वे कौन लोग हैं, जिन्हें एंटी रोमियो स्क्वाड से दिक्कत हो रही !

उत्तर प्रदेश में शासन सँभालने के बाद से ही योगी सरकार एक्शन में नज़र आ रही है। भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए वादे के मुताबिक़ राज्य में एंटी रोमिओ स्क्वाड का गठन कर दिया गया है। अब हर इलाके के थाने में गठित ये विशेष दस्ता सड़कों पर लड़कियों और महिलाओं को छेड़ने, उनपर गलत फब्तियां कसने, लड़कियों के कॉलेज के बाहर मंडराने वाले बदमाशों की सक्रियतापूर्वक धरपकड़ करने लगा है। ज़मीनी तौर पर अभिभावकों से लेकर लड़कियां तक सभी एंटी रोमियो स्क्वाड के इस अभियान से बेहद खुश नज़र आ रहे हैं। लड़कियों की मानें तो इससे उन्हें काफी राहत महसूस हो रही है और उनकी इच्छा है कि ये अभियान लगातार चलता रहे।

एंटी रोमियो स्क्वाड का विरोध करने वाले वही लोग हैं, जो नोटबंदी के बाद उसे भी पूरी तरह से जनता को परेशान करने वाला निर्णय बताते हुए यह दावा कर रहे थे कि जनता इसका जवाब चुनावों में देगी; लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो उनकी बोलती बंद हो गयी। एंटी रोमियो स्क्वाड पर भी ये वही राग आलाप रहे हैं, मगर अब इन्हें सुनने वाला कोई नहीं है; क्योंकि इनकी बुद्धिजीविता की कलई पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों में खुल चुकी है।

ये तो ज़मीनी हकीकत है, जहां लोग एंटी रोमियो स्क्वाड का स्वागत करते दिख रहे हैं। लेकिन यूपी चुनावों में बुरी तरह से पछाड़ खाने वाले विपक्षियों को इससे भी दिक्कत हो रही है। सपा, कांग्रेस आदि विपक्षी दलों से लेकर विचारधारा विशेष के बुद्धिजीवी तक इस अभियान के विरोध में लामबंद नज़र आ रहे। सपा नेता उदयवीर सिंह ने एंटी रोमियो स्क्वाड को सरकार की मोरल पुलिसिंग बता दिया, तो वहीं कांग्रेस की रंजीत रंजन ने इसे लोगों को बेवजह में परेशान करने वाला अभियान बताने में देर नहीं की।

इसके अलावा वाम विचारधारा के बुद्धिजीवी भी सोशल मीडिया पर इसे लेकर हाय-तौबा मचाए हुए हैं। कोई बुद्धिजीवी इसका खुला विरोध करते हुए लाल-पीले हो रहे, तो कोई इसपर कटाक्ष कर रहे, तो किन्हीको तो इसमें शेक्सिपियर के पात्र रोमियो के विरोध से तकलीफ हो रही है। इन बुद्धिजीवियों की कुल बातों का मज़मून यह है कि एंटी रोमियो स्क्वाड के जरिये आम लोगों को परेशान किया जा रहा है। सनद रहे कि ये वही विरोधी हैं, जो नोटबंदी के बाद उसे भी पूरी तरह से जनता को परेशान करने वाला निर्णय बताते हुए यह दावा कर रहे थे कि जनता इसका जवाब चुनावों में देगी; लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो उनकी बोलती बंद हो गयी। एंटी रोमियो स्क्वाड पर भी ये वही राग आलाप रहे हैं, मगर अब इन्हें सुनने वाला कोई नहीं है; क्योंकि इनकी बुद्धिजीविता की कलई पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों में खुल चुकी है।

अब अगर बात एंटी रोमियो स्क्वाड की करें तो भाजपा ने इसका वादा अपने उस संकल्प पत्र में किया था, जिसको पूरा करने के लिए उसे राज्य में 325 सीटों का विशाल बहुमत मिला है। योगी सरकार उसी संकल्प पत्र पर आगे बढ़ रही है। जहां तक इस स्क्वाड के औचित्य की बात है, तो यूपी जैसे बड़े और महिलाओं के प्रति अपराध से त्रस्त राज्य में इसे एक ज़रूरी पहल माना जाना चाहिए। महिलाओं के प्रति गलत दृष्टि रखने वाले मनचलों को सही रास्ते पर लाने के लिए ये कदम कारगर साबित होगा।

रही बात निर्दोष और स-सहमति साथ बैठे प्रेमी युगलों के परेशान होने की, तो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि इस तरह के लोगों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाय। इसलिए इस तरह की फ़िज़ूल दलीलों से इस बड़ी मुहीम को कमतर साबित करने की कोशिश न केवल पूरी तरह से अतार्किक है, बल्कि महिलाओं के प्रति अपराधों को समर्थन देने वाली भी है। ऐसा करने वाले मौका आने पर फिर वैसे ही मुंह की खाएंगे, जैसे नोटबंदी के मुद्दे पर खाए थे। जनता इन्हें और इनकी असलियत को अब अच्छे से पहचान चुकी है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)