एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की राह पर उत्तर प्रदेश

योगी सरकार की कोशिशों से उत्तर प्रदेश सरकार की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाने में सफलता मिलने की प्रबल संभावना है, क्योंकि योगी सरकार जरूरी क्षेत्रों यथा, कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है।

मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहती है। इस संकल्पना को साकार करने के लिये सभी राज्यों की सहभागिता जरूरी है। मामले में उत्तरप्रदेश सरकार ने अग्रतर कदम उठाते हुए उत्तरप्रदेश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2024 तक 1 ट्रिलियन डॉलर बनाने की संकल्पना जाहिर की है। उतरप्रदेश की मौजूदा अर्थव्यवस्था लगभग 230 बिलियन डॉलर की है। राज्य की जीडीपी में कृषि का हिस्सा 27 प्रतिशत, इंडस्ट्री का हिस्सा 26 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र का हिस्सा 47 प्रतिशत है, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर की है। 

अगर योगी सरकार उत्तरप्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर की बनाने में सफल होती है तो मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की बनाने में आसानी से सफल हो सकती है। हालाँकि, उतर प्रदेश सरकार को प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर की बनाने में मशक्कत करने की जरूरत है, लेकिन योजनाबद्ध तरीके से इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। 

उत्तर प्रदेश में देश की आबादी के करीब 17 प्रतिशत लोग निवास करते हैं, लेकिन जीडीपी में इसका हिस्सा 8 प्रतिशत है। अगर सरकार सभी युवाओं को रोजगार देने की व्यवस्था करती है तो जीडीपी में उत्तरप्रदेश का योगदान बढ़ सकता है। सेवा क्षेत्र में, जीएसवीए को 2019-20 के दौरान 7.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।

सेवा क्षेत्र यह अनुमान विगत 3 सालों के औसत पर आधारित है, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए मौजूदा कीमतों पर उत्तरप्रदेश का जीएसडीपी 17.95 ट्रिलियन रुपये के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इस आंकड़ा से पता चलता है इस क्षेत्र को सशक्त करने की अभी अपार संभावनाएं हैं। इसलिए, योगी सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में युवाओं के विकास और रोजगार व स्व-रोजगार को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया है। 

सरकार ने प्रत्येक शिक्षित बेरोजगार युवा, जो आत्मनिर्भर बनना चाहता है, के लिए एक प्रशिक्षुता योजना शुरू की है। इसके तहत हर युवा को एक उद्यम से जोड़ा जाएगा और सरकार उसे वित्तीय सहायता देगी। इसके अलावा योगी सरकार युवाओं के कौशल विकास पर भी ध्यान दे रही है, ताकि युवा स्व-रोजगार की मदद से आत्मनिर्भर बन सकें। 

योगी सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये क्षेत्रवार अल्पकालीन और दीर्घकालीन रणनीति बनाई है। सरकार सुशासन को बेहतर करने, कारोबारी निर्णय में तेजी लाने, कारोबारी सुगमता को बढ़ाने, मौजूदा नियमों का सुचारु क्रियान्वयन आदि करने की कोशिश कर रही है। राज्य में सबसे अहम क्षेत्र कृषि, उद्योग और सेवा हैं। इसलिए, सरकार इन क्षेत्रों को सबसे पहले मजबूत करना चाहती है। इसके लिये कुछ उच्च स्तरीय समितियां गठित की गई हैं, जो समय-समय पर इस दिशा में बेहतरी लाने के लिये सुझाव दे रही हैं। 

कारोबारी सुगमता के मामले में प्रदेश की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, लेकिन योगी सरकार औद्योगिक क्लस्टरों के विकास के साथ-साथ कारोबारी सुगमता को और बढ़ाना चाहती है, ताकि प्रदेश में कारोबारी नये-नये उद्योग शुरू कर सकें और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आये।    

भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ, बेंगलुरु और अर्नेस्ट यंग के अनुसार योगी सरकार के 1  ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में 70 प्रतिशत भूमिका योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से जुड़ी है। अस्तु, सरकार सुशासन को बेहतर करने, इंस्पेक्टर राज को खत्म करने, परमिट लेने की प्रक्रिया को आसान करने आदि पर काम कर रही है। 

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों ने वित्त वर्ष 2018-19 में 1.14 ट्रिलियन रुपये के कुल निर्यात में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान दिया था। इसलिए, नई निर्यात नीति में इस क्षेत्र के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। गौरतलब है कि राज्य के औद्योगिक उत्पादन में इस क्षेत्र का 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। एमएसएमई एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार उतरप्रदेश में वित्त वर्ष 2015-16 में एमएसएमई इकाइयों की संख्या 4.4 मिलियन थी, जो वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 9 मिलियन इकाइयां हो गईं। 

वित्त वर्ष 2017-18 में राज्य में 9 मिलियन एमएसएमई इकाई सक्रिय थीं, जिनके वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 14 मिलियन होने का अनुमान है। इस तरह, इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। योगी सरकार ने भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (सिडबी) से उतरप्रदेश की प्रमुख वन-डिस्ट्रिक्ट-वन-प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना को सफल बनाने के लिए एमएसएमई क्षेत्र को ज्यादा से ज्यादा ऋण देने के लिये कहा है। माना जा रहा है कि इस योजना की मदद से स्वदेशी उद्योगों के विकास में मदद मिलेगी। 

योगी सरकार ने सितंबर में पहली कृषि निर्यात नीति की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य कृषि आय को बढ़ाने और कृषि वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देना है। सरकार की यह नीति कृषि निर्यात के लिए संस्थागत तंत्र बनाने, निर्यात उन्मुख वस्तुओं को बढ़ावा देने और पर्यावरण के अनुकूल पर्यावरणीय किस्मों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए लाया गया है। 

नई कृषि-निर्यात नीति की मदद से, राज्य को अगले पांच वर्षों में कृषि वस्तुओं के शिपमेंट का मूल्य $ 2,524 मिलियन या 17,591 करोड़ रुपये से दोगुना होने की उम्मीद है। कृषि-निर्यात नीति की मदद से योगी सरकार 50 हेक्टेयर भूमि पर निर्यात-उन्मुख फसलों की खेती को बढ़ावा देना चाहती है। सरकार इसके लिए सब्सिडी भी देगी, जिसका 40 प्रतिशत हिस्सा पहले वर्ष में दिया जायेगा। 

योगी सरकार आधारभूत संरचना को भी मजबूत करने की दिशा में भी कार्य कर रही है। इस आलोक में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का कार्य जल्द पूरा किया जायेगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और  गंगा एक्सप्रेस-वे को भी यथाशीघ्र मूर्त रूप देने की कोशिश की जायेगी।  

योगी सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाने के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। इस चौथे बजट में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं, जिसमें नए विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज खोलना भी शामिल है। स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने के लिये प्रदेश में अनेक मेडिकल कॉलेज भी खोले जायेंगे।  सरकार की कोशिश निवेश में वृद्धि की भी है। इस आलोक में डिफेंस एक्सपो 2020 में राज्य को 50,000 करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। 

कहा जा सकता है कि योगी सरकार की कोशिशों से उत्तरप्रदेश सरकार की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाने में सफलता मिलने की प्रबल संभावना है, क्योंकि योगी सरकार जरूरी क्षेत्रों यथा, कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)