अब धीरे-धीरे संकट के बादल छंट रहे हैं। आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। कई क्षेत्रों में सुधार के संकेत साफ़-साफ़ दिख रहे हैं। अक्टूबर महीने के आगाज से त्योहारों की शुरुआत हो गई है, जो दिसंबर महीने तक चलेगी। उम्मीद है कि सरकार द्वारा दी जा रही राहतों और विकास के पहिये के फिर से गतिशील होने से त्योहारों में अर्थव्यवस्था को नए पंख लगेंगे। माना जा रहा है कि इन 3 महीनों में ई-कॉमर्स कंपनियों, बैंक, विनिर्माण क्षेत्र आदि के कारोबार में विशेष तेजी आयेगी।
कोरोना महामारी की वजह से विकास का पहिया लगभग रुक गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे विकास की गाड़ी आगे बढ़ने लगी है। सितंबर महीने में निर्यात में 5.27 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक और इंजीनियरिंग वस्तुओं की अहम भूमिका रही। इंजीनियरिंग वस्तुओं एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के निर्यात में क्रमश: 3.73 प्रतिशत और 0.04 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि दवाओं एवं दवा के उत्पादों का निर्यात 24.36 प्रतिशत बढ़ा है।
इस अवधि में रत्न एवं आभूषणों का कुल निर्यात 27.65 अरब डॉलर रहा, जबकि विगत वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 26.02 अरब डॉलर रहा था। गौरतलब है कि वर्ष 2020 के फरवरी महीने में निर्यात में 2.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
सितंबर महीने में आयात 19.60 प्रतिशत कम होकर 30.31 अरब डॉलर रह गया। पिछले साल इसी महीने में यह 37.69 अरब डॉलर रहा था। निर्यात में बढोतरी और आयात में कमी होने से भारत का व्यापार घाटा सितंबर महीने में कम होकर 2.92 अरब डॉलर रह गया, जो विगत 3 महीनों में सबसे कम है।
इसी तरह सितंबर महीने में गैर-तेल, गैर-स्वर्ण आयात में भी 13.29 प्रतिशत की कमी आई, जबकि जुलाई और अगस्त महीनों में इनमें 30 प्रतिशत की गिरावट आई थी। कच्चे तेल एवं पेट्रोलियम के आयात में 35.92 प्रतिशत, बिजली एवं गैर-बिजली उपकरणों के आयात में 36.76 प्रतिशत और परिवहन उपकरणों के आयात में 47.08 प्रतिशत की कमी आई। कुल आयात 40.06 प्रतिशत कम होकर 148.69 अरब डॉलर रह गया है। आयात में कमी आना संतोषजनक है।
देश में अनलॉक का पांचवा चरण शुरू हो गया है। इस चरण में अर्थव्यवस्था के लगभग सभी दरवाजे खुल चुके हैं। अब विकास धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है। अप्रैल महीने की तुलना में सितंबर महीने में जीएसटी वसूली, बिजली खपत, ऑटो बिक्री आदि में वृद्धि हुई है। आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने से ईंधन की खपत में भी इजाफा हो रहा है।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल के मुकाबले सितंबर महीने में जीएसटी वसूली में 3 गुणा बढ़ोत्तरी हुई है। सितंबर महीने में कुल जीएसटी वसूली 95.48 हजार करोड़ रूपये की हुई, जो अगस्त महीने के मुकाबले 10.4 प्रतिशत अधिक है। अगस्त महीने में जीएसटी वसूली 86.44 हजार करोड़ रूपये हुई थी।
वहीं अब मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में काम शुरू हो गया है। फैक्ट्रियों में मजदूर और इंजीनियरों ने काम करना शुरू कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय कारोबार भी शुरू हो गया है। मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को निर्यात के नये ऑर्डर मिलने लगे हैं।
