देश की सत्ता पर काबिज होते ही जनता के सपनों के बारे में सोचने वाली मोदी सरकार ने जनहित की दिशा में अब एक और उपलब्धी हासिल की है। गत दिनों आई एसबीआई इकोफ्लैश की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बेरोजगारी की दर में पिछले 6 महीनो में गिरावट दर्ज की गई है। एसबीआई के आर्थिक शोध विभाग ने एक नोट में कहा, हमारा मानना है कि बेरोजगारी में गिरावट का प्रमुख कारण ग्रामीण क्षेत्रों में नये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का सरकार का प्रयास है। रिपोर्ट के अनुसार बेरोजगारी दर में छह महीने में तीव्र गिरावट आई है और जो बेरोजगारी दर अगस्त 2016 में 9.5 प्रतिशत थी, अब घटकर 4.8 प्रतिशत पर आ गयी है। रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा के तहत पूर्ण हुए कार्य की संख्या 2016-17 में 40 प्रतिशत बढ़कर 50.5 लाख पहुंच गया जो पिछले वित्त वर्ष 36 लाख था।
मनरेगा संप्रग सरकार के समय से संचालित योजना है, मगर तब यह सिर्फ भ्रष्टाचार का एक माध्यम भर बनके रह गयी थी। क्योंकि संप्रग सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह से विफल साबित हुई थी। इसमें घोटालों का ही खुलासा होते रहता था। लेकिन, मोदी सरकार ने इसमें कई प्रकार के परिवर्तन लाए तथा इसकी क्रियान्वयन व्यवस्था को दुरुस्त किया, जिसके फलस्वरूप आज यह रोजगार देने वाली योजना साबित हो रही है। इसके अलावा सरकार ने अपनी स्टैंड अप और स्टार्ट अप इंडिया जैसी योजनाओं के जरिये रोजगार उत्पादन की दिशा में सार्थक प्रयास किया है।
देश में बेरोजगारी में गिरावट का सबसे बड़ा कारण मनरेगा के तहत युवाओं को मिलने वाला रोजगार माना जा रहा है। वैसे भी हर मां-बाप का सपना होता है कि उसका बच्चा पढ़ लिखकर आगे बढ़े; लेकिन पढ़ने के बावजूद जब उसे रोजगार नहीं मिलता है, तो बच्चों को तो हताशा होती ही है साथ ही मां-बाप दिमागी रूप से परेशान हो जाते हैं। यह समस्या सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जाती है, लेकिन केंद्र सरकार की नीतियों और उनके क्रियान्वयन के प्रति प्रतिबद्धता के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं।
प्रायः देखा जाता है कि राजनेता ग्रामीणों से तमाम वादें कर सत्ता तक पहुंचते है, लेकिन जब काम करने का वक्त आता है तो सबसे पहले ग्रामीणों को ही अनदेखा किया जाता है। जबकि मोदी सरकार द्वारा सत्ता में आने के बाद सबसे पहले ग्रामीणों के विकास पर ही ध्यान दिया गया। तभी केंद्रीय बजट में सरकार ने मनरेगा के लिए अलग से प्रवाधान करके रोजगार के नए रास्ते खोले। फरवरी 2016 में सरकार द्वारा 83 लाख परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया था, जबकि फरवरी 2017 में यह आंकड़ा 1.67 करोड़ पहुंच गया।
इस वर्ष केंद्रीय बजट में मनरेगा के लिए 48,000 करोड़ आवंटित किया गया। इसके तहत वित्त वर्ष 2017 में 10 लाख तालाब बनाए जाएंगे जबकि वित्त वर्ष 2018 में 5 लाख और बढ़ाया जाएगा। दरअसल मनरेगा तो संप्रग सरकार के समय से संचालित योजना है, मगर तब यह सिर्फ भ्रष्टाचार का एक माध्यम भर बनके रह गयी थी। क्योंकि संप्रग सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह से विफल साबित हुई थी। इसमें घोटालों का ही खुलासा होते रहता था। लेकिन, मोदी सरकार ने इसमें कई प्रकार के परिवर्तन लाए तथा इसकी क्रियान्वयन व्यवस्था को दुरुस्त किया, जिसके फलस्वरूप आज यह रोजगार देने वाली योजना साबित हो रही है। इसके अलावा सरकार की स्टैंड अप और स्टार्ट अप इंडिया जैसी योजनाओं के जरिये रोजगार उत्पादन की दिशा में सार्थक प्रयास किया है। इन सब पहलों का परिणाम ही है कि आज देश की बेरोजगारी दर में गिरावट आई है। साथ ही नोटबंदी के बाद विपक्षी दलों द्वारा बेरोजगारी बढ़ने का जो हल्ला मचाया गया था, उसकी भी पोल घटती बेरोजगारी दर के इन आंकड़ों ने खोल दी है।
(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)