योगी सरकार उत्तर प्रदेश में बिना परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद को महत्व दिए ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र को लेकर काम में जुटी है। जनता को बताने के लिए भाजपा के पास योगी सरकार की उपलब्धियों की लम्बी सूची है, वहीं विपक्षी दलों के पास जाति-मजहब और सरकार के विरुद्ध झूठे दुष्प्रचार की नकारात्मक राजनीति के अलावा कुछ नहीं दिख रहा।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का समय निकट आ रहा है। सभी दल स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने में जुट गए हैं लेकिन केवल बातों से ही सब हो जाया करता तो दुनिया बहुत अलग होती। वास्तव में काम वही नज़र आता है जो कागजों से धरातल पर उतारा गया होता है और काम के मामले में तो इस समय उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा पिछली सभी सरकारों से बहुत आगे नजर आ रही है।
इसी क्रम में पिछले दिनों उत्तर प्रदेश को दो बड़ी सौगातें देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का लोकार्पण एवं जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया। ये दोनों ही बहुप्रतीक्षित एवं महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट हैं। इससे कुछ दिनों पहले ही कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का लोकार्पण किया गया था।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का तो तीन साल पहले ही प्रधानमंत्री ने आजमगढ़ में शिलान्यास किया था और इतनी रिकॉर्ड अल्पावधि में इसे मूर्त रूप दे दिया गया। योगी सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे और गंगा एक्सप्रेस-वे बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद जुलाई, 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने आजमगढ़ से इस परियोजना की आधारशिला रखी।
अब चूंकि यह आम जनता के लिए खुल चुका है, ऐसे में इसे प्रदेश की विकास गाथा में मील का पत्थर ही कहा जाएगा। यह प्रोजेक्ट बहुत चुनौतीपूर्ण था। तमाम निचले इलाकों में पानी भर जाता। कोरोना संक्रमण की वजह से भी काम प्रभावित हुआ, लेकिन काम को रोका नहीं गया। पूरी सावधानी के साथ निर्माण कार्य चलता रहा। उसी का नतीजा है कि तय समय सीमा में एक्सप्रेसवे बनकर तैयार है। एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर औद्योगिक गलियारे बनाए जाएंगे।
एक्सप्रेस-वे से अंचल के छोटे-छोटे जिलों की दिल्ली से दूरी घट जाएगी। 10 घंटे का सफर चार घंटे में सिमट जाएगा। इसका लाभ बिहार के सीमावर्ती जिलों को भी सीधे मिल सकेगा। कहा जा रहा कि यह एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल के विकास के लिए रीढ़ की हड्डी साबित होगा। यहां विभिन्न प्रकार के उद्योग स्थापित होंगे। लॉजिस्टिक सुविधा बेहतर होने से स्थानीय कारोबारियों, छोटे व्यापारियों आदि को भी लाभ होगा।
लखनऊ से गाजीपुर तक 340.824 किलोमीटर का यह एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार है। 340 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे की विशेषता है कि ये लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़ और गाजीपुर को जोड़ेगा। इसकी विशेषता ये है कि ये एक्सप्रेस-वे लखनऊ से कई अन्य शहरों को भी जोड़ेगा।
निश्चित रूप से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के रूप में योगी सरकार ने प्रदेश में नया प्रगति पथ तैयार किया है। एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण में देश ने एक आश्चर्यजनक दृश्य देखा। प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करने के लिए सेना के विशेष हरक्युलिस विमान से आए थे। इस विमान ने सीधे एक्सप्रेस वे पर ही लैंड किया और वहीं से उतरकर मोदी ने कार्यक्रम का आरंभ किया। यह दृश्य अपने आप में एक बहुत बड़ा संकेत दे गया।
जिस राज्य में पांच साल पहले चलने के लिए सड़कें तक ठीक से नहीं थीं, जहां पर वाहन ले जाना तो दूर, पैदल चलना भी कठिन था, उसी राज्य में आज सड़क पर विमान उतरा है। यानी सड़क की गुणवत्ता अपने आप में स्वयं को नए सिरे से परिभाषित कर रही है। यह एक्सप्रेस वे पूरी तरह से आम जनता को समर्पित है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि यहां से राजधानी दिल्ली तक का सफर अब मात्र चार घंटे में पूरा हो जाएगा। इसके लिए अभीतक दस घंटे खर्च करना पड़ते थे।
