भाजपा शासित राज्यों में छोटी सी घटना पर भी विरोधी पार्टियाँ, झूठे नैरेटिव गढ़कर बखेड़ा खड़ा कर देती हैं । तथाकथित बुध्दिजीवी, मानवाधिकार कार्यकर्ता, विरोधी पार्टियाँ इसे प्रचारित और प्रसारित करती हैं। नोएडा के अखलाक के लिंचिंग पर कैंडिल मार्च, अवार्ड वापसी गैंग और तमाम विरोधी पार्टियाँ बंगाल के इस नरसंहार पर चुप हैं।
घटना की पृष्ठभूमि
21 मार्च 2022 को शाम भादू शेख निवासी बागतुई थाना रामपुरहाट, पश्चिम बंगाल की हत्या बम मारकर की गई। उस समय भादू शेख अपने समर्थकों से कुछ दूरी पर बैठा था। एकाएक मोटर-साइकिलों पर सवार कुछ लोग आये और भादू शेख पर कई बम मारकर हत्या कर दी। 21 मार्च को रात में ही कुछ लोगों का एक झुण्ड आया और कुछ घरों पर देशी बम से हमला कर दिया। कुल 10 घर जल कर खाक हो गये और घरों के दरवाजों पर ताला लगाकर आग लगा दिया गया जिसमें 8 लोग जिंदा जलाकर मार दिये गये, जिनमें महिलायें और बच्चे थे।
इस आगजनी में सोना उर्फ संजू शेख, फातिक शेख सहित 10-12 लोगों के भी घर जलाये गये। सोना उर्फ संजू शेख के घर से ही 7 जली हुई लाशें मिली थी। फातिक शेख की पत्नी को भी जिंदा जला दिया गया था । सोनू शेख और फातिक शेख को भी भादू शेख की हत्या में आरोपी बनाया गया। जो फरार चल रहे हैं।
भादू शेख अपने गाँव और आसपास के क्षेत्रों में रिक्शा वैन चलाकर जीवन यापन करता था। बाद में वह स्थानीय थाना रामपुरहाट में पुलिस की गाड़ी चलाने लगा । उसकी दोस्ती पुलिसजनों से हो गयी जिससे उसका दबदबा अपने गाँव और आसपास के गाँवों में बढ़ गया। उसने कुछ दिन ट्रैक्टर भी चलाया ।
पुलिस का ड्राइवर होने के कारण भादू शेख कई गैर-कानूनी काम करने लगा, क्योंकि उसकी पुलिस से मिली-भगत थी। उसे कानून का डर नहीं था । अपने दबदबे को स्थाई बनाने के लिए भादू शेख तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गया और ग्राम पंचायत का उप-प्रधान बन गया ।
उप-प्रधान बनने के बाद उसकी आमदनी एकाएक बढ़ने लगी। उसने पोल्ट्री फॉर्म के अलावा गाडियों और हार्डवेयर के काम में भी हाथ अजमाये। तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद वह बालू, पत्थर, कोयला के अवैध खनन में जुड़ गया । उसने तृणमूल के वरिष्ठ नेताओं से संबंध बनाये और अवैध खनन के काम में लगे ट्रकों से नियमित वसूली करने लगा।
भादू शेख अवैध बैरियर लगाकर ट्रकों से वसूली करता था, जिसकी जानकारी पुलिस और जिले के अधिकारियों से लेकर प्रदेश अधिकारियों तक को थी परन्तु जानते हुए सभी चुप रहते थे क्योंकि पश्चिम बंगाल के टीएमसी राज में यह एक जायज धंधा माना जाता है।
तोलाबाजी – पश्चिम बंगाल में तोलाबाजी का मतलब होता है- व्यापारियों, दुकानदारों से अवैध नियमित वसूली । पश्चिम बंगाल में अगर कोई व्यक्ति व्यापार करता है, ट्रक चलाता है, अन्य कारोबर करता है तो उसे एक निश्चित राशि टीएमसी कार्यकर्ताओं को देनी पड़ती है जो उनकी मासिक आय होती है।
कट-मनी – पश्चिम बंगाल में कोई भी व्यापारी जो नया धंधा शुरु करता है, कोई भी व्यक्ति जमीन खरीदता है, फैक्ट्री लगाना चाहता है तो उसे एक निर्धारित रकम टीएमसी कार्यकर्ता को देना पड़ता है। सरकारी योजनाओं के तहत कार्य करना, ठेकेदारी करना आदि में भी कट-मनी टीएमसी नेता को देना पड़ता है।
तोलेबाजी और कट-मनी का तांडव पूरे बंगाल में चलता है परन्तु पीड़ितों की शिकायत कहीं भी नहीं सुनी जाती। टीएमसी के लोग इस धन को मासिक पेंशन मानते हैं जो उन्हें हर महीने मिल जाती है। यह पश्चिम बंगाल में टीएमसी का ‘बिज़नस मॉडल’ बन चुका है।
