‘मूव इन इंडिया’ के जरिए शहरों से जुड़ेंगे गांव, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का होगा तीव्र विकास!

शहरों को ग्रामीण इलाकों से जोड़ने में ग्रामीण सड़कों की अहम भूमिका होती है। यही कारण है कि दुनिया भर के देश ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर जोर देते हैं। सड़क के जरिए किसानों को न सिर्फ उन्‍नत बीज, उर्वरक आसानी से मिल जाते हैं बल्‍कि उपज की बेहतर कीमत भी मिलने लगती है। फिर सड़क संपर्क बढ़ने से ग्रामीणों की शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, रोजगारबैंक, बाजार आदि तक आसान पहुंच होती है। यही कारण है कि जैसे-जैसे सड़क संपर्क में सुधार होता है वैसे-वैसे गांवों की गरीबी में कमी आने की रफ्तार बढ़ जाती है। विश्‍व बैंक के ग्रामीण पहुंच सूचकांक के मुताबिक दुनिया में 100 करोड़ लोग सड़क से दो किलोमीटर से अधिक दूरी पर रहते हैं। यह दुनिया की ग्रामीण आबादी का 31 फीसदी है। इनमें से 98 फीसदी लोग विकासशील देशों में रहते हैं। इन इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों की बाजार तक पहुंच नहीं बन पाती है। इतना ही नहीं इससे परिवहन लागत बढ़ जाती है जो व्‍यापार व वैश्‍वीकरण में मुख्‍य बाधा है। इसीलिए विश्‍व बैंक 2006 से हर साल 20 अरब डॉलर परिवहन संबंधी आधारभूत ढांचे पर खर्च कर रहा है।

2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को शहरों से जोड़ने की मुहिम में जुटे हैं। सरकार राष्‍ट्रीय राजमार्गों, रेलवे, बंदरगाहों के साथ-साथ ग्रामीण सड़कों के विकास पर ध्‍यान दे रही है। जहां 2011-14 के दौरान हर रोज औसतन 70 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई गईं वहीं 2014-15 में यह आंकड़ा बढ़कर 100 किलोमीटर हो गया। 2016 में तो इसमें अभूतपूर्व तेजी आई और आज हर रोज 139 किलो मीटर सड़क बन रही है। मोदी सरकार ग्रामीण सड़कों के निर्माण में तेजी लाने के लिए सूचना-तकनीक का भरपूर इस्‍तेमाल कर रही है।

ग्रामीण सड़कों के बहुआयामी लाभ के बावजूद भारत में ग्रामीण सड़कें उपेक्षा का शिकार रही हैं। कुछेक राज्‍यों में इनकी दशा ठीक-ठाक है लेकिन बाकी राज्‍यों में गांवों की पगडंडी अभी भी धूल-धूसरित है। इसके लिए पर्याप्‍त योजना व वित्‍तीय संसाधनों की कमीराजनीतिक इच्‍छाशक्‍ति का अभाव जैसे कारक जिम्‍मेदार रहे हैं। राज्‍य सूची का विषय होने के चलते भी ग्रामीण सड़कें उपेक्षित रहती हैं। ग्रामीण सड़कों के रखरखाव पर भी उतना ध्‍यान नहीं दिया जाता है। गौरतलब है कि देश में ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 27 लाख किलोमीटर है जो सड़कों की कुल लंबाई का 80 फीसदी है। इसमें से 10 लाख किलोमीटर से ज्‍यादा ग्रामीण सड़कें तकनीकी मानदंडों पर खरा नहीं उतरती हैं। इस समस्‍या को दूर को करने के लिए 25 दिसंबर 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की गई। इसके तहत 500 से अधिक आबादी वाली बस्‍तियों को बारहमासी सड़क संपर्क मुहैया कराने का लक्ष्‍य रखा गया है। पहाड़ी व जनजातीय इलाकों में यह मानक 250 ही है। इस योजना में सड़कों की डिजाइन, निर्माण और मानिटरिंग योजनाबद्ध तरीके से की जाती है।

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प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल बढ़ी सड़क निर्माण की रफ़्तार

2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को शहरों से जोड़ने की मुहिम में जुटे हैं। सरकार प्रति हेक्‍टेयर पैदावार बढ़ाने के उपाय करने के साथ-साथ फलफूलसब्‍जी आदि के लिए प्रोसेसिंगपैकेजिंगकोल्‍ड स्‍टोरेज जैसे बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर रही है ताकि कृषि उपजों के कारोबार को बढ़ावा मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को अच्‍छी तरह जानते हैं कि ये निवेश तभी कारगर होंगे जब गांवों को बारहमासी सड़क संपर्क हासिल हो। इसीलिए सरकार राष्‍ट्रीय राजमार्गोंरेलवेबंदरगाहों के साथ-साथ ग्रामीण सड़कों के विकास पर ध्‍यान दे रही है। जहां 2011-14 के दौरान हर रोज औसतन 70 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई गईं वहीं 2014-15 में यह आंकड़ा बढ़कर 100 किलोमीटर हो गया। 2016 में तो इसमें अभूतपूर्व तेजी आई और आज हर रोज 139 किलो मीटर सड़क बन रही है। मोदी सरकार ग्रामीण सड़कों के निर्माण में तेजी लाने के लिए सूचना-तकनीक का भरपूर इस्‍तेमाल कर रही है। नियोजन व निगरानी के लिए जीआईएस व अंतरिक्ष संबंधी चित्रों का उपयोग करने के साथ-साथ विभिन्‍न स्‍तरों की संख्‍या कम करके धनराशि का कारगर प्रवाह सुनिश्‍चित किया गया है। सामग्री की खरीदनिर्माण और रखरखाव जैसे चरणों में गुणवत्‍ता संबंधी कठोर निगरानी की जा रही है। सड़क से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए ”मेरी सड़क” नामक एप शुरू किया गया है। सरकार ने 2019 तक सवा दो लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़क निर्माण का लक्ष्‍य रखा है।

ग्रामीण सड़कों के निर्माण के साथ-साथ मोदी सरकार सार्वजनिक परिवहन व्‍यवस्‍था सुधारने हेतु मूव इन इंडिया” योजना पर अमल करने जा रही है। इसके तहत शहरी परिवहन ढांचे में सुधार के साथ-साथ शहरों को गांवों से जोड़ने वाला एक मजबूत तंत्र स्‍थापित किया जाएगा। सरकार बस परमिट प्रणाली को आसान बना रही है ताकि देश के सवा लाख गांवों को नजदीकी शहरों से जोड़ने के लिए 80,000 मिनी बसें चलाई जा सकें। इससे न केवल लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा बल्‍कि गांवों-शहरों के बीच कारोबारी रिश्‍ते मजबूत बनने से किसानों को उनकी उपज की वाजिब कीमत भी मिलने लगेगी। इतना ही नहीं आवागमन की सुविधा बढ़ने से गांवों में कृषि आधारित उद्योगों के विकास के एक नए युग का सूत्रपात होगा।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)