सितंबर महीने में बिजली की खपत 113.54 अरब यूनिट्स रही, जो अप्रैल के मुकाबले अधिक था। यह पिछले साल की समान अवधि में कुल बिजली खपत 107.51 अरब यूनिट्स से अधिक है। अप्रैल और मई महीने में कुल बिजली खपत क्रमश: 85.05 अरब और 103 अरब यूनिट्स रही थी, जबकि वार्षिक आधार पर बिजली की खपत में मार्च, 2020 में 8.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
सितंबर महीने में बिजली की खपत वर्ष 2019 के सितंबर महीने से ज्यादा रही। यह 1.8 प्रतिशत बढ़कर 176.56 गीगावाट हो गई, जो सितंबर 2019 में 173.45 गीगावाट थी। बिजली की खपत में बढ़ोतरी होने का अर्थ यह है कि औद्योगिक और कारोबारी गतिविधियों में फिर से तेजी आ रही है।
पेट्रोल की बिक्री सितंबर महीने में वर्ष 2019 के सितंबर महीने के मुकाबले 2.5 प्रतिशत बढी है। सितंबर महीने में 22 लाख टन पेट्रोल की बिक्री हुई। डीजल की बिक्री भी अगस्त महीने के मुकाबले सितंबर महीने में 22 प्रतिशत बढ़ी है। देखा जाये तो निजी वाहनों का उपयोग बढ़ने से पेट्रोल की बिक्री बढ़ रही है।
सितंबर महीने में रेलवे को माल ढुलाई से 13.5 प्रतिशत के राजस्व की वृद्धि हुई, जबकि अप्रैल महीने में इसमें 43.7 प्रतिशत की कमी आई थी। सितंबर महीने में 533 मिलियन टन का माल ढुलाई हुआ, जिससे 50.16 हजार करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति हुई।
अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ऑटो बिक्री हर महीने बढ़ रही है। वार्षिक आधार पर सितंबर महीने में टाटा मोटर्स की बिक्री 37 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि मारुति सुजुकी की बिक्री 30 प्रतिशत, बजाज ऑटो की बिक्री 10 प्रतिशत और हुंडई इंडिया की बिक्री 23.6 प्रतिशत बढ़ी है। उल्लेखनीय है कि देश की जीडीपी में ऑटो क्षेत्र की भागीदारी लगभग 7 प्रतिशत है। निश्चित रूप से ये आंकड़े उत्साह जगाने वाले हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर को समाप्त पखवाड़े में क्रेडिट ग्रोथ में 5.66 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होकर यह 103.44 लाख करोड़ रूपये पर पहुंच गई, जबकि इसी अवधि में बैंकों की जमा राशि 10.55 प्रतिशत बढ़कर 143.02 लाख करोड़ रूपये हो गई है।
अक्टूबर महीने में बैंकों की उधारी और जमा में 40 लाख करोड़ रूपये का अंतर आ गया है। इस अवधि में उधारी 103।44 लाख करोड़ रूपये और जमा 143 लाख करोड़ रूपये रही है, जबकि एक साल पहले 11 अक्टूबर 2019 को यह अंतर 32 लाख करोड़ रूपये का था। उस समय कुल उधारी 97.38 लाख करोड़ रूपये रही थी। इसी अवधि में कुल जमा 129.38 लाख करोड़ रूपये थी।
कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों में ऋण वृद्धि 4.9 प्रतिशत बढ़ी है। पर्सनल लोन ने भी इस दौरान अच्छी ग्रोथ हासिल की है। पर्सनल लोन में क्रेडिट ग्रोथ अगस्त महीने में 10.6 प्रतिशत रही है। एक साल पहले इसी महीने में यह 15.6 प्रतिशत थी। त्यौहारी सीजन में पर्सनल लोन में और भी वृद्धि आने की संभावना है।
कहा जा सकता है कि अब धीरे-धीरे संकट के बादल छंट रहे हैं। आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। कई क्षेत्रों में सुधार के संकेत साफ़-साफ़ दिख रहे हैं। अक्टूबर महीने के आगाज से त्योहारों की शुरुआत हो गई है, जो दिसंबर महीने तक चलेगी। उम्मीद है कि सरकार द्वारा दी जा रही राहतों और विकास के पहिये के फिर से गतिशील होने से त्योहारों में अर्थव्यवस्था को नए पंख लगेंगे। माना जा रहा है कि इन 3 महीनों में ई-कॉमर्स कंपनियों, बैंक, विनिर्माण क्षेत्र आदि के कारोबार में विशेष तेजी आयेगी।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)