चुनाव के समय टीएमसी कार्यकर्ता अपनी नेता ममता बनर्जी को जिताने के लिए जी-जान से जुट जाता है चाहे उन्हें जिताने के लिए विरोधी पार्टी के लोगों की हत्याएं ही क्यों न करनी पड़े । इसीलिए पश्चिम बंगाल चुनाव के पहले, चुनाव के दौरान और बाद में विरोधी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बड़े पैमाने पर हत्याएं हुई जिसमें भाजपा मुख्य रुप से निशाने पर थी। चुनाव में 56 भाजपा कार्यकर्ताओं की बेरहमी हत्याएं हुई, जिससे अन्य लोग विरोध करने की हिम्मत न जुटा सकें ।
टीएमसी कार्यकर्ता का व्यक्तिगत हित, ममता बनर्जी की जीत से जुड़ा होता है। कार्यकर्ता जानता है कि यदि प्रदेश में ममता बनर्जी जीतती हैं तो तोलेबाजी और कट-मनी से उन्हें मासिक पेंशन मिलती रहेगी । यदि भाजपा जीत जायेगी तो उनकी मासिक आय बंद हो जायेगी ।
रामपुरहाट, गैर-कानूनी गतिविधियों के लिए कुख्यात है। यहाँ से गायों और बैलों की तस्करी करके बंग्लादेश भेजा जाता है। जिसमें अकूत कमाई होती है। भादू शेख गो-वंश की तस्करी से भी जुड़ा रहा । बीरभूमि जिला झारखंड से लगा हुआ है। यहाँ बालू, पत्थर, कोयला उपलब्ध है। खनन का कारोबार अवैध रुप से होता है। तोलेबाजी और कट-मनी के लिए रामपुरहाट टीएमसी के लिए पसंदीदा जगह है।
भादू शेख की तोलेबाजी, कट-मनी की वसूली में सोनू उर्फ संजू शेख, फातिक शेख और राजेश शेख आदि भी मदद करते थे और गहरे दोस्त थे।
भादू शेख तृणमूल के ब्लॉक अध्यक्ष अनारुल हुसैन के काफी नजदीक आ गया, जिससे उसकी अवैध वसूली काफी बढ़ गई।
भादू शेख ने अपने अवैध काम में अपने मित्रों को हटाकर अपने परिवार वालों को जोड़ लिया। इसके कभी मित्र रहे संजू शेख, फातिक शेख आदि ने अलग ग्रुप बनाकर वसूली करना शुरु कर दिया। जो भादू शेख को बुरा लगा। चूंकि भादू शेख उप-प्रधान था और ब्लॉक अध्यक्ष अनारुल हुसैन से सीधा जुड़ा था इसलिये उसकी कमाई कम तो हुई परन्तु अवैध वसूली में उसी का वर्चस्व रहा।
भादू शेख और उसकी विरोधी टीएमसी ग्रुप के नेताओं में झगड़ा होना आम बात हो गयी। रामपुरहाट थाना पुलिस शिकायत मिलने पर भा कोई कार्यवाही नहीं करती थी क्योंकि उसे भी अवैध कारोबार में हिस्सा मिलता था।
इसी रंजिश में भादू शेख के भाई बाबर शेख और गाँव के राजेश शेख की भी हत्यायें हुई, परन्तु पुलिस ने प्रभावी कार्यवाही नहीं की।
राजेश शेख की हत्या में भादू शेख भी शामिल था परन्तु तृणमूल का नेता होने के कारण उस पर कार्यवाही नहीं हुई, और गाँव में रंजिश बढ़ती गई।
21 मार्च 2022 को भादू शेख की हत्या वहाँ चल रही तोलेबाजी, कट-मनी के अवैध कारोबार में बंदर-बाँट से उपजी रंजिश का परिणाम रहा।
भादू शेख की हत्या करने के बाद उसके दुश्मन संजू शेख, फातिक शेख और अन्य लोग घर छोड़कर भाग गये क्योंकि उन्हें पूरी आशंका थी कि भादू शेख के भाई और उससे जुड़े लोग उन पर हमला अवश्य करेंगे। घर में केवल महिलाएं एवं बच्चे ही रह गये। उन्हें ऐसा लगा कि उनके दुश्मन महिलाओं और बच्चों की हत्या नहीं करेंगे।
थाना रामपुरहाट से घटना स्थल बागतुई मात्र 2 कि0मी0 की दूरी पर है, जहाँ से पैदल भी चलकर 15 मिनट में पहुँचा जा सकता था, परन्तु पुलिस तुरंत मौके पर नहीं गयी। यदि पुलिस तुरंत मौके पर पहुँच जाती तो महिलाओं और बच्चों की 8 हत्याएं रोकी जा सकती थी। हत्यारों ने दमकल की गाड़ियों को आग बुझाने से रोका जिससे समय से आग नहीं बुझायी जा सकी।
