माल्या प्रत्यर्पण: ‘जिन्होंने देश का लूटा है, उन्हें लौटना पड़ेगा’ पर खरी साबित होती मोदी सरकार

विजय माल्या पर भारतीय बैंकों के लगभग 9,400 करोड़ रुपए लेकर भाग जाने का आरोप है।  17 बैंकों ने माल्या के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी नीति का परिणाम है कि बकौल माल्या, भारत सरकार ने 9,000 करोड़ के बदले उसकी 13,000 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है। माल्या ने ट्विट किया था कि जब वह सुबह सो कर उठता है तो कर्ज वसूली ट्रिब्यूनल (डीआरटी) की तरफ से उसे नयी जब्त की गई प्रॉपर्टी की जानकारी मिलती है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार की नीति पहले दिन से स्पष्ट रही है। चाहे वह कालेधन पर एसआईटी का गठन करना हो, स्विस सरकार से विदेशों में कालेधन की जानकारी के संबंध में संधि करना हो या अगस्ता वेस्टलैंड में मिशेल की गिरफ्तारी हो। चौकीदार ने हमेशा अपनी ईमानदार सोच का प्रमाण दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि देश के गरीबों का पैसा लूटने वाले चाहें जहां शरण ले लें, लेकिन जेल तो उन्हें जाना ही पड़ेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह बात और भी पुख्ता हो गई, जब भारतीय बैंकों का नौ हज़ार करोड़ रुपए डकार जाने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को ब्रिटिश सरकार ने मंजूरी दे दी।

इससे पहले लंदन की वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने 10 दिसम्बर, 2018 को भारत सरकार द्वारा दी गई दलीलों को सही करार देते हुए विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर अपनी मुहर लगा दी थी, जिसके बाद यह मामला ब्रिटिश सरकार की सहमति पर निर्भर था और अब इसमें भी मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली। ब्रिटिश गृहमंत्री साजिद जावेद ने सभी पहलुओं पर विचार कर भारत सरकार को सही मानते हुए प्रत्यर्पण के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिये हैं।

ज्ञात हो कि विजय माल्या पर भारतीय बैंकों के लगभग 9,400 करोड़ रुपए लेकर भाग जाने का आरोप है।  17 बैंकों ने माल्या के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की है। हालांकि मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी नीति का परिणाम है कि बकौल माल्या, भारत सरकार ने 9,000 करोड़ के बदले उसकी 13,000 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है। माल्या ने ट्विट किया था कि जब वह सुबह सो कर उठता है तो कर्ज वसूली ट्रिब्यूनल (डीआरटी) की तरफ से उसे नयी जब्त की गई प्रॉपर्टि की जानकारी मिलती है।

यहाँ यह समझने की आवश्यकता है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में विजय माल्या इसलिए नहीं भागा, क्योंकि उसे सरकार की शह प्राप्त थी। लेकिन चौकीदार के आते ही विजय माल्या को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा, क्योंकि उसपर क़ानून की तलवार लटकने लगी थी।

ध्यान दें तो सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय ने 2 मार्च, 2016 को जैसे ही माल्या के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए उसी दिन उसने देश छोड़ दिया और इसके लिए भी उसने झूठ का सहारा लिया। उसने जेनेवा में होने वाली मोटर स्पोर्ट्स काउंसिल की बैठक में शामिल होने का हवाला देते हुए देश छोड़ा था।

बहरहाल, ना सिर्फ विजय माल्या बल्कि नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, चेतन संदेसरा, ललित मोदी और यूरोपियन बिचौलिए गुईडो राल्फ हाश्चके और कार्लो गेरोसा सहित 58 अन्य आर्थिक भगोड़ों को देश वापस लाने के लिए सरकार ने प्रत्यर्पण की मांग करने सहित इंटरपोल से रेड कार्नर नोटिस और लुक आउट नोटिस जारी कर रखा है।

सरकार और जांच एजेंसियां जिसमें प्रवर्तन निदेशायलय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) आदि ने यूएई, ब्रिटेन, बेल्जियम, मिस्र, अमेरिका, एंटीगुआ समेत अन्य देशों को प्रत्यर्पण संबंधी अनुरोध भेजे हैं। कहना होगा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा भ्रष्टाचारियों पर हो रही कड़ी कार्रवाई प्रधानमंत्री मोदी के उस वाक्य को सत्यापित करती है जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘देश का जिन्होंने लूटा है उन्हें लौटना ही पड़ेगा।’

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)