नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा। इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी। विभाजन की त्रासदी सदियों तक याद रखी जाएगी।
कुछ समय पहले आंदोलनजीवियों ने सीएए के विरोध में जम कर हंगामा किया था। यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के संबन्ध में था।
यह कानून मानवता पर आधारित है। लेकिन इसके विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चलाया गया। कई स्थानों पर दंगे हुए। आंदोलन को समर्थन देने के लिए देश के दिग्गज विपक्षी नेता भी पहुंच रहे थे। किसी ने भी यह विचार नहीं किया कि इस कानून को बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी। तब विभाजन की विभीषका को अगर विरोधी याद रखते तो सीएए का महत्व समझ में आता।
भारत का विभाजन और स्वतन्त्रता इतिहास के एक ही अध्याय में है। भीषण त्रासदी और विभाजन की काली रात के बाद स्वतन्त्रता का प्रकाश हुआ था। भारत का विभाजन कष्टप्रद था। लेकिन इसके लिए हिंसा का जो प्रदर्शन हुआ, उसने पूरी मानवता को शर्मशार किया था। इतिहास के इस अप्रिय प्रसंग को भी याद रखने की आवश्यकता है। यह सराहनीय है कि वर्तमान सरकार ने चौदह अगस्त को विभाजन विभीषका स्मृति दिवस आयोजित करने का निर्णय लिया।
नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा। इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी। विभाजन की त्रासदी सदियों तक याद रखी जाएगी। यह बीसवीं सदी की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक थी। इस दौरान हुए दंगों में लाखों लोग मारे गए थे। इस लड़ाई में महिलाओं ने सबसे अधिक दर्द झेला।
पाकिस्तान में हिंदुओं व सिखों के घरों व जमीनों पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान छोड़कर भारत चले जाने की नसीहत दी जाती थी। अपनी जमीन छोड़कर ना जाने वालों को मार दिया जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा कि हम आजादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे राष्ट्रीय एकता और अखण्डता सुदृढ़ होगी। सामाजिक सद्भाव बढ़ेगा। देश के बंटवारे से विस्थापित हुए लोगों के संघर्ष और बलिदान की स्मृति में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप आयोजित करने से वर्तमान पीढ़ी को सकारात्मक सन्देश मिलेगा। मानवीय संवेदनाओं को मजबूती मिलेगी। यह भेदभाव, वैमनस्य तथा दुर्भावना को खत्म करने के लिए देशवासियों को प्रेरित करेगा।
विभाजन के कारण लाखों लोगों ने हिंसा, अपनों की मृत्यु और विस्थापन की विभीषिका को झेला है। इस संघर्ष में जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया, उन्हें याद रखना आवश्यक है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस देश के विभाजन का दंश झेलने वाले सभी परिवारों को सच्ची श्रद्धांजलि है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र ने लाल किले की प्राचीर से पूर्णता का उल्लेख किया। कहा कि हमें अब विकास की तरफ नहीं बल्की पूर्णता की तरफ जाना है। अर्थात देश के शत-प्रतिशत लोगों तक सुविधाएं व विकास के लाभ को पहुंचाना है। सभी परिवारों को सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए।
सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है। शहरों और गांवों के बीच के अंतर को समाप्त करने के लिए वहां तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क भी पहुंच रहा है। गांव में कई जगहों पर महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप में शामिल हो कर नए उद्यम कर रही हैं। ऐसी महिलाओं के लिए सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने की तैयारी में है। इससे उनके उत्पाद देश के हर कोने तक पहुंच सकेंगे।
वर्तमान सरकार ने पिछले कई दशकों से अनसुलझी समस्याओं को भी सुलझाने का काम किया है। सेनाओं के हाथ मजबूत करने के लिए भी सरकार द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। भारतीय कंपनियों और उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में अवसर देने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला, देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने की नई व्यवस्था जीएसटी, देश के जवानों को वन रैंक वन पेंशन, राम जन्मभूमि केस का शांतिपूर्ण समाधान पिछले कुछ दिनों में देश ने सच होते देखा है।
कृषि क्षेत्र की बात करें तो देश के अस्सी प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं। जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। पहले देश में बनी नीतियों में इन छोटे किसानों पर ध्यान नहीं दिया गया। अब इन्हीं छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जा रहे हैं। उन्हें सस्ते में सामग्री मिले,आसानी से ऋण मिले और फसलों पर बीमा मिले इस पर जोर दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने देश के सभी सैनिक स्कूलों के दरवाजे लड़कियों के लिए खोलने की घोषणा की। वर्तमान में देश में तैतीस सैनिक स्कूल चल रहे हैं। सड़क से लेकर कार्यस्थल तक महिलाओं में सुरक्षा का एहसास और सम्मान का भाव हो। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेल को एक्स्ट्रा करिकुलर के बजाय मेनस्ट्रीम बनाया गया है। मातृभाषा की प्राथमिकता पर जोर दिया गया है। उन्होंने खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ा कर उसे तकनीक से जोड़ने पर बल दिया।
कुल मिलाकर प्रधानमंत्री ने लाल किले से भारतीय स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर भारत के स्वर्णिम भविष्य का रोडमैप प्रस्तुत करते हुए देशवासियों में आशा और विश्वास का संचार किया। निश्चित ही इक्कीसवीं सदी का आने वाला समय भारत का होगा।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)