यह भी खबर है कि देश का सूचना एवं प्रोद्योगिकी क्षेत्र वित्त वर्ष 2020-21 में पिछले वित्त वर्ष के मुक़ाबले 10 प्रतिशत ज्यादा भर्तियां करेगा। तकनीक क्षेत्र में प्रारंभिक स्तर पर की जारी रही भर्तियों की प्रवृति का विश्लेषण करने से इस बात का खुलासा हुआ। चालू वित्त वर्ष में 177 अरब डॉलर के सूचना प्रद्योगिकी और कारोबारी प्रबंधन क्षेत्र ने 1.8 लाख लोगों को रोजगार दिया है।
हाल के दिनों में विपक्ष कि तरफ से आर्थिक सुस्ती का हल्ला मचाया गया है, लेकिन रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश में वृद्धि की खबर है। इस वर्ष जनवरी से अब तक रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश लगभग 9 प्रतिशत बढ़कर 43,780 करोड़ रुपये हो गया है। ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट फर्म कोलियर्स के अनुसार रियल एस्टेट सेक्टर में हुए कुल निवेश में 46 प्रतिशत यानी 19,900 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी सिर्फ ऑफिस प्रॉपर्टी की रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 2018 के मुकाबले 2019 के दौरान रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश 8.7 प्रतिशत बढ़कर 620 करोड़ डॉलर रहा, जो रूपये में लगभग 43,780 करोड़ रुपये है। गौरतलब है कि इस साल रियल एस्टेट सेक्टर में जितना निवेश हुआ, उसमें निवेश फंडों की हिस्सेदारी लगभग 78 प्रतिशत रही, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
फर्म के अनुसार वर्ष 2020 के दौरान रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश बढ़कर 46,170 करोड़ रुपये तक पहुंच जायेगा। एक अनुमान के मुताबिक अगले साल ऑफिस प्रॉपर्टी की माँग में और भी तेजी आ सकती है। विशेषकर आइटी सेक्टर में। फर्म ने उम्मीद जताई है कि निवेशक आगामी सालों तक कॉमर्शियल ऑफिस प्रॉपर्टी खरीदने में ज्यादा रुचि दिखायेंगे, क्योंकि कॉमर्शियल ऑफिस प्रॉपर्टी के किराये में आगामी सालों में बढ़ोतरी का अनुमान है।
इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा माँग मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में रहने के आसार हैं। इस साल रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश आकर्षित करने के मामले में दिल्ली-एनसीआर को पीछे छोड़कर बेंगलुरु, मुंबई के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अबतक बेंगलुरु में 4,650 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जबकि मुंबई के रियल एस्टेट क्षेत्र में इस साल सबसे ज्यादा 25 प्रतिशत निवेश हुआ है।
यह भी खबर है कि देश का सूचना एवं प्रोद्योगिकी क्षेत्र वित्त वर्ष 2020-21 में पिछले वित्त वर्ष के मुक़ाबले 10 प्रतिशत ज्यादा भर्तियां करेगा। तकनीक क्षेत्र में प्रारंभिक स्तर पर की जारी रही भर्तियों की प्रवृति का विश्लेषण करने से इस बात का खुलासा हुआ। चालू वित्त वर्ष में 177 अरब डॉलर के सूचना प्रद्योगिकी और कारोबारी प्रबंधन क्षेत्र ने 1.8 लाख लोगों को रोजगार दिया है।
एक अनुमान के मुताबिक आगामी वित्त वर्ष में यह क्षेत्र लगभग 2 लाख इंजीनियरों को रोजगार देगा। बेंगलुरु में अवस्थित कर्मचारियों की भर्ती करने वाली एजेंसी एक्सफेनो के को-फाउंडर कमल करंथ के अनुसार आने वाले सालों में भर्तियों में वृद्धि जारी रहेगी और इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 1 से 5 साल के अनुभव वाले लोगों की होगी और इसमें सबसे ज्यादा योगदान बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारत स्थित प्रोद्योगिकी इकाई की होगी।
ग्लोबल कंपनियों के पुराने और नये दोनों तरह के प्रौद्योगिकी इकाईयों के केन्द्रों में भर्तियों की प्रक्रिया तेज होगी। एक्सफेनो के मुताबिक विगत 8 से 12 महीनों में लगभग 30 टेक सेवा प्रदाता कंपनियों ने भारत में अपना कारोबार शुरू किया है। देश की शीर्ष 5 आईटी कंपनियों जैसे, टाटा कंसल्टेंसी सर्विस, इंफोसिस, एचसीसल टेक्नोलॉजी, विप्रो और टेक महिंद्रा की तरफ से वित्त वर्ष 2021 में कुल भर्तियों में 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रहने की संभावना है।
इन कंपनियों ने चालू वित्त में सितंबर तक 6 महीनों में 64,432 कर्मचारियों को भर्ती की है। पिछले साल इसी अवधि में इन कंपनियों ने 54,642 लोगों को रोजगार दिया था। ये कंपनियां कॉलेज कैंपस से इंजीनियर स्नातकों का चयन नौकरी देने के लिये कर रही हैं।
इधर, आईसीआईसीआई बैंक-क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट, “माइनिंग द गोल्ड अपॉर्चुनिटी इन रिटेल लोन” में कहा गया है कि धीरे-धीरे गृह, कार और पर्सनल ऋण लेने की रफ्तार में वृद्धि हो रही है और मार्च 2024 तक बैंकों और वित्तीय कंपनियों की खुदरा ऋण दोगुना हो जाने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक यह बढ़कर 96 लाख करोड़ रूपये हो सकती है। मार्च 2019 तक खुदरा ऋण का आकार 48 लाख करोड़ रुपये का था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वृद्धि में अंतिम निजी उपभोग की अहम भूमिका होगी, जिसमें गृह, कार, कंज्यूमर ऋण, क्रेडिट कार्ड आदि ऋणों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऋण लेने में उपभोक्ताओं की दिलचस्पी, ग्राहकों के उपलब्ध आंकड़ों, आंकड़ों के विश्लेषण में सुधार एवं उन्हें अमल में लाने में आसानी, आर्थिक सुस्ती दूर करने के लिये सरकार द्वारा उठाये जा रहे सुधारात्मक कदम आदि से खुदरा ऋण की वृद्धि में तेजी आ रही है। सरकार सस्ती गृह ऋण और कुटीर व छोटे उद्योगों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने पर ज़ोर दे रही है।
आईसीआईसीआई बैंक के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनूप बागची के अनुसार बाजार को बढ़ाने में सूचनाओं की उपलब्धता, जिससे कर्ज देने का जोखिम कम होगा, बढ़ती प्रतिस्पर्धा, जिससे ग्राहकों को कम लागत में कर्ज मिलेगा, ऑनलाइन कर्ज देने की दर में बढ़ोतरी, तकनीक के इस्तेमाल से परिचालन खर्च में कमी आना आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
कहा जा सकता है कि रियल सेक्टर में निवेश का बढ़ना, रोजगार सृजन में वृद्धि होने की संभावनाओं में इजाफा होना और खुदरा ऋण बाजार में तेजी आना आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने का संकेत देता है। इससे जरूर पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने लगी है। भले ही अभी इसकी रफ्तार बहुत तेज नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही सबकुछ सामान्य हो जायेगा।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)