का देश था, आज विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एक तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। जो भारत 1965, 1971 और 1999 में कूटनीतिक रूप से कमजोर था, आज वो इस मामले में अपना लोहा मनवा चुका है।

जिस राजनैतिक तीव्रता से सम्पूर्ण विश्व ने सिर्फ पुलवामा हमले की निंदा ही नहीं की बल्कि पकिस्तान को दोषी ठहराया और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को अपना समर्थन दिया वो वैश्विक राजनीति में भारत की बदली हुई भूमिका बताने के लिए काफ़ी है।

ये बताने के लिए काफी है कि ये वो भारत है जो अपने गुनहगारों का पीछा करते हुए खुद को सीमाओं में नहीं बांधता। वो सीमाओं के पार जाकर साज़िश के असली गुनहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचाता है। लेकिन खास बात यह है कि एक देश की सीमा रेखा को पार कर के अपना बदला लेकर भी ये न्यू इंडिया यह स्पष्ट संदेश देने में कामयाब होता है कि यह “हमला” नहीं है। ये वो न्यू इंडिया है जो दुनिया को यह समझाने में कामयाब हुआ है कि हम शांति चाहते हैं और शांति के लिए युद्ध करने के लिए भी तैयार हैं।

शायद इसीलिए वो भारत जो 1971 में जेनेवा समझौते के बावजूद 90000 पाक युद्ध बंदियों और जीते हुए पाक के हिस्से के बदले अपने 54 सैनिक वापस नहीं ले पाया, आज पाक को 36 घंटे के भीतर अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते भारी घरेलू विरोध के बावजूद भारतीय पायलट बिना शर्त सकुशल लौटाने के लिए बाध्य कर देता है।

ये नया भारत अपनी कूटनीति से पाक और उसके हर झूठ को दुनिया के सामने बेनकाब कर देता है। उस अमेरिका के साथ उसके रिश्ते की नींव ही हिला देता है जिसकी आर्थिक सहायता से उसकी अर्थव्यवस्था चलती है। ये वो न्यू इंडिया है जो बिना लड़े ही युद्ध जीत जाता है। और वो न्यू इंडिया जिसका पायलट मिग 21से एफ़-16 को गिराने का हौसला और जज्बा रखता है। ये नया भारत एक बार फिर विश्व गुरु बनने के लिए तैयार है।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)