उत्तर प्रदेश में कुल सोलह नगर निगम हैं, जिनमें से भाजपा को चौदह पर विजय प्राप्त हुई। जब वर्ष 2012 में निकाय चुनाव हुए थे, तब सिर्फ बारह नगर निगम थे। लेकिन गत पांच वर्षों में चार नगर निगम और बनाए गए। जिनमें अयोध्या, फिरोजाबाद, मथुरा और सहारनपुर शामिल हैं और मजेदार बात यह है कि इन चारों में भाजपा को जीत नसीब भी हुई। इसी वर्ष हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों को 403 में से 325 सीटें यानी करीब 81 फीसदी सीटें मिली थीं। जबकि निकाय चुनावों में भाजपा को 87.5 फीसदी सीटों पर जीत मिली।
गुजरात विधानसभा चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी यूपी निकाय चुनावों की अग्निपरीक्षा में सफल रही। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव वाली लहर को निकाय चुनाव में भी भाजपा कायम रखने में कामयाब रही। उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के परिणामों ने कांग्रेस की जमीन कुछ हद तक गुजरात के लिए खिसका दी है। इन नतीजों में भविष्य के कई संकेत छिपे हुए हैं।
वैसे तो निकाय चुनाव बहुत छोटे चुनाव माने जाते हैं, लेकिन जब ये चुनाव उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में हों, तो इनके मायने अलग हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को धमाकेदार जीत प्राप्त हुई है। इन चुनावों ने बता दिया है कि उत्तर प्रदेश के मतदाता के मन में क्या है। वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को अभी लगभग डेढ़ वर्ष का सफर और तय करना है। ऐसे में गुजरात के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के ये नतीजे भाजपा के लिए सकारात्मक संकेत देते है।
गत आठ महीने से उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के बारे में तरह-तरह की बातें हो रही थीं। विपक्ष योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगा रहा था कि वो जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। लेकिन निकाय चुनाव नतीजों से स्पष्ट है कि विपक्ष के इन दावों में कोई दम नहीं, अब भी उत्तर प्रदेश को भाजपा का ‘साथ’ पसन्द है।
उत्तर प्रदेश में कुल सोलह नगर निगम हैं, जिनमें से भाजपा को चौदह पर विजय प्राप्त हुई। जब वर्ष 2012 में निकाय चुनाव हुए थे, तब सिर्फ बारह नगर निगम थे। लेकिन गत पांच वर्षों में चार नगर निगम और बनाए गए। जिनमें अयोध्या, फिरोजाबाद, मथुरा और सहारनपुर शामिल हैं और मजेदार बात यह है कि इन चारों में भाजपा को जीत नसीब भी हुई। इसी वर्ष हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों को 403 में से 325 सीटें यानी करीब 81 फीसदी सीटें मिली थीं। जबकि निकाय चुनावों में भाजपा को 87.5 फीसदी सीटों पर जीत मिली।
उत्तर प्रदेश के इन निकाय चुनावों से अगर कोई सबसे अधिक निराश हुआ होगा तो वो है कांग्रेस और राहुल गांधी। इन नतीजों ने राहुल गांधी और कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य को कुछ हद तक संकट में डाल दिया है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी अपने परम्परागत गढ़ अमेठी में भी हार गई। अमेठी में दो नगरपालिकाएं हैं। इन दोनों नगरपालिकाओं में कांग्रेस पार्टी को हार से ‘हाथ’ मिलाना पड़ा। इसके अलावा सोनिया गांधी की लोकसभा सीट रायबरेली में भी कांग्रेस बुरी तरह हार गई। यहां नगरपालिका और नगर पंचायत की कुल नौ सीटें थीं, जिनमें से कांग्रेस मात्र एक सीट पर ही जीत पाई।
ये नतीजे बता रहे हैं कि राहुल गांधी को 2019 में अमेठी और रायबरेली में बहुत तकलीफ होने वाली है। रायबरेली और अमेठी की सीटों को भले ही कांग्रेस का गढ़ कहा जाता हो, लेकिन 2019 में ये नतीजे बदल भी सकते हैं, क्योंकि अब इन सीटों पर भी भाजपा की सेंध लग रही है। परम्परागत तौर पर ये सीट कांग्रेस की ही मानी जाती है, क्योंकि फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी इसी सीट से चुनाव लड़ते थे और जीतते थे।
वर्ष 2009 से ही सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं और राहुल गांधी अमेठी से सांसद हैं। लेकिन भविष्य में यहां कांग्रेस के पैर उखड़ सकते हैं। 2014 लोकसभा चुनावों में अस्सी सीटों वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सिर्फ रायबरेली और अमेठी की सीटें ही जीत पाई थीं और इन दो सीटों पर भी कांग्रेस का वोट प्रतिशत कम हो गया था। लेकिन 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस पार्टी बुरी तरह हार गई।
2014 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी सीट पर 1,07,000 मतों से जीते थे। उन्होंने भाजपा की स्मृति ईरानी को हराया था, लेकिन ये जीत पहले जितनी आसान नहीं थी। ये आंकड़े कांग्रेस को भीतर तक हिलाने के लिए काफी हैं। अमेठी और रायबरेली में कुल मिलाकर दस विधानसभा सीटें हैं, लेकिन इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को दस में से सिर्फ दो सीटें ही मिल पाईं, जबकि दो सीटें समाजवादी पार्टी को और बाकी की छह सीटें भाजपा को मिलीं। यहां कांग्रेस का प्रदर्शन इतना खराब था कि चार सीटों पर, वो तीसरे या चौथे नंबर पर रही। अमेठी की चार विधानसभा सीटों में से कांग्रेस एक सीट भी नहीं जीत पाई थी।
निकाय चुनावों की जीत से गदगद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश का ये निकाय चुनाव उन सबकी आंखों को खोलने वाला है। जो लोग गुजरात की जीत के संदर्भ में बात कर रहे थे, उनका खाता भी नहीं खुला और अमेठी में भी सूपड़ा साफ हो गया। योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि निकाय चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास के विजन और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति की जीत है।
योगी बोले कि चुनाव के परिणामों ने हमें और भी जिम्मेदारी दी है। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा शत-प्रतिशत नतीजे लाएगी। उन्होंने आगे कहा कि निकाय चुनावों का परिणाम प्रधानमंत्री द्वारा भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए उठाए गए कदमों पर जनता की मुहर है। बहरहाल, इन ताजा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस को अब ‘जनेऊ’ की राजनीति छोड़कर जनता के हितों के लिए आगे आना होगा, अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस केवल इतिहास बनकर रह जाएगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)