अस्पतालों, वैक्सीनेशन सेंटर्स, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, जनपद पंचायत भवन और शासकीय कार्यालयों में किए जा रहे टीकाकरण में बड़ी संख्या में नागरिक उमड़ रहे हैं और कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए वैक्सीन ले रहे हैं। भारत के टीकाकरण अभियान की रफ़्तार विश्व में सर्वाधिक है। निश्चित ही टीकाकरण की इस गति से कोरोना महामारी को खत्म करने की दिशा में देश तेजी से बढ़ेगा।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के धीमा पड़ते ही देश फिर से संभलने लगा है। सरकार के प्रतिबंधात्मक उपायों ने अपना काम किया और संक्रमण की चेन को तोड़ने में सफलता मिली। दूसरी तरफ समानांतर रूप से चल रहे वैक्सीनेशन अभियान ने उम्मीद की किरण जगा दी है।
केवल दो महीने पहले अप्रैल में कोरोना की विभीषिका झेल रहे देश में मानो नई ऊर्जा का संचार हो गया है। टीकाकरण अभियान अब महाअभियान का रूप ले चुका है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह कागजों पर नहीं वरन ठोस धरातल पर साफ दिखाई दे रहा है।
देश के तमाम छोटे-बड़े शहरों, गांवों व कस्बों में वैक्सीन लगवाने के लिए अभूतपूर्व उत्साह देखा जा रहा है और यही एक राष्ट्र की जीत है। सामूहिक प्रतिभागिता ही इस अभियान को वृहत्तर बना रही है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
पिछले दिनों भारत ने एक दिन में रिकॉर्ड टीकाकरण करके नया कीर्तिमान बनाया वहीं इसके बाद अलग-अलग दिनों में शहरों ने भी अपने स्तर पर रिकॉर्ड टीकाकरण के कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इतना ही नहीं, कई ग्राम पंचायतों में सौ फीसदी टीकाकरण हो चुका है।
कई शहरों में ऑटो-रिक्शा चालक अब उनके वाहनों पर वैक्सीन का प्रमाण-पत्र चस्पा कर रहे हैं और निश्चिंत होकर अपना कार्य कर रहे हैं। सीरम इंस्टी्टयूट ऑफ इंडिया ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि आगामी जुलाई माह में बच्चों पर वैक्सीन की ट्रायल शुरू होने जा रही है। जल्द ही इसके आशानुरूप परिणाम सामने होंगे।
यद्यपि गैर भाजपा शासित राज्यों या यूं कहें कांग्रेस शासित राज्यों ने इस आपदा में भी अपनी ओछी राजनीति को चमकाने का अवसर खोज लिया। राजस्थान में बड़े पैमाने पर वैक्सीन की बर्बादी की गई। ये खबरें जब मीडिया के माध्यम से सामने आईं तो इस पर सहसा विश्वास ही नहीं हुआ। एक तरफ जीवनरक्षक वैक्सीन और दूसरी तरफ नफरत एवं हीनता में झुलसता राजनीतिक बोध।
दूसरी तरफ पंजाब में वैक्सीन का ही सौदा कर डाला गया। हालांकि विवाद बढ़ने पर निर्णय वापस ले लिया गया, मगर पंजाब सरकार की असलियत तो सामने आ ही गई। केंद्र सरकार से जिस दाम में वैक्सीन मिलती थी, वहां राज्य सरकार के दोषी अधिकारियों ने उसी वैक्सीन को प्राइवेट अस्पतालों को बेच दिया। यानी ये लोग इसमें भी कमाई का अवसर खोज रहे थे।
चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं कई बार जनता से कह चुके थे कि कोरोना की दोनों स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन एवं कोविशील्ड बेहद कारगर है और इन्हें लेने में कोई समस्या नहीं है। एम्स के शीर्ष अधिकारी भी पुष्टि कर चुके थे कि यह टीका पूरी तरह सुरक्षित है। अफवाहों पर ध्यान ना दें और वैक्सीन लगवाएं। लेकिन कांग्रेस सरकारों की लापरवाही और बदनीयती के कारण केंद्र सरकार का यह महती मिशन अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पा रहा था।
आखिरकार स्वयं प्रधानमंत्री ने पहल की। उन्होंने बीड़ा उठाते हुए अहम घोषणा की और वैक्सीन अभियान का समस्त दायित्व केंद्र सरकार के हाथों में ले लिया। इसके साथ ही देश की समस्त जनता के लिए निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध हो जाने का रास्ता खुल गया। सरकार की इस बड़ी घोषणा को मास्टरस्ट्रोक भी कहा जा सकता है।
जब से केंद्र सरकार ने टीकाकरण का प्रबंधन पूरी तरह से अपने हाथ में लिया, विपक्षियों एवं कांग्रेसियों की मानो बन आई। उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। तब से ये केवल सरकार को कोसने का कोई बहाना ही ढूंढ रहे।
अब चूंकि पिछले दिनों देश में टीकाकरण ने महाअभियान का रूप लिया और एक दिन में रिकॉर्ड 86 लाख से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन हो गया तो विपक्ष के बड़बोले नेता, पत्रकार आदि का गिरोह एकाएक सक्रिय हो गया। वे इस अभियान की पल्स पोलियो अभियान से बेतुकी तुलना करने लगे और आंकड़ों की दुहाई देते हुए इसे असफल साबित करने के कुत्सित प्रयास में जुट गए। पल्स पोलियो अभियान और कोरोना टीकाकरण दो अलग-अलग विषय हैं। न तो ये बीमारियाँ एक सी हैं और न इनके टीके। ऐसे में दोनों की तुलना करना निरर्थक है।
लेकिन सरकार की सफलता से बौखलाए विपक्षी अब इस अभियान में ही मीन मेख निकालकर अपनी संकीर्ण राजनीति का प्रदर्शन करते दिखाई दे रहे हैं। यह बात अलग है कि इन लोगों के अनर्गल प्रलाप से सरकार और जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता। उल्टा, टीकाकरण अभियान में तेजी ही आई है।
अस्पतालों, वैक्सीनेशन सेंटर्स, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, जनपद पंचायत भवन और शासकीय कार्यालयों में किए जा रहे टीकाकरण में बड़ी संख्या में नागरिक उमड़ रहे हैं और कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए वैक्सीन ले रहे हैं। भारत के टीकाकरण अभियान की रफ़्तार विश्व में सर्वाधिक है। निश्चित ही टीकाकरण की इस गति से कोरोना महामारी को खत्म करने की दिशा में देश तेजी से बढ़ेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)