प्रधानमंत्री मोदी की इजरायल यात्रा बहुआयामी और बहुअर्थी रही। इस दौरे पर पूरी दुनिया की निगाहें थीं, क्योंकि मोदी से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इजरायल यात्रा कर चुके थे। लेकिन वह यात्रा आशानुरूप नहीं रही। इधर, मोदी ने दोनों देशों के व्यापारिक व कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में प्रयास किये, जिसका परिणाम यह रहा कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मिलकर दोनों देशों के बीच सात अहम समझौते हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रतीक्षित इजरायल यात्रा आखिरकार सफलतापूर्वक संपन्न हो गई। यह वास्तविक अर्थों में बहुप्रतीक्षित और महत्वपूर्ण थी। मोदी ने दिलों को भी जीता और कूटनीति को भी बनाए रखा। आजादी के बाद से आज तक एक भी भारतीय प्रधानमंत्री इजरायल नहीं गया था, पीएम मोदी यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। उनकी यात्रा के लिए इजरायल पूरी तरह से तैयार था और बेहद उत्साहित भी। वहां की मीडिया ने मोदी की यात्रा के पहले ही माहौल बनाना शुरू कर दिया था और इजराइली अखबार ने यह लिखकर कि, ‘जागो, दुनिया के सबसे अहम प्रधानमंत्री आ रहे हैं’ यह संकेत दे दिया था कि यह यात्रा सामान्य नहीं, बेहद अहम है। हुआ भी वही।
प्रधानमंत्री मोदी की इजरायल यात्रा बहुआयामी और बहुअर्थी रही। इस दौरे पर पूरी दुनिया की निगाहें थीं, क्योंकि मोदी से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इजरायल यात्रा कर चुके थे। लेकिन वह यात्रा आशानुरूप नहीं रही। इधर, मोदी ने दोनों देशों के व्यापारिक व कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में प्रयास किये, जिसका परिणाम यह रहा कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मिलकर दोनों देशों के बीच सात अहम समझौते हुए।
इनमें डेवलपमेंट, साइंस, तकनीक और स्पेस प्रमुख हैं। विज्ञान व प्रौद्योगिकी कोष सर्वप्रथम है, जिसमें 259 करोड़ रूपये की लागत से द्विपक्षीय प्रौद्योगिकी नवोन्मेष कोष बनाया जाएगा और दोनों देश उसमें भागेदारी करेंगे। इसके बाद जल संरक्षण को लेकर दो समझौते किए गए। इसमें भारत में इसराइल के सहयोग से जल संरक्षण अभियान चलाने और उप्र जल निगम के साथ जल व सफाई प्रबंधन को शामिल किया गया है। एक समझौता अंतरिक्ष को लेकर है, जिसमें भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो व इजरायल की स्पेस एजेंसी परस्पर सैटेलाइटों को ईंधन पहुंचाने की दिशा में काम करेंगे। इसमें परमाणु घड़ी खास है जो कि मिसाइल प्रक्षेपण के लिए सही समय बताती है।
इजरायल की कंपनी इजरायल एरोस्पेस उद्योग ने भारत के कल्याणी ग्रुप के साथ समझौता किया है। दोनों कंपनियां एयर डिफेंस सिस्टम के रख-रखाव के लिए हैदराबाद में केंद्र स्थापित करने की दिशा में काम करेंगी। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति रिवेन रिवलिन से मुलाकात के बाद “आई टू आई” और “आई फॉर आई” नाम का जुमला दिया, जिसका अर्थ होता है कि “इंडिया विद इजरायल और इंडिया फॉर इजरायल”। मोदी के प्रत्युत्तर में रिवलिन ने कहा कि मोदी वैश्विक नेता हैं जो कि स्वदेशी निर्माण के बारे में बहुत कुछ कर रहे हैं।