कोलकाता हाईकोर्ट ने बागतुई नरसंहार का स्वत: संज्ञान लिया और आदेश किया कि जिला जज की उपस्थिति में सीसी टीवी कैमरे लगाये जाय जिससे महत्वपूर्ण साक्ष्यों को टीएमसी नेता क्षति न पहुँचा सकें तथा पुलिस भी उनके दबाव में साक्ष्यों से छेड़-छाड़ न कर सकें।
भाजपा जाँच समिति
घटना के तुरंत बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे0पी नड्डा जी ने एक जाँच समिति बनाई जिसमें निम्न सदस्य सम्मिलित थे-
राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह के हस्ताक्षर से 22 मार्च 2022 को आदेश जारी हुआ जिसमें लिखा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जी ने इस जघन्य घटना की तथ्यों की जानकारी के लिए 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है जो घटना स्थल पर जाकर तथ्यों की जानकारी एकत्रित कर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को सौंपेगी। समिति के सदस्य निम्नलिखित हैं:-
- बृजलाल, राज्यसभा सासंद, पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश।
- सत्यपाल सिंह, सांसद लोकसभा, पूर्व पुलिस कमिशनर मुंबई।
- के0सी0 राममूर्ति, राज्यसभा सांसद, पूर्व आई0पी0एस0, कर्नाटक
- सुकांतो मजुमदार, लोकसभा सांसद, प्रदेश अध्यक्ष, प0 बंगाल भाजपा
- भारती घोष, राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पूर्व आई0पी0एस0, प0 बंगाल
जाँच समिति 23 मार्च 2022 को शाम साढ़े 5 बजे विस्तारा की फ्लाईट से कोलकाता पहुँची। एयरपोर्ट पर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लोग भारी संख्या में पहुँच गये। हम लोगों ने बताया कि 24 मार्च 2022 को सुबह भाजपा जाँच समिति रामपुरहाट के लिए रवाना होगी और मौके पर जाकर तथ्यों की जानकारी करेगी और पीड़ित परिवारों से मिलेगी। हमें बताया गया कि पंश्चिम बंगाल सरकार हमें घटना स्थल पर जाने से नहीं रोकेगी।
रामपुरहाट से 20-22 किमी0 दूर सैंथिया कस्बे में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने करीब एक दर्जन ट्रक बीच सड़क पर खड़े करवा दिये जिससे हमारी गाड़ियाँ आगे न जा सकें। ट्रक ड्राईवरों को वहाँ से हटा दिया गया था। वहाँ पर मीडिया लगातार रिपोर्टिंग कर रही थी। समिति के सभी सदस्य स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ पैदल आगे बढ़े तो टीएससी के गुंडों ने हमलोगों का रास्ता रोक लिया और धक्का-मुक्की करने लगे। हम लोग सड़क पर ही धरने पर बैठ गये।
इस पूरे घटना क्रम के दौरान प0 बंगाल पुलिस नदारद रही और टीएमसी के लोगों को गुंडई करने के लिए खुला छूट दे दिया । स्थिति ऐसी पैदा हो गई कि हम लोगों पर हिंसात्मक कार्यवाही के लिए टीएमसी के गुंडे तैयार थे। स्थिति की गंभीरता को देखकर हमलोग सैंथिया थाना में जमीन पर जाकर बैठ गये। टीएमसी के गुंडे थाने में घुसकर हंगामा करते रहे।
वहाँ पर एक महिला सिपाही, एक ए0एस0आई0 के अलावा थाना का एस0एच0ओ0 और पूरा स्टाफ थाने में कहीं दिखाई नहीं पड़ा। थोड़ी देर बाद जींस और टी-शर्ट पहने एक अधिकारी आया जो अपने को डिप्टी एस0पी0 बता रहा था, वह हम लोगों से राजनैतिक कार्यकर्ता की तरह बहस करता रहा। उसने बताया कि हम लोगों को घटना स्थल पर जाने से रोक दिया गया है। करीब 1 घंटे के बाद उसने बताया कि अब हमलोग घटना स्थल पर जा सकते हैं।
