पिछली सरकार के समय इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर कोई भी उद्यमी उत्तर प्रदेश में नहीं आना चाहता था। विगत छह वर्षों में उत्तर प्रदेश के प्रति लोगों की राय में परिवर्तन आया है। लगभग पैंतीस लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्रदेश को प्राप्त हुए हैं। यह पोलिटिकल क्रेडिबिलिटी का ही उदाहरण है।
शासक के शब्द और तेवर दोनों का अपना महत्त्व होता है। यही उसके इकबाल को रेखांकित करते हैं। प्रशासन की दशा और दिशा इससे निर्धारित होती है। विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शब्द और तेवर चर्चा का विषय बने। वह धन्यवाद प्रस्ताव पर बोल रहे थे। विपक्ष ने उनके भाषण पर आपत्ति व्यक्त की। जबकि योगी का भाषण कानून व्यवस्था को चुनौती देने वालों के लिए एक संदेश था।
ऐसा भी नहीं कि उन्होने यह तेवर पहली बार दिखाए थे। पहली बार मुख्यमन्त्री पद की शपथ लेने के बाद से ही उनकी कार्यशैली का यही अंदाज रहा है। इसमें माफिया आदि तत्वों के प्रति कठोरता की अभिव्यक्ति थी। विपक्ष तो उसी समय से उनका विरोध कर रहा है।
बीते विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने ही बुलडोजर को मुद्दा बनाया था। उसे लगा कि इस मुद्दे पर योगी का घेरा जा सकता है। विपक्ष का दांव उल्टा पड़ा। प्रतीकात्मक बुलडोजर योगी की जनसभाओं की शोभा बढ़ाने लगे। मतदाता मुग्ध थे। करीब चार दशक बाद किसी मुख्यमंत्री को लगातर दूसरी बार सरकार बनाने का जनादेश मिला।
योगी का यह कहना कि जो जिस भाषा को समझेगा उससे उसी भाषा में बात की जाएगी, माफिया और अराजक तत्वों के लिए स्पष्ट संदेश था। एण्टी भूमाफिया टास्क फोर्स ने अब तक चौसठ हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि भूमाफियाओं के कब्जे से मुक्त करायी है।
इसके पहले करीब डेढ़ दशक तक उत्तर प्रदेश की राजनीति मे सपा बसपा का वर्चस्व रहा। इस दौरान सरकारें बदलती रहीं, लेकिन व्यवस्था यथावत रही। माफियाओं का महिमामंडन होता रहा। कानून व्यवस्था को चुनौती मिलती रही। छह वर्ष पहले सपा-बसपा से बेहाल मतदाताओं ने भाजपा को जनादेश दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार के साथ व्यवस्था में बदलाव का संकल्प लिया।
कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता रही। बुलडोजर माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का प्रतीक बन गया। व्यवस्था में व्यापक सुधार हुआ। पिछले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने दुबारा जनादेश दिया। मतलब साफ था। प्रदेश के लोग दुबारा सपा-बसपा दौर की वापसी नहीं चाहते।
आज उत्तर प्रदेश को जहां से निकालकर आगे बढ़ाने का प्रयास हुआ है, विपक्ष उसे फिर पीछे ले जाना चाहता है। उनके समय में जातीय आधार पर भेदभाव होता था। उस समय छियासी एसडीएम में से छप्पन एक ही जाति विशेष के थे।
पिछली सरकार के समय इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर कोई भी उद्यमी उत्तर प्रदेश में नहीं आना चाहता था। विगत छह वर्षों में उत्तर प्रदेश के प्रति लोगों की राय में परिवर्तन आया है। लगभग पैंतीस लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्रदेश को प्राप्त हुए हैं। यह पोलिटिकल क्रेडिबिलिटी का ही उदाहरण है।
देश की कुल कृषि योग्य भूमि का ग्यारह प्रतिशत राज्य में है, लेकिन इस भूमि से हम देश के बीस प्रतिशत खाद्यान्न का उत्पादन करते हैं। उत्तर प्रदेश गेहूं, आलू, मटर, आम, आंवला, दुग्ध उत्पादन तथा गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत प्रदेश के पौने दो करोड़ परिवारों को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन दिए गये हैं। इसमें भी प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है।
