विश्व धर्म महासभा की सफलता के बाद जब स्वामीजी के चित्र तिलक जी ने समाचार पत्रों में देखे तो उनको याद आया कि यह वही संन्यासी हैं, जिन्होंने उनके घर पर कुछ दिन तक निवास किया था। इसके बाद दोनों के बीच पत्र व्यवहार भी हुआ था। 1901 में जब इंडियन नेशनल कांग्रेस का 17वां अधिवेशन हुआ तो उसमें भाग लेने के लिए तिलक जी कलकत्ता आये थे, इसी दौरान वह बेलुड़ मठ जाकर स्वामीजी से मिले।
स्वामी विवेकानंद को अनेक लोग एक आध्यात्मिक नेता के तौर पर देखते हैं। लेकिन उनका भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में योगदान अभी भी कम चर्चित है। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता बाल गंगाधर तिलक जो ”लोकमान्य तिलक” के नाम से भी प्रसिद्ध हैं, वह स्वामी विवेकानंद से प्रभावित भी थे और उनको स्वामीजी से मिलने का और व्यक्तिगत तौर पर उनसे राष्ट्रीय चिंतन के विषयों पर मार्गदर्शन लेने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ था।
बाल गंगाधर तिलक के अनुसार स्वामीजी से उनकी पहली भेंट बम्बई से पुणे जाते समय यात्री-डिब्बे में हुई थी। स्वामी जी के पास बिलकुल भी पैसे नहीं थे और उनके हाथ में बस एक कमंडल था।
विश्व धर्म महासभा की सफलता के बाद जब स्वामीजी के चित्र तिलक जी ने समाचार पत्रों में देखे तो उनको याद आया कि यह वही संन्यासी हैं, जिन्होंने उनके घर पर कुछ दिन तक निवास किया था। इसके बाद दोनों के बीच पत्र व्यवहार भी हुआ था। 1901 में जब इंडियन नेशनल कांग्रेस का 17वां अधिवेशन हुआ तो उसमें भाग लेने के लिए तिलक जी कलकत्ता आये थे, इसी दौरान वह बेलुड़ मठ जाकर स्वामीजी से मिले।
स्वामीजी ने उन्हें संन्यास लेने और बंगाल आकर उनका कार्यभार सँभालने को भी कहा था, क्योंकि स्वामीजी के अनुसार अपने क्षेत्र में कोई व्यक्ति इतना प्रभावशाली नहीं होता जितना सुदूर क्षेत्रों में। इस मुलाकात के बाद तिलक जी बेलुर मठ आये थे और स्वामीजी से मार्गदर्शन प्राप्त किया था। उनके द्वारा स्थापित समाचार पत्र “केसरी” के संपादक एन. सी. केलकर भी स्वामीजी से मिलने आते थे।
बाल गंगाधर तिलक जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने वाले प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी में से एक जो कुशल और निपुण पत्रकार, लेखक, शिक्षक व वक्ता भी थे और लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के महत्वपूर्ण सदस्य भी, वह बिपिन चंद्र पाल कहते हैं कि, ”विवेकानंद का संदेश आधुनिक मानवता का संदेश था”। वह आगे कहते हैं कि, ”मुझे कहना होगा की विवेकानंद ने एक बड़े वर्ग की आँखे खोली है”।
(लेखक विवेकानंद केंद्र के उत्तर प्रान्त के युवा प्रमुख हैं और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शोधकर्ता हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)