राष्ट्रपति के अभिभाषण का सन्देश

इस बार राष्ट्रपति के अभिभाषण के करीब आधे समय तक राहुल गांधी अपने मोबाइल में लगे रहे। ऐसे में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से अभिभाषण की सम्यक आलोचना की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। वही हुआ, राहुल संसद से बाहर निकले तो अपने पुराने शब्दों को ही दोहरा सके। कहा कि राफेल सौदे में चोरी हुई है। मतलब ढाँक के वही तीन पात।

भारत के संविधान में संसदीय शासन व्यवस्था को स्वीकार किया गया है। इसमें राष्ट्रपति कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होता है। अनुच्छेद-52 के अनुसार कार्यपालिका की शक्तियां उसी में निहित रहती हैं। संविधान के अनुच्छेद-79 के अनुसार वह संसद का एक अंग होता है। संसद के द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कानून के रूप में स्थापित होता है।

नरेंद्र मोदी की सरकार लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है। इसलिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछली सरकार के महत्वपूर्ण कार्यों को चर्चा की, इसी के साथ भविष्य की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। राष्ट्रपति का अभिभाषण पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। सरकार की भावी योजनाएं चर्चा में आती हैं, जबकि विपक्ष को सरकार की आलोचना का अवसर मिलता है। क्योंकि सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विस्तृत चर्चा होती है।

अभी तक संसद में अपेक्षाकृत गंभीरता रही है। लेकिन इस बार राष्ट्रपति के अभिभाषण के करीब आधे समय तक राहुल गांधी अपने मोबाइल में लगे रहे। ऐसे में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से अभिभाषण की सम्यक आलोचना की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। वही हुआ, राहुल संसद से बाहर निकले तो अपने पुराने शब्दों को ही दोहरा सके। कहा कि राफेल सौदे में चोरी हुई है। मतलब ढाँक के वही तीन पात। यह भी अजीब था कि राष्ट्रीय गौरव के उल्लेख पर भी राहुल गांधी ने मेज थपथपाने की जहमत तक नहीं उठाई। वह तो अभिभाषण समाप्त होने के बाद तत्काल बाहर जा रहे थे, उन्हें राष्ट्रपति के शिष्टाचार हेतु कुछ पल के लिए रोका गया।

राष्ट्रपति ने आधे सदस्यों के पहली बार निर्वाचन तथा अठहत्तर महिलाओं के लोकसभा पहुंचने का उल्लेख किया। इसमें तो कोई राजनीति नहीं थी। राष्ट्रपति ने इसमें कुछ भी गलत नहीं कहा था कि पांच वर्ष पहले देश में निराशा का माहौल था। वह कालखंड लोगों को आज भी याद है। यूपीए सरकार बड़े घोटालों के आरोप में घिरी थी। निवेश मिलना बंद हो गया था। नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस स्थिति को बदला। सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत पर काम किया। यह गरीबों के लिए समर्पित सरकार थी, जिसे लोगों ने दुबारा जनादेश दिया।

इस अवधि में गरीबों के कल्याण हेतु अनेक अभूतपूर्व योजनाएं लागू की गईं। न्यू इंडिया अभियान की नींव रखी गई। दूसरी बार पदभार ग्रहण करने के तत्काल बाद नेशनल डिफेंस फंड से सैनिकों  के बच्चों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि बढ़ा दी गई है। इसमें पहली बार राज्य पुलिस के जवानों के बेटे बेटियों को भी शामिल किया गया है।

नए जलशक्ति मंत्रालय का गठन हुआ। इस नए मंत्रालय के माध्यम से जल संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। कृषि क्षेत्र की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए पच्चीस  लाख करोड़ रुपए का और निवेश किया जाएगा। आज भारत मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। नीली क्रांति के क्षेत्र में देश को नम्बर वन बनाया जाएगा। इसलिए मछली पालन के समग्र विकास के लिए एक अलग विभाग गठित किया गया है।

पिछले कार्यकाल में सरकार ने पचास करोड़ ग़रीबों को मुफ्त स्वास्थ्य लाभ देने के लिए आयुष्मान योजना शुरू की थी। यह विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना  के तहत, स्वरोजगार के लिए करीब उन्नीस करोड़ लोगों को ऋण दिए गए हैं। इस योजना का विस्तार करते हुए अब तीस  करोड़ लोगों तक इसका लाभ पहुंचाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। उद्यमियों के लिए बिना गारंटी पचास  लाख रुपए तक के ऋण की योजना भी लाने की बात कही जा रही। सामान्य वर्ग के ग़रीब युवाओं के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक ने आतंकवाद के विरुद्ध देश की जीरो टॉलरेंस की नीति को ही स्पष्ट किया है। इससे आतंकवाद के विरोध में भारत की प्रतिबद्धता भी व्यक्त हुई है। अब देश के हर किसान की मदद की जाएगी।  साथ ही किसानों के लिए पेंशन योजना भी लागू की जा रही है।

पहली बार किसी सरकार में छोटे दुकानदारों के लिए पेंशन की योजना शुरू की गई है। इससे तीन करोड़ दुकानदारों को लाभ मिलेगा। 2022 तक सभी किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ेगी।  दशकों से लंबित सिचाईं योजनाएं पूरी की जा रही हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण में इन्हीं सब बातों का जिक्र था, जो कि तथ्यात्मक रूप से पूर्णतः सही हैं। परंतु, इसपर विपक्ष का रवैया निराशाजनक रहा।  

संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति का अभिभाषण जितना तर्कसंगत था, उतना ही सार्थक विचार प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। रामनाथ कोविंद ने पिछली सरकार के प्रमुख कार्यो का उल्लेख किया था, भावी योजनाओं की रूपरेखा बताई थी। इसी के साथ न्यू इंडिया के लिए सबके सहयोग का आह्वान किया था। नरेंद्र मोदी ने इसे व्यवहारिकता की कसौटी पर परिभाषित किया।

उन्होंने कहा कि जनता ने जांच परख कर हमें दोबारा चुना है। पिछले कार्यकाल की तरह जबको साथ लेकर विकास के मार्ग पर चलना है। तभी न्यू इंडिया का निर्माण होगा। कुल मिलाकर राष्ट्रपति के अभिभाषण ने मोदी सरकार के दुबारा आने के पीछे मौजूद सरकार के कार्यों व उपलब्धियों को अपने अभिभाषण में बाखूबी रेखांकित किया। साथ ही प्रधानमंत्री के वक्तव्य में सरकार की आगे की कार्य-योजना की झलक भी दिखाई दी।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)