इस जीत के पश्चात् प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री योगी को दिया तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर लिखा कि, “यह विराट विजय आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के यशस्वी मार्गदर्शन एवं डबल इंजन सरकार की जनपक्षीय, विकासपरक एवं सर्वसमावेशी नीतियों के प्रति प्रचंड जन-विश्वास को प्रदर्शित करती है।” वस्तुतः योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में निकाय चुनावों में मिली यह जीत भाजपा की डबल इंजन सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों का ही परिणाम है।
उत्तर प्रदेश के हालिया नगर निकाय चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाली थी और प्रदेश में पूरब, मध्य और पश्चिम तक रोज चार से पांच जिलों में बड़ी सभाएं की। चुनाव के बाद आये परिणामों ने ये स्पष्ट कर दिया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब उत्तर प्रदेश की जनता की दृष्टि में एक विश्वसनीय प्रशासक के तौर पर स्थापित हो चुके हैं।
2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ लगातार मुश्किलों का सामना करने के बावजूद निखरते जा रहे हैं, उन्होंने अंधविश्वासों को तोड़ा, उन्होंने कोविड का सामना किया, उन्होंने माफियावाद की कमर तोड़ी, उन्होंने इंसेफलाइटिस को जड़ से मिटाया और अपने इन कार्यों के बल पर जनता के मन में अपने लिए ठोस विश्वसनीयता स्थापित की है।
जब योगी मुख्यमंत्री बने तब उनकी अगुवाई में 2017 में पहला निकाय चुनाव लड़ा गया। उस चुनाव में बीजेपी ने 16 नगर निगमों में से 14 पर जीत हासिल की थी। उन्होंने पार्टी को 70 नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत की 100 सीटों पर भी जीत दिलवाई थी। चुनाव परिणाम आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने योगी और उनकी टीम की खुलकर तारीफ की थी।
इस बार सहारनपुर के नगर घोषित होने की वजह से 17 नगर निगम सीटों पर चुनाव हुए। इन सभी सीटों पर बीजेपी ने मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज को अपना आधार बना कर मुख्यमंत्री योगी की अगुवाई में चुनाव लड़ा और क्या शानदार चुनाव जीता।
इस जीत के पश्चात् प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री योगी को दिया तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर लिखा कि, “यह विराट विजय आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के यशस्वी मार्गदर्शन एवं डबल इंजन सरकार की जनपक्षीय, विकासपरक एवं सर्वसमावेशी नीतियों के प्रति प्रचंड जन-विश्वास को प्रदर्शित करती है।“ वस्तुतः योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में निकाय चुनावों में मिली यह जीत भाजपा की डबल इंजन सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों का ही परिणाम है।
ऐसे समय जब यूपी नगर निकाय चुनाव 2023 की तैयारी हर राजनीतिक दल ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी तैयारी के लिटमस टेस्ट के तौर पर की थी, उस समय योगी आदित्यनाथ ने इस चुनाव में करीब 55 रैलियाँ करके अपने आपको प्रदेश का सबसे जिताऊ नेतृत्वकर्ता मनवा लिया है। विकास के गुजरात मॉडल के बाद अब कानून व्यवस्था का ‘योगी मॉडल’ जीत की गारंटी बनता जा रहा है। नगर निगम के नतीजों ने योगी के इसी मॉडल और विकास पर मुहर लगा दी है।
उत्तर प्रदेश में पिछले 6 साल के दौरान योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए जमकर विकास कार्य हुए हैं। दिल्ली से मेरठ तक रैपिड मेट्रो ट्रेन, कानपुर में मेट्रो ट्रेन, गोरखपुर समेत कई महानगरों में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की नींव रखने से लेकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का निर्माण और गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण की शुरुआत आदि बड़े प्रोजेक्ट्स इस दौर में उत्तर प्रदेश की कायापलट कर गए हैं। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ की पहल पर आयोजित इन्वेस्टर समिट से पहली बार उत्तर प्रदेश में भी निवेशकों का बड़े पैमाने पर आगमन हुआ है, जिससे रोजगार की राह खुली है।
संक्षेप में कहें तो योगी आदित्यनाथ ने ये दो नारे अपनी तरफ से जनता को सौंपे थे जिसे जनता ने हाथों हाथ लिया है और एक समीक्षक की दृष्टि से देखूँ तो इन नारों का सम्मोहन सिर्फ इसी चुनाव तक नहीं सिमटेगा बल्कि लम्बा चलेगा। नारे थे, ‘नो कर्फ्यू, नो दंगा, यूपी में सब चंगा’, और ‘रंगदारी न फिरौती, अब यूपी नहीं किसी की बपौती’।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। राजनीति और संस्कृति सम्बन्धी विषयों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)