योगी सरकार प्रदेश के बहुमुखी विकास की ओर अग्रसर है। सरकार औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े पूर्वी उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के आसपास पांच औद्योगिक क्लस्टर बना रही है। इनमें खाद्य प्रसंस्करण, वेबरेज, रिफाइंड, पेट्रोलियम उत्पाद, केमिकल उत्पाद, इलेक्ट्रिक व मेडिकल उपकरणों से संबंधित उद्योग लगाएं जाएंगे। इसके लिए 9197 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है। यहां औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र भी खोले जाएंगे।
1991 में शुरू हुई भूमंडलीकरण-उदारीकरण की नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा बदल दी लेकिन इससे देश का सर्वांगीण विकास नहीं हुआ। जहां महानगरों और औद्योगिक केंद्रों में भीड़ बढ़ी वहीं ग्रामीण क्षेत्र वीरान हुए। यह समस्या उत्तर भारत में अधिक गहराई क्योंकि जब दक्षिण व पश्चिम भारत में सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी जैसे नवोन्मेषी उद्यमों की नींव रखी जा रही थी उस समय उत्तर भारत में जातिवादी राजनीति उफान पर थी। इसका नतीजा यह हुआ कि उदारीकरण का रथ हाई वे से आगे बढ़कर गांवों की पगडंडी पर उतरा ही नहीं जिससे पलायन में तेजी आई।
जातिवादी राजनीति के दौर में उत्तर प्रदेश में जो भी विकास हुआ वह परिवारों के गढ़ तक सिमटा रहा जिससे प्रदेश के भीतर असमानता बढ़ी। इसका सर्वाधिक शिकार बना पूर्वी उत्तर प्रदेश। इस दौर में कनेक्टिविटी की चिंता किए बिना ही औद्योगीकरण के सपने दिखाए गए। इसका परिणाम यह हुआ कि ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में यहां लगे अनेक कारखानों में ताले लग गए जिससे इलाके का पिछड़ापन बढ़ा।
उत्तर प्रदेश के संतुलित विकास और पिछड़े इलाकों को महानगरों से जोड़ने के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की योजना बनी। योगी सरकार के शासन में 22,500 करोड़ रुपये की लागत से 36 महीने में बनकर तैयार हुए इस एक्सप्रेस वे से लखनऊ से लेकर गाजीपुर तक के नौ जिले जुड़े हैं।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए लाइफ लाइन कहा जा रहा है क्योंकि यह उन शहरों को जोड़ेगा जिनमें विकास की असीम संभावनाएं हैं। इससे पूर्वी व पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दूरी कम हो जाएगी। इसका लाभ उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार को भी मिलेगा। दूध और सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर होती है जिनकी अब लखनऊ–दिल्ली की मंडियों तक आसानी से पहुंच बनेगी।
योगी सरकार प्रदेश के बहुमुखी विकास की ओर अग्रसर है। सरकार औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े पूर्वी उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के आसपास पांच औद्योगिक क्लस्टर बना रही है। इनमें खाद्य प्रसंस्करण, वेबरेज, रिफाइंड, पेट्रोलियम उत्पाद, केमिकल उत्पाद, इलेक्ट्रिक व मेडिकल उपकरणों से संबंधित उद्योग लगाएं जाएंगे। इसके लिए 9197 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है। यहां औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र भी खोले जाएंगे।
कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश अब जातिवादी और परिवारवादी राजनीति से बाहर निकलकर विकास की राजनीति के दौर में आ चुका है। आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां एक साथ पांच एक्सप्रेस वे और पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहे हैं। एक्सप्रेस वे से लेकर गांव, ब्लॉक, तहसील, जिला, प्रदेश मुख्यालय, प्रदेश से जुड़ने वाले दूसरे प्रदेशों और देश की सीमाओं तक जाने वाली सड़कों को प्राथमिकता के आधार पर बनाया जा रहा है।
अप्रैल 2017 से फरवरी 2021 के बीच राज्य में 13,189 किलोमीटर नई सड़कें बनी, 13,617 किलोमीटर सड़कों का चौड़ीकरण-सुदृढ़ीकरण किया गया। 3,32,804 किलोमीटर सड़कों को गड्ढा मुक्त किया गया। 428 छोटे-बड़े पुलों को बनाया गया। इसी तरह तहसील व विकास खंड मुख्यालयों को दो लेन वाली सड़कों से जोड़ने, प्रदेश से जुड़ने वाले अन्य प्रदेशों और देश की सीमाओं तक जाने वाली 76 सड़कों के लिए 1599 करोड़ की लागत से 840 किलोमीटर सड़कें बनाई जा रही हैं।
राज्य में 8 हवाईअड्डों से उड़ान भरी जा रही है। 13 और हवाई अड्डे बन रहे हैं। 10 शहरों में मेट्रो का निर्माण प्रगति पर है। ग्रेटर नोएडा में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब और मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब बन रहा है। देश की पहली रैपिड रेल दिल्ली–मेरठ के बीच निर्माणाधीन है।
स्पष्ट है, उत्तर प्रदेश अब जातिवाद के कुचक्र से बाहर आकर विकास के पंख लगाकर एक नयी उड़ान भर रहा है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)