हम लोग करीब 5 बजे घटना स्थल पर पहुँचे, वहाँ डिप्टी एस0पी0, इंसपेक्टर रैंक के अधिकारियों के साथ 15-20 पुलिसकर्मी मिले। घटना स्थल को बैरिकेड और रस्सों से अलग कर दिया गया था। हम लोगों ने जले हुए घर देखे जिन्हें पूरी तरह खाक कर दिया गया था। संजू शेख के घर में 7 लोगों को जिंदा जलाकर मार दिया गया था जिसमें महिलाएं और बच्चे थे।
घर के अंदर किसी को जाने का आदेश नहीं था। फातिक शेख की पत्नी की हत्या दूसरे घर में कर दी गई थी। गाँव के काफी लोग पलायन करके भाग गये थे। मौके का दृश्य दर्दनाक था। पीड़ित पक्ष की कुछ महिलाएं मिली जिसमें राजेश शेख की पत्नी ब्यूटी शेख भी थी जिनके पति की हत्या भादू शेख और उसके आदमियों ने कर दी थी और उनकी गिरफ्तारी तक नहीं हुई।
समिति ने वहाँ उपस्थित मीडिया से बात किया कि इस नरसंहार की जाँच सी0बी0आई0 से होनी चाहिए, क्योंकि प0 बंगाल पुलिस से न्याय मिलना संभव नहीं है । पीड़ित परिवार और संभ्रांत लोगों का भी यही मत था । कोलकाता हाईकोर्ट इस घटना का स्वत: संज्ञान लेकर पहले ही निर्देश दे चुकी थी कि घटना स्थल पर जिला जज की उपस्थिति में सीसी टीवी कैमरे लगाये जाएं और घटना स्थल के साक्ष्य केन्द्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला की टीम एकत्रित करे। 25 मार्च 2022 को कोलकाता उच्च न्यायालय ने इस नरसंहार की जाँच सी0बी0आई0 द्वारा कराने का आदेश दिया।
24 मार्च 2022 को प0 बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वहाँ पहुँची टीएमसी कार्यकर्ताओं ने पोस्टर और बैनर लगाकर उनका स्वागत किया। ऐसा लग रहा था कि वे जलाकर मारे गये लोगों के परिजनों से संवेदना प्रकट करने नहीं गई हैं, अपितु किसी चुनावी सभा को संबोधित करने गई है।
समिति ने प0 बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। पूरा प0 बंगाल टीएमसी की गुंडई, तोलेबाजी और कट-मनी के बिजनेस मॉडल से त्रस्त है। टीएमसी की गुंडई के खिलाफ कोई आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर रहा है। जिसने भी आवाज उठाई,उनकी हत्याएं तक कर दी गई ।
प बंगाल के लोग आतंक के साये में सिमटे- सहमे रहने के लिए बाध्य हैं। वहाँ के लोग स्वतंत्र वायु में साँस तभी ले सकते हैं जब वहाँ टीएमसी सरकार का शासन हटाया जाय। विकास की गति ठप पड़ी है, भारत सरकार की अधिकांश योजनाओं को वहाँ लागू नहीं किया जा रहा है। जहाँ देश की पूरी आबादी को भारत सरकार की विकास योजनाओं का लाभ मिल रहा है, वहीं प0 बंगाल के गरीब, दलित और आदिवासी उन विकास योजनाओं के लाभ से वंचित हैं।
भाजपा शासित राज्यों में छोटी सी घटना पर भी विरोधी पार्टियाँ, झूठे नैरेटिव गढ़कर बखेड़ा खड़ा कर देती हैं । तथाकथित बुध्दिजीवी, मानवाधिकार कार्यकर्ता, विरोधी पार्टियाँ इसे प्रचारित और प्रसारित करती हैं। नोएडा के अखलाक के लिंचिंग पर कैंडिल मार्च, अवार्ड वापसी गैंग और तमाम विरोधी पार्टियाँ बंगाल के इस नरसंहार पर चुप हैं। अफजल गुरु जैसे आतंकी की फाँसी की सजा रुकवाने के लिए रात में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, इन्हीं तत्वों ने खटखटाया था ।
देश के तमाम तथाकथित बुध्दिजीवी, कई वरिष्ठ पत्रकार, वकील, मानवाधिकारों के ठेकेदार, महत्वपूर्ण राजनैतिक पार्टिंयों के मुखिया लिखित रुप से अफजल गुरु की फाँसी की सजा से मुक्त के लिए लाम-बंद हुए थे, परन्तु बागतुई रामपुरहाट की 8 महिलाओं और अबोध बच्चों के चीत्कार उन्हें सुनाई नहीं पड़ रहे हैं, जिन्हें जिंदा जलाकर मार दिया गया।
(लेखक राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)