एक्सप्रेस-वे, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना तथा प्रदेश के श्रमिकों/स्ट्रीट वेण्डर्स को भरण-पोषण भत्ता देने में प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। राज्य में सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम की करीब एक करोड़ इकाइयां हैं। यह प्रदेश के औद्योगिक विकास की आधारशिला है।
उत्तर प्रदेश देश में कृषि निवेशों पर कृषकों को देय अनुदान का डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने वाला नम्बर एक राज्य है। ईज ऑफ लिविंग में आज उत्तर प्रदेश देश में नम्बर-वन है। आज गरीब कल्याण एवं हर व्यक्ति के विकास के बारे में सोचा जा रहा है। प्रदेश में योजनाएं तीव्र गति से आगे बढ़ रही हैं।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश चौदहवें स्थान से दूसरे स्थान पर आ गया है। ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज’ का कार्य प्रदेश में प्रगति पर है। छह वर्ष पहले तक प्रदेश में कुल बारह राजकीय मेडिकल कॉलेज बन पाये थे। आज प्रदेश के सोलह जनपदों को छोड़ दें तो शेष सभी जनपदों में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो चुकी है। सोलह जनपदों में मेडिकल कॉलेज के लिए प्रदेश सरकार युद्धस्तर पर कार्यों को आगे बढ़ा रही है।
उत्तर प्रदेश ‘एक्सप्रेसवेज प्रदेश’ के रूप में जाना जा रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पूर्वी उत्तर प्रदेश को जोड़ रहा है। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे बुन्देलखण्ड क्षेत्र को जोड़ रहा है। गंगा एक्सप्रेस-वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को पूर्वी उत्तर प्रदेश से जोड़ रहा है। वाराणसी से हल्दिया के मध्य देश का प्रथम राष्ट्रीय जलमार्ग प्रदेश को पूर्वी बन्दरगाह के साथ जोड़ रहा है।
सभी जिला मुख्यालयों को फोर लेन से जोड़ा जा रहा है। अगले एक से डेढ़ वर्षों में प्रदेश में पांच अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट्स और डोमेस्टिक एयरपोर्ट्स को मिलाकर कुल इक्कीस एयरपोर्ट्स होंगे। छह वर्ष पहले लखनऊ व वाराणसी एयरपोर्ट ही पूरी तरह क्रियाशील थे। आज प्रदेश में नौ एयरपोर्ट पूरी तरह संचालित हैं, जिनसे अस्सी गंतव्यों तक पहुंचा जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर है। पर्याप्त लैण्डबैंक है। प्रदेश सरकार ने तकनीक को अपनाते हुए सिंगल विण्डो सिस्टम ‘निवेश मित्र’ पोर्टल, एमओयू के लिए ‘निवेश सारथी’ पोर्टल तथा ऑनलाइन इंसेंटिव मैनेजमेंट सिस्टम को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। प्रदेश के सभी गरीबों के घर में शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सर्वाधिक शौचालय बनाये गये हैं।
यूपी कौशल विकास नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। उत्तर प्रदेश गवर्नमेन्ट ई-मार्केट से प्रोक्योरमेन्ट करने वाला प्रथम राज्य है। यह गवर्नमेन्ट ई-मार्केट से सबसे अधिक प्रोक्योरमेन्ट करने वाला राज्य भी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में करीब तिरपान लाख गरीबों को बिना भेदभाव के आवास उपलब्ध कराकर उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है।
ई प्रोजीक्यूशन प्रणाली के प्रयोग में भी राज्य देश में प्रथम स्थान पर है। राज्य में प्रधानमंत्री जनधन योजना के साढ़े आठ करोड़ खाता धारक हैं। स्वामित्व योजना के अन्तर्गत गांवों में जिसका घर जहां पर है, वहीं उसको मालिकाना अधिकार देने के लिए करीब साढ़े पचास लाख गरीबों को घरौनी उपलब्ध करायी जा चुकी है। यह लोग सभी जातियों तथा मजहब के हैं। यह सरकार की ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ की दृष्टि का उदाहरण है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)