इस लोकार्पण कार्यक्रम में पीएम मोदी ने दमदार भाषण देकर जनता की नब्ज टटोली और सटीक बात कही। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में जिसे भी यूपी के सामर्थ्य पर, यूपी के लोगों के सामर्थ्य पर जरा भी संदेह हो, वो आज यहां सुल्तानपुर में आकर यूपी का सामर्थ्य देख सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों को अतिशयोक्ति इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि पूरा देश इस बात का साक्षी है कि 2017 से पहले तक उत्तर प्रदेश की तस्वीर बिल्कुल विपरीत थी। केवल विकास ही नहीं, अपराध पर भी यहां कोई नकेल नहीं थी। गुंडाराज आम बात हो चली थी लेकिन 2017 में योगी सरकार के आने के बाद से अब हालात बदल गए हैं। अब तो गुंडा तत्व यहां सरकार से कांपते हैं। एक आदर्श सुशासन ऐसा ही होता है जहां जनता सुकून से रह सके और अराजक तत्व हाशिये पर रहें।
पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार ने सिवाय जनता के पैसों के दुरुपयोग के कुछ नहीं किया। उससे पहले पूर्ववर्ती बसपा सरकार ने भी राजस्व के अपव्यय के तो मानो प्रतिमान ही रच दिए थे। जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों से यहां पूर्ववर्ती सरकारों ने स्वयं की स्वार्थ सिद्धि की और आम आदमी के बारे में कभी कुछ नहीं सोचा। अब चूंकि भाजपा ने बहुत कुछ करके दिखा दिया है तो ये विपक्षी शर्मनाक ढंग से श्रेय लेने चले आए हैं। किसी भी कार्य को सोचना और उसे कागज तक रखना ही सब कुछ नहीं होता, उसे धरातल पर मूर्त रूप में लाना ही वास्तव में महत्त्व रखता है।
सपा नेता अखिलेश यादव बड़ी बेशर्मी से एक्सप्रेस वे और जेवर एयरपोर्ट का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं, यह जानते हुए कि उनके राज में तो केवल सैफीना महोत्सव जैसे व्यर्थ कार्यक्रम होते थे। पिछले मुख्यमंत्रियों के लिए विकास वहीं तक सीमित था जहां उनका घर था। लेकिन आज जितना पश्चिमी यूपी पर ध्यान है, उतनी ही पूर्वांचल कीभी प्राथमिकता है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे आज यूपी की इस खाई को पाट रहा है, यूपी को आपस में जोड़ रहा है।
वहीं दूसरी तरफ जेवर एयरपोर्ट के तैयार होने के साथ ही उत्तर प्रदेश अब देश में सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट वाला राज्य बन जाएगा। उत्तर प्रदेश में साल 2012 तक सिर्फ दो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे थे, लेकिन इसी साल 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा शुरू का उद्घाटन किया, वहीं अयोध्या में भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा तैयार हो रहा है। इन सभी योजनाओं के धरातल पर आने के बाद अब उत्तर प्रदेश में विकास को नया आयाम मिला है। जेवर एयरपोर्ट देश के विमानन परिदृश्य को अब नए स्तर तक ले जाने के लिए आकार ले रहा है।
जेवर एयरपोर्ट बनने से नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा समेत पूरे जिले में करीब 34 से 35 हजार करोड़ रुपए का निवेश होने से रोजगार मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी। इन जिलों में नौकरियों के बंपर अवसर मिलेंगे। इस एयरपोर्ट को तैयार होने में करीब 29 हजार 650 करोड़ रुपए की लागत आएगी। जेवर एयरपोर्ट का निर्माण 5,845 हेक्टेयर जमीन पर हो रहा है। यहां के एक साथ करीब 178 विमान खड़े हो सकते हैं। जेवर एयरपोर्ट के लिए पहले चरण में 1334 हेक्टेयर जमीन पर निर्माण कार्य होगा। एयरपोर्ट का निर्माण कार्य चार चरणों में पूरा होगा। एयरपोर्ट पर कुल 5 रनवे विकसित किए जाएंगे।
शुरुआत में इस एयरपोर्ट से हर साल लगभग 1 करोड़ 20 लाख यात्री हवाई उड़ान भरेंगे। अनुमान है कि पहले ही साल यहां करीब 40 लाख यात्रियों की आवाजाही हो सकती है। जेवर एयरपोर्ट के सितंबर 2024 में शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। दिल्ली के इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से जेवर एयरपोर्ट की दूरी करीब 70 किलोमीटर है। ऐसे में दिल्ली एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक को कम करने के लिए जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (NIA) काफी मददगार साबित हो सकता है।
इन बातों से स्पष्ट है कि आज योगी सरकार उत्तर प्रदेश में बिना परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद को महत्व दिए ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र को लेकर काम में जुटी है। जनता को बताने के लिए भाजपा के पास योगी सरकार की उपलब्धियों की लम्बी सूची है, वहीं विपक्षी दलों के पास जाति-मजहब और सरकार के विरुद्ध झूठे दुष्प्रचार की नकारात्मक राजनीति के अलावा कुछ नहीं दिख रहा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)