चूंकि मोदी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान केवल राजनीतिक सम्बन्ध कायम करने पर ही जोर नहीं देते, बल्कि वे दिलों को जीतने का हमेशा प्रयास करते हैं। कूटनीतिक संबंधों पर सुदृढ़ता की मुहर लगने के बाद मोदी यात्रा के तीसरे दिन हाइफा पहुंचे जहां उन्होंने इजरायल की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हाइफा युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रृद्धाजंलि दी। यहां पर उस युद्ध में शहीद हुए 44 भारतीय सैनिकों की कब्रें भी बनी हुई हैं। पीएम मोदी के साथ इस मौके पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी मौजूद थे।
इससे पहले पीएम मोदी ने बुधवार को साझा घोषणापत्र जारी करते हुए कहा कि यह मेरे दिल के बेहद करीब है। इस क्रम में मोदी ने इजरायल में 11 साल के बालक मोशे से मुलाकात की जो कि इस यात्रा का सबसे खास बिंदु बनकर उभरा। 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के समय मोशे महज 2 साल का था और हमले में आतंकियों ने उसके माता-पिता सहित अन्य 8 लोगों की हत्या कर दी थी। मोशे अपने ननिहाल पक्ष के साथ रहता है और उसे बचाने वाली सैमुअल्स इजरायल में निवास करती हैं। जब मोशे को यह पता चला कि मोदी यहां आने वाले हैं, वह तभी से बेहद उत्साहित था। जब मोदी उससे मिलने पहुँचे तो वह भावुक हो गया। उसने हिंदी में बोलकर मोदी का स्वागत किया और कहा कि आपका हमारे यहां स्वागत है।
मोशे के इस प्रेम से अभिभूत होकर पीएम मोदी ने उसे भारत आने का आमंत्रण दिया, जिसे प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने स्वीकार करते हुए हामी भरी। मोदी ने इजरायल यात्रा का तीसरा व अंतिम दिन येरुशलम व तेल अवीव के बाद तीसरे बड़े शहर हाइफा में बिताया। यहां नेतन्याहू मोदी को जीप में बैठाकर स्वयं ड्राइव करते हुए डोर समुद्र तट ले गए जहाँ उन्होंने समुद्र के खारे पानी को तत्काल फिल्टर कर पीने लायक बनाने का चलित संयंत्र देखा। दोनों नेताओं ने इस तकनीक से साफ पानी पीया भी। दुनिया में इजरायल इकलौता देश है, जिसने समुद्र के खारे पानी को पीने लायक बनाने की तकनीक विकसित की है।
इस प्रयोग की मोदी ने सराहना की और कहा कि प्राकृतिक आपदा के समय इस प्रकार का आविष्कार मानवता के लिए अत्यंत मूल्यवान है। दौरे के अंतिम समय में पीएम मोदी ने इजरायल में रह रहे भारतीय छात्रों व भारतीय समुदाय के लोगों से भी भेंट की और उन्हें मेक इन इंडिया के बारे में बताया।
समग्र दृष्टि से देखा जाए तो मोदी का यह इजरायल दौरा खास इसलिए भी है, क्योंकि मौजूदा दौर में आतंकवाद एक वैश्विक समस्या बन चुका है। भारत जैसे देश सदा से आतंकवाद पीडि़त रहे हैं और इजरायल का इस मामले में स्पष्ट रूख है। आतंकवाद से अछूते रहे इजरायल के साथ भारत का हाथ मिलाना और सैन्य संबंध मजबूत करना विश्व में यह संदेश भी देता है कि अब आतंकवाद के मोर्चे पर भारत चुप नहीं बैठने वाला। आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए मोदी गंभीर हैं और वे लगातार अनेक देशों की बिना रूके यात्रा करके आतंकवाद को समाप्त करने पर मंथन कर रहे और समर्थन जुटा रहे हैं।
इजरायल की यात्रा के बाद पीएम मोदी हैंबर्ग में जी-20 शिखर सम्मेलन में पहुंचे और वहां भी उन्होंने आतंकवाद के लिए होने वाली फंडिंग के खिलाफ पुरजोर विरोध किया। उन्होंने वैश्विक नेताओं के सामने दस सूत्रीय कार्ययोजना पेश की ताकि आतंकवाद को मिटाया जा सके। सभी सदस्य देशों व नेताओं ने इससे हामी भरी है। निश्चित ही मोदी एक राष्ट्र के प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक नेता की भूमिका को भी पूरी जिम्मेदारी के साथ वहन कर रहे हैं और उनके दृष्टिकोण ने आशा जगाई है कि यह विश्व जल्द ही आतंकवाद से मुक्त हो सकेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)