नेशनलिस्ट डेस्क।। सामाजिक समरसता को लेकर तमाम तरह की बहस चलती रहती है। कुछ तथाकथित चिन्तक और बुद्धिजीवी इसको अपने ढंग से परिभाषित भी करते हैं। इनमे से तमाम लोग सामाजिक समरसता के विषय में संघ पर सवाल उठाने लगते हैं। लेकिन संघ का समाजिक समरसता पर क्या दृष्टिकोण क्या है, इसको गहराई में जाकर समझने का प्रयास कोई नहीं करता है। तथाकथित बुद्धिजीवियों को शायद यह डर होता है कि अगर संघ का दृष्टिकोण सबके सामने आ गया तो उनकी दूकान बंद हो जायेगी।
सामाजिक समरसता को लेकर संघ के सर संघचालक मोहन भागवत का यह विस्तृत भाषण समाजिक समरसता पर संघ के दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। इस वीडियो को सुना जाना चाहिए।