इसे देश की राजनीति में शुभ संकेत माना जाएगा कि अब कांग्रेसी नेता भी मानने लगे हैं कि मोदी सरकार को जो अपार जनसमर्थन मिल रहा है, वह किसी जादू का नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनहित में किए गए कार्यों का नतीजा है। आजादी के बाद से ही चुनावी वादों और वोट बैंक की राजनीति करने वाली कांग्रेस पार्टी में यह बदलाव शुभ संकेत है। यदि इस कड़वी हकीकत को कांग्रेस आलाकमान भी स्वीकार कर ले तो देश की राजनीति की दिशा ही बदल जाएगी।
वर्षों से मोदी विरोधी नकारात्मक राजनीति करने वाली कांग्रेस पार्टी को सद्बुद्धि आने लगी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने खुलेआम स्वीकार किया कि 2019 में मोदी सरकार की वापसी में उसके द्वारा 2014 से 2019 के बीच किए गए कार्यों की अहम भूमिका रही है। इसके बाद तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में बोलने की होड़ लग गई। अभिषेक मनु सिंघवी और शशि थरूर जैसे वरिष्ठ नेता भी मानने लगे हैं कि कांग्रेस को नकारात्मक राजनीतिक के बजाए सकारात्मक राजनीति अपनानी होगी।
इन नेताओं का मानना है कि कांग्रेस को अपनी बात विश्वसनीयता के साथ जनता तक पहुंचाने के लिए वैकल्पिक तरीका ढूंढ़ना होगा। कश्मीर में अनुच्छेद-370 खत्म करने के मोदी सरकार के साहसिक निर्णय के बाद यह दूसरा वाकया है जब कांग्रेस पार्टी में मोदी के समर्थन में आवाज उठ रही हैं और कांग्रेस आलाकमान चुपचाप देख रहा है। गौरतलब है कि कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले का युवा से लेकर कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं तक ने समर्थन किया है।
यह वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का हृदय परिवर्तन नहीं है बल्कि लगातार सिकुड़ते दायरे से चिंतित कांग्रेसियों का आत्ममंथन है। गौरतलब है कि कांग्रेस 2002 के गुजरात दंगों से ही मोदी विरोधी राजनीति कर रही है और तभी से नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत बनते जा रहे हैं। कांग्रेस की मोदी विरोधी मुहिम में देश की वामपंथी पार्टियां और कई दूसरे दल भी शामिल रहे हैं जिन्हें जनता अब नकार चुकी है।
कांग्रेस पार्टी तो मोदी विरोधी राजनीति को अपना एजेंडा ही बना चुकी है। 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर बताया था। इसी तरह 2014 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को चायवाला बताया था। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नीच शब्द का इस्तेमल किया था। इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को शिकस्त झेलनी पड़ी। इसी तरह 2019 के लोक सभा चुनाव में मोदी पर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वार चौकीदार चोर है का उल्टा असर हुआ।
देखा जाए तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की स्वीकारोक्ति में कुछ भी गलत नहीं है। मोदी सरकार की वापसी में उसके द्वारा 2014 से 2019 के बीच किए गए कार्यों की अहम भूमिका रही है। 2019 का लोक सभा चुनाव आजादी के बाद पहला ऐसा चुनाव रहा जिसमें विपक्ष की तरफ से बिजली, सड़क, पानी जैसे बुनियादी मुद्दे गायब रहे, क्योंकि उसके पास इन मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए कुछ था ही नहीं।
दरअसल मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में रिकॉर्ड समय में देश सभी गांवों तक बिजली पहुंचाई। इसके बाद सरकार देश के हर घर को सातों दिन-चौबीसों घंटे रोशन करने की कवायद में जुट गई। देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने के साथ-साथ बिजली की भरपूर आपूर्ति की गई। इसे मोदी सरकार के बिजली सुधार की देन ही कहेंगे कि पहली बार देश बिजली का निर्यातक बना।
अब तक देश के आम लोगों को सिर्फ चुनावी सब्जबाग दिखाए जाते थे, लेकिन मोदी सरकार पहली ऐसी सरकार रही जिसने चुनावी वायदों से आगे बढ़कर काम किया। आजादी के बाद पहली बार देश के सभी गरीबों का बैंक खाता खुला। महिलाओं को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की गई और अब तक 7.5 करोड़ गरीबों को रसोई गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। यदि कुल गैस कनेक्शन की संख्या देखें तो यह आंकड़ा 10 करोड़ से अधिक हो जाएगा।
इसी तरह की एक बड़ी उपलब्धि करोड़ों शौचालयों के निर्माण की रही। देश के ग्रामीण इलाकों और शहरी झुग्गी-झोपड़ियों में खुले में शौच एक बड़ी समस्या रही है। इससे न सिर्फ बीमारियां फैलती थीं बल्कि यह मानवीय गरिमा के भी प्रतिकूल था। मोदी सरकार ने सभी को शौचालय मुहैया कराने के कार्य को युद्धस्तर पर किया और 2 अक्टूबर 2019 को पूरा देश खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा। ग्रामीण आवास, सिंचाई, बीज, फसल बीमा, भंडारण-विपणन ढांचे में सुधार जैसे अनगिनत क्षेत्रों में मोदी सरकार ने क्रांतिकारी सुधार किया और हर स्तर पर मौजूद बिचौलियों का खात्मा किया। ये कारण है कि अब कांग्रेसी नेता भी मोदी के कामों की तारीफ़ करने लगे हैं।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)