किसी भी समस्या का निदान संभव हो सकता है लेकिन यदि आपके प्रयास ही साफ़ नीयत के नहीं हैं, तो आपको असफलता ही हाथ लगेगी। आज यह बात महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल की राज्य सरकारों पर लागू होती है, जो कोरोना से लड़ाई में असफल नजर आ रही हैं।
संकल्प, सिद्धांत और सत्य के साथ किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। किसी भी समस्या का निदान संभव हो सकता है लेकिन यदि आपके प्रयास ही साफ़ नीयत के नहीं हैं, तो आपको असफलता ही हाथ लगेगी। आज यह बात महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल की राज्य सरकारों पर लागू होती है, जो कोरोना से लड़ाई में असफल नजर आ रही हैं।
जी हां, इन चार राज्यों की सरकारों को केंद्र सरकार द्वारा कोरोना के बढ़ते मामलों पर पत्र लिखना पड़ा है; सख्त और तुरंत आवश्यक कदम उठाने संबंधी निर्देश देने पड़े हैं। यहां इस बात का विशेष ध्यान देना होगा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस नीत गठबंधन और छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत की सरकार है। केरल में वामदलों और पश्चिम बंगाल में तृणमूल की सरकार है।
इसका सीधा सा अर्थ यह है कि इन सभी राज्य सरकारों में कोरोना जैसी आपदा से जूझने और उबरने की नेतृत्व क्षमता का पूर्ण अभाव हो गया है। एक ओर जहां देश के वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम ने वैक्सीन के रूप में कोरोना से जीत उम्मीद जगाई है, वहीं इन राज्य सरकारों द्वारा जांच दर में कमी सारी मेहनत पर पानी फेर रही है। देश भर के कुल कोरोना मामलों में 59 फीसदी अकेले इन चार राज्यों से हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने इन चार राज्यों को लिखे पत्र में साफ़ कहा है कि टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट के मंत्र को लेकर आगे बढ़ें। वैक्सीनेशन शुरू होने से पूर्व कोरोना को लेकर अपने स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार में कोई ढिलाई या परिवर्तन न लाएं।
आंकड़ों की बात करें तो कोरोना का सर्वाधिक प्रभाव महाराष्ट्र की जनता पर पड़ रहा है। दुनिया में महाराष्ट्र अकेला ऐसा राज्य है जहां 50 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं। महाराष्ट्र अब कोरोना से हुई मौतों के मामले में स्पेन जैसे देश की बराबरी करने की स्थिति में पहुंच गया है। बेहतर तो यही होता कि गठबंधन की सरकार राजनीति छोड़कर अपने स्वास्थ्य विभाग को बेहतर करने पर ध्यान देती।
छत्तीसगढ़ की बात करें तो यह राज्य आबादी में देश का 17वां राज्य है लेकिन कोरोना के मामले में 12वें नंबर पर पहुंच गया है। कुल 2 करोड़ 87 लाख की आबादी वाले राज्य के जनसंख्या घनत्व को देखें प्रति वर्ग किमी में 189 लोगों की बसावट है। वहीं दूसरी ओर बड़ी आबादी वाले राज्य जैसे बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश जिनका औसतन जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किमी 300 व्यक्ति हैं, वहां कोरोना के मामले कम हैं।
जाहिर है कि राज्य की कांग्रेस सरकार कोरोना से लड़ाई लड़ने में समुचित व्यवस्था नहीं कर पा रही है। शासन और प्रशासन के स्तर पर पंगुता दिखाई दे रही है और इसीलिए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर चिंता जाहिर करनी पड़ रही है।
केरल के आंकड़ों पर गौर करें तो देश भर में सर्वाधिक नए मामले इसी राज्य से मिल रहे हैं। 6 हजार से भी ज्यादा नए मामलों का मिलना यह स्पष्ट करता है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक सुधार की जरूरत है।
राज्य सरकार द्वारा बरती जा रही लापरवाही के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के निदेशक डॉ. एस. के. सिंह के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय केन्द्रीय टीम को तैयार किया गया है। यह टीम राज्य सरकार के कोरोना प्रबंधन क्रियाकलापों की समीक्षा और उनकी सहायता भी करेगी।
अंत में पश्चिम बंगाल की स्थिति को लेकर भी कोई उत्साह की स्थिति नहीं बन पा रही है। ममता बैनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार के राज में अब तक यहाँ 5 लाख 59 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले मिले हैं और लगभग 10 हजार लोगों की मौत हुई है। कोरोना को लेकर राज्य सरकार के कार्यकलापों में कोई दिशा नजर नहीं आ रही।
यह सही है कि राजनीतिक दल होने के नाते सफल होने के लिए आप राजनीतिक प्रयास करेंगे लेकिन इन चारों राज्यों का पहला प्रयास यह होना चाहिए कि सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य का ढांचा मजबूत हो। जांच दर बढ़ाने की कोशिश हो। कोरोना को लेकर वही व्यवहार अपनाए जाने की जरूरत है जो शुरू में रखा जा रहा था।
निश्चित रूप से देशवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वैज्ञानिकों, स्वास्थ्य कर्मियों, स्वच्छता कर्मियों और जवानों के साथ मिलकर एक बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी है। केद्र सरकार के प्रयासों से देश आज कोरोना से लड़ाई में बेहतर स्थिति में पहुंचा है। आवश्यकता है कि इन चार राज्यों की सरकारें इस बेहतर स्थिति को अपने कुप्रबंधन से बदतर न बनाएं बल्कि कोरोना से लड़ाई में देश को मजबूती दें।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)