मोदी, आतंकवाद के खिलाफ कठोर और साझा रणनीति बनाने का आह्वान करते रहे हैं। ट्रम्प ने अब इस तथ्य को समझा है। इस बार डोनाल्ड ट्रंप पहले के मुकाबले कुछ गंभीर दिखाई दिए। उन्होने एक ट्वीट किया और पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। ट्रंप ने पन्द्रह वर्षों से जारी अमेरिका की पाकिस्तान नीति को मूर्खतापूर्ण करार दिया है। ट्रम्प का यह आकलन तथ्यों पर आधारित है।
अमेरिका ने लंबी अवधि के बाद अपनी पाकिस्तान नीति में अपरिहार्य बदलाव किया है। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने इसका प्रारंभिक सन्देश भी दे दिया है। फिलहाल उसको मिलने वाली एक लाख छह हजार अट्ठाइस करोड़ रुपये की सहायता पर रोक लगा दी गई है। ट्रम्प ने कहा भी है कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्यवाई के बाद ही उसे सहायता बहाली संभव होगी। ट्रंप ने यह कार्रवाई अपने ट्वीट के बाद की है, जिसमें उन्होंने आतंकवाद पर पाकिस्तान की कड़ी भर्त्सना की थी।
पाकिस्तान के जीवन यापन में अमेरिकी सहायता का बहुत बड़ा योगदान है। यही कारण है कि उसकी एक घुड़की से वह सहम जाता है। पाकिस्तान में यह माना जा रहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमंत्री को सन्तुष्ट करने के लिए यह निर्णय लिया है। मोदी, आतंकवाद के खिलाफ कठोर और साझा रणनीति बनाने का आह्वान करते रहे हैं। ट्रम्प ने इस तथ्य को समझा है। इस बार डोनाल्ड ट्रंप पहले के मुकाबले कुछ गंभीर दिखाई दिए। उन्होने एक ट्वीट किया और पाकिस्तान में हड़कंप मच गई । ट्रम्प ने पन्द्रह वर्षों से जारी अमेरिका की पाकिस्तान नीति को मूर्खतापूर्ण करार दिया है। ट्रम्प का यह आकलन तथ्यों पर आधारित है।
इससे स्पष्ट है कि ट्रम्प इस नीति में बड़े बदलाव का मन बना चुके हैं। बदलाव को बयान करने वाले ट्वीट का असर भी दिखाई देने लगा है। पाकिस्तान में जो आतंकवादी सरगना हाफिज सईद वहाँ राजनीतिक पार्टी बनाने की तैयारी कर रहा था, उसके सभी संगठनों के चंदे पर रोक लगा दी गई। पाकिस्तान की नियामक संस्था प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग ने उस पर प्रतिबंध लगाया है। इनमें जमात उद् दावा भी शामिल है। ट्रम्प के ट्वीट का लहजा सख्त था। उन्होने कहा कि आतंकवादियों के पनाहगार को अब और मदद नहीं दी जाएगी। ट्रंप ने पाकिस्तान को झूठा और धोखेबाज बताया है।
डोनाल्ड ट्रंप भविष्य में क्या करेंगे, यह तोआगे देखा जाएगा। लेकिन इसमें संदेह नहीं कि पाकिस्तान के खिलाफ इतने कठोर शब्दों का प्रयोग आज तक अमेरिका के किसी भी राष्ट्रपति ने नहीं किया था। जिस कार्य से अमेरिका अब तक बचता रहा है, ट्रम्प ने उस पर अमल का ऐलान किया है। उनके अनुसार पाकिस्तान ने आतंकियों को पनाह देना बंद नहीं किया तो उसे दी जाने वाली सहायता रोक दी जाएगी। इतना ही नहीं, उसके खिलाफ कई प्रतिबंध भी लगाए जाएंगे।
वैसे यह लग रहा है कि अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति अपने पूर्ववर्तियों से कुछ अलग है। वह पाकिस्तान से वास्तविक रूप में आतंकियों के खिलाफ कार्यवाई की अपेक्षा रखते हैं। जबकि बुश और बराक ओबामा जैसे राष्ट्रपति पता नहीं कैसे पाकिस्तान की बातों पर विश्वास कर लेते थे। पाकिस्तान उनसे आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाई के नाम पर भारी सहायता ऐंठता रहा, जबकि दूसरे ओर आतंकवादी संगठन यहां जड़ें जमाते रहे। बुश और ओबामा के प्रशासन ने एक बार भी यह देखने की जहमत नहीं उठाई कि उनके द्वारा दी गई सहायता का पाकिस्तान सही उपयोग कर रहा है या नही। अमेरिका के इन हुक्मरानों ने अपनी जिम्मेदारी का सही निर्वाह किया होता, तो पाकिस्तान पर पहले ही नकेल कस जाती।
पाकिस्तान को चेतावनी तो पहले भी मिलती रही है। लेकिन उसे यह यकीन था कि अमेरिका उसके खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाएगा, क्योकि इस इलाके में अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरत है। यहां उसके कई सैनिक बेस हैं। यह सुविधा इधर के अन्य देशों में इतनी आसानी से नहीं मिल सकती। पाकिस्तान की यही सोच उसे आतंकियों के खिलाफ कारगर कदम उठाने से रोकती थी। दशकों से ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान विश्व की एकमात्र महाशक्ति को मूर्ख बना कर सहायता हथिया रहा है, जबकि पाकिस्तान की आतंक परस्ती किसी से छिपी नहीं थी।
पन्द्रह वर्षों से जारी अमेरिका की पाकिस्तान नीति को ट्रम्प ने ऐसे ही मूर्खतापूर्ण नहीं बताया है। 9/11 अर्थात अमेरिका पर आतंकी हमले ने पाकिस्तान की सच्चाई को सामने ला दिया था। इसके पहले अमेरिका और योरोप के देश यह समझते थे कि इस्लामी आतंकवाद दक्षिण एशिया की समस्या है। यह अमेरिका तक नहीं पहुंचेगा। इसके बाद अमेरिका ने हमला करके अफगानिस्तान की तालिबान सत्ता को खदेड़ दिया था। जबकि तालिबान, अलकायदा जैसे संगठनों को पाकिस्तान से ही सहायता मिलती थी।
इसके बाद पाकिस्तान विश्वव्यापी इस्लामी आतंकवाद वीरोधी अभियान में शामिल हो गया। अमेरिका ने भी किसी मासूम की तरह उसकी बात पर ऐतबार कर लिया। फिर क्या था, अमेरिका सहायता देता रहा। पाकिस्तान यह दावा करता रहा कि वह आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाई कर रहा है।
इसमें संदेह नहीं कि डोनाल्ड ट्रम्प के पाकिस्तान के संबन्ध में विचार बिल्कुल स्पष्ट है। वह अपने पूर्ववर्तियों की तरह किसी गफलत में नहीं हैं। पाकिस्तान पर नकेल कसने के लिए उसको दी जाने वाली सहायता रोकनी होगी, क्योंकि इसका एक हिस्सा आतंकी संगठनों के संरक्षण और प्रशिक्षण में खर्च होता है। डोनाल्ड ट्रम्प से उम्मीद है कि वह पन्द्रह वर्षों से चली आ रही अमेरिका की मूर्खतापूर्ण पाकिस्तान नीति में उचित बदलाव करेंगे।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)